राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से पूछे 14 सवाल; राज्यपाल के पास कोई वीटो शक्ति नहीं?

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से पूछे 14 सवाल; राज्यपाल के पास कोई वीटो शक्ति नहीं?

President Draupadi Murmu asked 14 questions to the Supreme Court

President Draupadi Murmu asked 14 questions to the Supreme Court

-राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष उठाए गए प्रश्न संविधान के अनुच्छेद 200, 201, 361, 143, 142, 145(3) और 131 से संबंधित हैं


नई दिल्ली। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव पर बड़ा फैसला सुनाया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि राज्यपाल विधेयकों को अनिश्चित काल तक रोक नहीं सकते। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष 14 सवाल उठाए हैं। ये प्रश्न राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों के बारे में हैं। सर्वोच्च न्यायालय तमिलनाडु सरकार के विरुद्ध राज्यपाल के चल रहे मामले की सुनवाई कर रहा था।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष उठाए गए प्रश्न संविधान के अनुच्छेद 200, 201, 361, 143, 142, 145(3) और 131 से संबंधित हैं। राष्ट्रपति मुर्मू ने पूछा कि जब कोई विधेयक राज्यपाल के पास आता है तो उनके पास क्या विकल्प होते हैं और क्या राज्यपाल को कैबिनेट की सलाह माननी पड़ती है? इसी प्रकार राष्ट्रपति ने कुल 14 प्रश्न पूछे हैं।

राज्यपाल के पास कोई वीटो शक्ति नहीं

यह मुद्दा तमिलनाडु के राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच विवाद के बाद शुरू हुआ। राज्यपाल ने राज्य सरकार द्वारा भेजे गए विधेयक को रोक दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को फैसला सुनाया कि राज्यपाल के पास कोई वीटो शक्ति नहीं है। राष्ट्रपति ने कहा था कि वह राज्यपाल द्वारा भेजे गए विधेयक पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेंगे। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि जब राज्यपाल किसी विधेयक को असंवैधानिक होने के आधार पर राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए सुरक्षित रखता है, तो राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय की राय लेनी चाहिए। यह तमिलनाडु के राज्यपाल के मामले में लिए गए निर्णय से निकला एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष है। संविधान के अनुच्छेद 143 के अनुसार राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय से सलाह लेने का अधिकार है।

राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा पूछे गए प्रश्न

  • विधेयक प्रस्तुत होने के बाद राज्यपाल के पास क्या संवैधानिक विकल्प हैं?
  • क्या राज्यपाल निर्णय लेते समय मंत्रिमंडल की सलाह मानने के लिए बाध्य हैं?
  • क्या राज्यपाल के निर्णय को अदालत में चुनौती दी जा सकती है?
  • क्या अनुच्छेद 361 राज्यपाल के निर्णयों की न्यायिक समीक्षा को रोक सकता है?
  • यदि संविधान में राज्यपाल के कार्यकाल की कोई सीमा नहीं है, तो क्या न्यायालय इसे निर्धारित कर सकता है?
  • क्या राष्ट्रपति के निर्णय को अदालत में चुनौती दी जा सकती है?
  • क्या न्यायालय राष्ट्रपति के निर्णयों पर समय सीमा लगा सकता है?
  • क्या राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय की राय लेना अनिवार्य है?
  • क्या अनुच्छेद 142 के अंतर्गत राष्ट्रपति या राज्यपाल के संवैधानिक कृत्यों और आदेशों को बदला जा सकता है?
  • क्या राज्य सरकार अनुच्छेद 200 के अंतर्गत राज्यपाल की स्वीकृति के बिना कानून बना सकती है?
  • क्या वह अनुच्छेद 145(3) के तहत संविधान की व्याख्या से संबंधित मामलों को सर्वोच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ को भेजने का निर्णय ले सकता है?
  • क्या सर्वोच्च न्यायालय संविधान या मौजूदा कानूनों के विपरीत निर्देश/आदेश जारी कर सकता है?
  • क्या संविधान अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विवादों को केवल सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हल करने की अनुमति देता है?
  • क्या न्यायालय राज्यपाल और राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 200 और 201 के अंतर्गत लिए गए निर्णयों पर उनके प्रभावी होने से पहले सुनवाई कर सकते हैं?

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