Poor Prisoners Assistance Scheme : गरीब कैदियों को राहत, हर जिले में बनेगी ‘अधिकारप्राप्त समिति’

Poor Prisoners Assistance Scheme

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जेलों में वर्षों से आर्थिक तंगी के कारण बंद गरीब कैदियों को त्वरित राहत दिलाने की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। गृह मंत्रालय ने ‘गरीब कैदियों को सहायता’ योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए दो वर्ष से अधिक पुराने दिशानिर्देशों और मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) की व्यापक समीक्षा कर उनमें संशोधन किया है।

नए प्रावधानों के तहत अब देश के हर जिले में (Poor Prisoners Assistance Scheme) के अंतर्गत एक ‘अधिकारप्राप्त समिति’ का गठन अनिवार्य किया जाएगा, जो पात्र गरीब कैदियों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का निर्णय लेगी।

गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस योजना का क्रियान्वयन बेहद कमजोर और औपचारिकता तक सीमित रहा, जिसके कारण योजना का मूल उद्देश्य आर्थिक रूप से असहाय कैदियों को शीघ्र रिहाई दिलाना, पूरा नहीं हो सका। इसी पृष्ठभूमि में संशोधित दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।

हर जिले में बनेगी अधिकारप्राप्त समिति

नए दिशानिर्देशों के अनुसार प्रत्येक जिले में गठित अधिकारप्राप्त समिति में जिला कलेक्टर या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नामित अधिकारी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, पुलिस अधीक्षक, संबंधित जेल के अधीक्षक या उप अधीक्षक तथा जिला न्यायाधीश द्वारा नामित संबंधित जेल के प्रभारी न्यायाधीश शामिल होंगे। इस समिति की बैठकों के संयोजक और प्रभारी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव होंगे।

समिति जरूरत पड़ने पर एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त कर सकेगी। इसके अलावा, गरीब कैदियों के मामलों में सहायता के लिए जेल विजिटिंग लायर, पैरालीगल वालंटियर, सामाजिक कार्यकर्ता, नागरिक समाज के प्रतिनिधि, जिला परिवीक्षा अधिकारी या अन्य उपयुक्त अधिकारियों की मदद ली जा सकेगी। यह व्यवस्था (Poor Prisoners Assistance Scheme) को जमीनी स्तर पर प्रभावी बनाने की दिशा में अहम मानी जा रही है।

जमानत और जुर्माने के लिए मिलेगी आर्थिक मदद

अधिकारप्राप्त समिति प्रत्येक पात्र मामले में यह आकलन करेगी कि कैदी को जमानत दिलाने या अदालत द्वारा लगाए गए जुर्माने के भुगतान के लिए कितनी वित्तीय सहायता आवश्यक है। समिति के निर्णय के आधार पर राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के कारागार मुख्यालय में नियुक्त नोडल अधिकारी केंद्रीय नोडल एजेंसी (CNA) के खाते से धनराशि निकालकर आवश्यक कार्रवाई करेंगे।

गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि योजना के तहत मिलने वाली राशि सीधे जरूरतमंद कैदियों की रिहाई से जुड़े खर्चों के लिए ही उपयोग की जाएगी, ताकि कोई भी गरीब व्यक्ति केवल पैसों के अभाव में जेल में बंद न रहे।

राज्य स्तर पर बनेगी निगरानी समिति

संशोधित दिशानिर्देशों में राज्य सरकार स्तर पर एक निगरानी समिति गठित करने का भी प्रावधान किया गया है। इस समिति में प्रधान सचिव (गृह/जेल), सचिव (कानून विभाग), सचिव राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, महानिदेशक या महानिरीक्षक (जेल) तथा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल शामिल हो सकते हैं। यह समिति जिला स्तरीय अधिकारप्राप्त समितियों के कामकाज की निगरानी करेगी और योजना के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगी।

गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि कारागार और उसमें बंद व्यक्ति राज्य सूची का विषय हैं, इसलिए समिति की संरचना सांकेतिक है और अंतिम अधिसूचना राज्य सरकारें या केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन अपने स्तर पर जारी करेंगे। योजना के लिए निधि केंद्रीय नोडल एजेंसी के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी।

2023 में शुरू हुई थी योजना

उल्लेखनीय है कि (Poor Prisoners Assistance Scheme) की शुरुआत वर्ष 2023 में की गई थी। इसका उद्देश्य उन गरीब कैदियों को वित्तीय सहायता देना है, जिनकी रिहाई केवल इसलिए अटकी रहती है क्योंकि वे जमानत राशि या अदालत द्वारा लगाए गए जुर्माने का भुगतान करने में असमर्थ होते हैं। इसके मूल दिशानिर्देश और एसओपी 19 जून 2023 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे गए थे।

हालांकि, 2 दिसंबर को गृह मंत्रालय ने स्वीकार किया था कि कमजोर क्रियान्वयन के कारण योजना अपने लक्ष्य से भटक गई है। नए संशोधनों के साथ केंद्र सरकार को उम्मीद है कि अब गरीब कैदियों को समय पर न्याय और राहत मिल सकेगी।