बातों…बातों में… सुकांत राजपूत की कलम से… फूल छाप कांग्रेसी

बातों…बातों में… सुकांत राजपूत की कलम से… फूल छाप कांग्रेसी

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BJP MLA

सत्ता (power) क्या गई भाजपा विधायकों (BJP MLA) की पूछपरख (Asking) भी नहीं (Not even happening) हो रही। ऐसा ही एक नजारा दक्षिण विधानसभा में आयोजित सोसायटी के एक कार्यक्रम में दिखा। जब रायपुर की 4 विधानसभा सीटों में से एकमात्र भाजपा के खाते में आई। खैर, एक तरह से दक्षिण विधायक अब तक अपराजित ही हैं, लेकिन उनकी रियासत में अब कांग्रेसी विधायक घुसपैठ करने लगे हैं। तीज का फूलेरा, हांडी मटकी उत्सव हो या राजीव गांधी की जयंती सभी में पश्चिम विधानसभा के विधायक विकास उपाध्याय आमंत्रित किये जा रहे हैं।

प्रियदर्शिनी सोसायटी में एक वक्त था जब बीजेपी के छुटभैय्ये नेता से लेकर बड़ों तक का बोलबाला था। सोसायटी के लोग भी बीजेपी की आरती उतारते थे। लेकिन अब नीजाम और नजारा दोनों बदल गया है। कांग्रेस पार्षद, महापौर, विधायक ही आमंत्रित किये जा रहे हैं और मजे की बात यह कि उनके स्वागात-सत्कार-सेल्फी लेने वाले वही भाजपाई हैं। फूल छाप कांग्रेसियों के कारण पार्टी नुक्सान झेलती रही थी अब पंजा छाप भाजपाईयों की संख्या में इजाफा हुआ है।

बाबा जी का ठुल्लु

बसना के एक लक्ष्मी पुत्र भाजपाई नेता को उनकी पार्टी के नेताओं ने ही बाबा जी का ठुल्लु दे दिया। अब खुद की फजीहत न हो इसके लिए अपने लेटरहेड में लीक हुए कबूलनामे को न उगलते बन रहा है न निगलते। बात ज्यादा पुरानी नहीं है..बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी बनने की प्रत्याशा में नेता जी ठगे गए। उनसे पार्टी के 5 दिग्गजों ने एक लोकल मीडियेटर ने मिलाया। मिलकर 1 करोड़ 10 लाख में टिकट का मामला फिट करवाया।

पैसा पार्टी फंड के नाम से लेन देन किया गया। बसना से प्रत्याशी बनने का ख्वाब देखना भी शुरु हो गया लेकिन तब सपने में पानी फिर गया जब पार्टी की टिकट किसी दूसरे को अलॉट कर दी गई। गुस्से में खानदानी भाजपाई बागी होकर चुनाव लड़े हार गए अब पार्टी फंड के नाम पर 1 करोड़ 10 लाख रुपए की वसूली का किस्सा अपने लेटरहेड में लिखकर पोस्ट करता तभी उन्हें पार्टी में वापसि का न्यौता और भविष्य में टिकट का फिर से लॉली पॉप दे दिया गया है। नजराना से जबराना और अब भविष्य की चिंता के लिए घबराना शुरु हो गया है।

कोरोना का मुनाफा

लॉकडाउन की वजह से सभी को आर्थिक, सामाजिक और व्यवसायीक क्षति हुई है। बस एकमात्र नगर निगम, जिला प्रशासन और पुलिस विभाग जैसे सरकारी महकमें के कारिंदों को ही फायदेमंद साबित हो रहा है। एक वक्त था निगम के कर्मियों को कोई पूछता नहीं था, पुलिस वाले किसी पर कार्रवाई करते थे तो वह वाजिब नहीं लगता था। परंतु कोरोना काल में ये कमाल हुआ कि गलत कार्रवाई को भी पुलिस सहीं साबित कर रही है।

निगम मास्क रखने वाले को भी पहना नहीं कर के फाइन करने से बाज नहीं आ रहा। खरोरा में एक सराफा कारोबारी से एक उपनिरीक्षक ने कार्रवाई भी किया, कमाई भई किया और अब फिर से कार्रवाई के नाम पर नई मांग रखने की फिराक में है। महज दुकान के वीडियो फूटेज की आड़ में जिस कार्रवाई का सबकुछ हो चुका दूसरी बार फिर नजराना-जबराना के लिए एसआई धौंस जमाने लगा है।

23 टॉप लीडर…

कांग्रेस के 23 टॉप लीडरों का आलाकमान को लिखा गया एक पत्र लीक हो गया। हालाकि पार्टी के इतिहास में कई ऐसी चीजें हैं जो भेजी भी जाती हैं और साथ ही साथ लीक भी कर दी जाती हैं। वैसे जिन 23 टॉप लीडरों ने आलाकमान से मांग करते हुए पत्र लिखा है कि राष्ट्रीय कांग्रेस में टॉप टू बॉटम चेंज अनिवार्य है। उस मांग पत्र के लीक होने और अंग्रेजी अखबार में सुर्खियां बटोरने के बाद 23 में से 3-4 ने अपने शामिल होने से इंकार का बयान जारी कर दिया है।

अब देखना यह है कि सोमवार को होने वाली सीडब्ल्यूसी की मीटिंग से पहले पार्टी में नीचे से लेकर उपर तक के बदलाव की सलाह वाला यह टॉप लीडरों का हस्ताक्षरित पत्र क्या गुल खिलाता है। लेकिन यह साफ है कि जल्द ही कांग्रेस में दिल्ली से लेकर राज्यों तक में संगठन स्तर पर फेरबदल होना तय है।

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