President Oath Ceremony : महामहिम को 21 तोपों की सलामी, पहला संबोधन- ‘जौहर! नमस्ते !
नई दिल्ली/नवप्रदेश। President Oath Ceremony : द्रौपदी मुर्मू ने देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने उन्हें शपथ दिलाई।
बता दें कि मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं, सर्वोच्च संवैधानिक पद संभालने वाली पहली आदिवासी महिला और स्वतंत्र भारत में पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति हैं।
पहले संबोधन की शुरुआत ‘जोहार ! नमस्कार !’ से की और गरीबी में हुई प्रारंभिक शिक्षा से लेकर राजनीति की शुरुआत और राष्ट्रपति बनने के सफर को याद किया। इस दौरान उन्होंने खासतौर से महिलाओं के सशक्तिकरण पर बात की और इस उपलब्धि को गरीबों को समर्पित किया।
आजादी के 75वें वर्ष में मिला नया दायित्व
सोमवार को राष्ट्रपति मुर्मू (President Oath Ceremony) ने उनकी सियासी पारी और नए पद की जिम्मेदारी का समय का खास जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है जब हम अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा।’ उन्होंने कहा, ‘ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है।’
आजाद भारत में जन्मीं देश की नई राष्ट्रपति
उम्र को लेकर भी मुर्मू काफी चर्चा में हैं। वह यह पद संभालने वाली सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूं जिसका जन्म आजाद भारत में हुआ है।’ इससे पहले प्रतिभा पाटिल देश की पहली महिला राष्ट्रपति थीं।
उन्होंने कहा, ‘कल यानि 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस भी है। ये दिन, भारत की सेनाओं के शौर्य और संयम, दोनों का ही प्रतीक है। मैं आज, देश की सेनाओं को तथा देश के समस्त नागरिकों को कारगिल विजय दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं देती हूं।’
इस दौरान उन्होंने देश के सेनानियों को याद किया और उनकी इच्छाएं पूरी करने की बात की। मुर्मू ने कहा, ‘हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है। इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों पर आगे बढ़ेगा- सबका प्रयास और सबका कर्तव्य।’
लोकतंत्र की शक्ति
मुर्मू ने कहा, ‘मैं जनजातीय समाज से हूं, और वार्ड कौन्सिलर से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है। यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है।’
महिला सशक्तिकरण पर जोर
राष्ट्रपति मुर्मू ने संबोधन (President Oath Ceremony) के दौरान सबसे खास जिक्र महिलाओं का रहा। उन्होंने कहा, ‘मेरे इस निर्वाचन में देश के गरीब का आशीर्वाद शामिल है, देश की करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं आज समस्त देशवासियों को, विशेषकर भारत के युवाओं को तथा भारत की महिलाओं को ये विश्वास दिलाती हूं कि इस पद पर कार्य करते हुए मेरे लिए उनके हित सर्वोपरि होंगे।’ मुर्मू ने कहा, ‘मैं चाहती हूं कि हमारी सभी बहनें व बेटियां अधिक से अधिक सशक्त हों तथा वे देश के हर क्षेत्र में अपना योगदान बढ़ाती रहें।’