Poona Margeym Rehabilitation Bastar : पूना मारगेम- पुनर्वास से पुनर्जीवन’, दण्डकारण्य के 210 माओवादी कैडर लौटे समाज की मुख्यधारा में

Poona Margeym Rehabilitation Bastar
Poona Margeym Rehabilitation Bastar : राज्य शासन की समग्र नक्सल उन्मूलन नीति और “शांति, संवाद एवं विकास” की रणनीति ने आज इतिहास रच दिया। (Poona Margeym Rehabilitation Bastar) के अंतर्गत दण्डकारण्य क्षेत्र के 210 माओवादी कैडरों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। यह घटना केवल हथियार छोड़ने की नहीं, बल्कि भय, हिंसा और अविश्वास से मुक्ति की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
यह आत्मसमर्पण बस्तर की उस नई सुबह का संकेत है, जिसमें बंदूक की जगह संविधान और विकास का भरोसा जन्म ले रहा है। अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर जैसे क्षेत्र, जो कभी हिंसा के प्रतीक थे, अब “विश्वास और पुनर्निर्माण” की मिसाल बनते जा रहे हैं।
आत्मसमर्पण का यह आंकड़ा बना ऐतिहासिक
यह पहली बार है जब नक्सल विरोधी मुहिम में इतनी बड़ी संख्या में वरिष्ठ माओवादी कैडरों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया है। इनमें एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार डीकेएसजेडसी सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य और कई वांछित व इनामी कैडर शामिल हैं। इन माओवादियों ने 153 आधुनिक हथियार (Poona Margeym Rehabilitation Bastar) – AK-47, SLR, INSAS राइफल और LMG समर्पित किए हैं।
मुख्यधारा में लौटने वाले प्रमुख नामों में रूपेश उर्फ सतीश, भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, रनीता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ संतू और रतन एलम शामिल हैं। सभी ने संविधान में आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत सम्मानजनक जीवन जीने की शपथ ली।
हिंसा से संवाद की ओर यात्रा
कार्यक्रम का आयोजन जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर में हुआ, जहाँ आत्मसमर्पित कैडरों का स्वागत पारंपरिक मांझी-चालकी विधि से किया गया। उन्हें संविधान की प्रति और शांति का प्रतीक लाल गुलाब भेंट कर सम्मानित किया गया। पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम ने कहा, “पूना मारगेम केवल नक्सलवाद छोड़ने की पहल नहीं, बल्कि पुनर्जन्म का अवसर है।
जो आज लौटे हैं, वे बस्तर में विश्वास, विकास और शांति के संदेशवाहक बनेंगे।” इस अवसर पर एडीजी (नक्सल ऑपरेशन्स) विवेकानंद सिन्हा, कमिश्नर डोमन सिंह, बस्तर रेंज आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर हरिस एस. और पुलिस अधीक्षक सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।
पुनर्वास से सम्मानजनक जीवन की नई शुरुआत
राज्य सरकार ने आत्मसमर्पित कैडरों को पुनर्वास सहायता राशि, आवास योजनाओं और स्वरोजगार अवसरों की जानकारी दी। बस्तर में कौशल विकास, शिक्षा और स्वरोजगार योजनाओं से इन युवाओं को जोड़ा जाएगा ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। (Poona Margeym Rehabilitation Bastar) कार्यक्रम का उद्देश्य है बंदूक थामने वाले हाथों को रोजगार और शिक्षा से जोड़ना। यही बस्तर की नई पहचान है, जहाँ हर आत्मसमर्पित कैडर अब समाज के निर्माण में भूमिका निभाएगा।
मांझी-चालकी प्रतिनिधियों ने कहा कि बस्तर की परंपरा हमेशा प्रेम, सहअस्तित्व और सद्भाव की रही है। जो साथी अब लौटे हैं, वे इस परंपरा को नई शक्ति देंगे और समाज में विश्वास की नींव को मजबूत करेंगे। कार्यक्रम के अंत में आत्मसमर्पित माओवादियों ने संविधान की शपथ ली और हिंसा से दूर रहने का वचन दिया। सभी ने मिलकर प्रतिज्ञा की कि वे विकास, शिक्षा और राष्ट्रनिर्माण की दिशा में काम करेंगे।‘वंदे मातरम्’ की गूंज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह क्षण केवल 210 आत्मसमर्पण का नहीं, बल्कि बस्तर में पुनर्जन्म और विश्वास की नई शुरुआत का प्रतीक बन गया।