फसल बीमा प्रीमियम काटने में चूक, बैंक ऑफ बड़ौदा पर एक लाख का हर्जाना
- बैंक ने किसान का प्रीमियम गलत ग्राम पंचायत के नाम से काटा, किसान को नहीं मिला दावा, बीमा कंपनी ने यह कहकर खड़े किए हाथ कि जिस पंचायत का किसान वहां नहीं पड़ा सूखा
दुर्ग/नवप्रदेश। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (pradhan mantri fasal beema yojana) में हुई चूक (mistake) के चलते उपभोक्ता फोरम ने बैंक पर 1 लाख 6 हजार रुपए (1 lakh 6 thousand rupees) का हर्जाना (recompense) लगाया है।
बैंक ऑफ बड़ौदा (bank of baroda) ने ऋणी किसान (farmer) के फसल बीमा (pradhan mantri fasal beema) के प्रीमियम (beema premium) को उसकी कृषि भूमि वाले ग्राम पंचायत की जगह अन्य ग्राम पंचायत की सूची में इंद्राज कर काट लिया। बैंक की इस चूक (mistake) के कारण परिवादी कृषक (farmer) बीमा दावा (beema claim) पाने से वंचित हो गया। जिसके लिए बैंक ऑफ बड़ौदा की साजा ब्रांच को सेवा में निम्नता के लिए जिम्मेदार मानते हुए जिला उपभोक्ता फोरम (district consumer forum, durg) के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने उस पर 106000 रुपए का हर्जाना लगाया।
परिवाद के मुताबिक बेमेतरा जिले की साजा तहसील अंतर्गत ग्राम गोड़मर्रा के किसान ब्रह्मानंद ठाकुर ने बैंक ऑफ बड़ौदा (bank of baroda) से कृषि ऋण लिया था जिसमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत खरीफ फसल 2016-17 के लिए ऋणी कृषक (farmer) का बीमा (beema) कराया जाना था।
इसके तहत बैंक द्वारा परिवादी की कृषि भूमि के लिए रु.5390 बीमा प्रीमियम (premium) काटा गया, लेकिन उसे परिवादी के खेत वाली ग्राम पंचायत गोड़मर्रा की जगह गाड़ाडीह के नाम से बीमा कंपनी को प्रेषित कर दिया गया। जिसके कारण बीमा दावा के समय ग्राम गाड़ाडीह सूखाग्रस्त घोषित नहीं होने के कारण परिवादी को बीमा दावा प्राप्त नहीं हो सका। बैंक से संपर्क करने पर भी जब दावा प्राप्त नहीं हुआ तो किसान ने फोरम की शरण ली।
ओ माय गॉड ! फिल्म की तरह बैंक व बीमा कंपनी एक दूसरे को बताते रहे जिम्मेदार
बैंक की दलील
अनावेदक बैंक (bank of baroda) ने कहा कि परिवादी का फसल बीमा (pradhan mantri fasal beema) राम गाड़ाडीह के लिए काट लिया गया था। इसमें सुधार हेतु बीमा कंपनी को लगातार ईमेल से सूचित कर निवेदन किया गया परंतु बीमा कंपनी ने ध्यान नहीं दिया इसलिए बीमा कंपनी ने बीमा प्रीमियम प्राप्त किया है इसलिए बीमा कंपनी बीमा दावा प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है।
बीमा कंपनी का तर्क
रिलायंस जनरल इंश्योरेंस ने दलील दी कि परिवादी जिस ग्राम पंचायत के अंतर्गत बीमित था वह गांव सूखाग्रस्त की श्रेणी में नहीं आता था। इस कारण परिवादी को कोई क्षति नहीं होने के कारण दावा भुगतान नहीं किया गया है। इसमें उसके द्वारा कोई लापरवाही नहीं की गई है।
फोरम के फैसले पर एक नजर
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फोरम ने निष्कर्ष निकाला कि फसल बीमा योजना हेतु तैयार गाइडलाइन के अनुसार प्रत्येक ऋणी कृषक का बीमा कराने की बैंक को ही जिम्मेदारी दी गई है। योजना की गाइडलाइन के मुताबिक यह स्पष्ट है कि यदि प्रीमियम काटे जाने के समय किसी प्रकार की गलती होती है तो संबंधित वित्तीय संस्थाएं ही भरपाई करेंगे। इसलिए बैंक ही अंतिम रूप से जिम्मेदार है और उसे ही हर्जाना (recompense) देना होगा ।
ऐसे समझें हर्जाने का गणित
जिला उपभोक्ता फोरम ने बैंक ऑफ बड़ोदा को ही सेवा में निम्नता के लिए जिम्मेदार मानते हुए रु. 106000 (1 lakh 6 thousand) हर्जाना (recompense) लगाया। इसमें बीमादावा राशि रु. 95011 मय ब्याज, मानसिक क्षतिपूर्ति स्वरूप रु. 10000 तथा वाद व्यय रु. 1000 देने का आदेश दिया गया। अनावेदक बीमा कंपनी को सेवा में निम्नता का जिम्मेदार नहीं मानते हुए उसके विरुद्ध परिवाद खारिज किया गया।