संपादकीय: महाकुंभ को लेकर सियासत उचित नहीं
Politics regarding Mahakumbh is not appropriate: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में अब तक दस करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पुण्य स्नान किया है। इतनी बड़ी संख्या में महाकुंभ में जुटे श्रद्धालुओं ने व्यवस्था की भूरि भूरि प्रशंसा की है। किन्तु महाकुंभ की सफलता कुछ लोगों को रास नहीं आ रही है जो व्यवस्था को लेकर योगी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। ऐसे लोग जिनके घर पर यदि दो मेहमान भी आ जाएं तो उनके घर की व्यवस्था डगमगा जाती है। वे भी महाकुंभ की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
खासतौर पर उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव महाकुंभ को लेकर लगातार विवादास्पद बयानबाजी कर रहे हैं। यहां तक कि वे खुद ही विरोधाभाषी बयान भी दे रहे हैं। उन्होंने पहले महाकुंभ में जुटने भीड़ के आंकड़ों को फर्जी करार दिया था और यह कहा था कि उत्तरप्रदेश सरकार श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ा चढ़ाकर बता रही है। अखिलेश यादव के अनुसार प्रयागराज जाने वाली ट्रेने खाली जा रही है। जबकि हकीकत यह है कि प्रयागराज महाकुंभ के लिए बड़ी संख्या में अतिरिक्त ट्रेनें चलाये जाने के बावजूद लाखों श्रद्धालुओं को ट्रेनों में रिजर्वेशन नहीं मिल पा रहा है। यही हाल हवाई जहाज का भी है उसमें भी बड़ी मुश्किल से टिकट मिल पा रही है।
कुंभी की भीड़ पर सवालिया निशान लगाने वाले अखिलेश यादव ने बाद में यह विरोधाभाषी बयान दिया कि महाकुंभ में वीआईपी लोगों की ज्यादा पूछ परख हो रही है जिसकी वजह से श्रद्धालुओं को संगम में स्नान करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण प्रयागराज की सड़कों और चौक चौराहों पर जाम लगना आम बात हो गई है लेकिन शासन-प्रशासन श्रद्धालुओं की भीड़ को सुगमता पूर्वक त्रिवेणी संगम तक पहुंचाने में विफल सिद्ध हो रहा है।
अखिलेश यादव का यह बयान हास्यास्पद है क्योंकि एक ओर तो वे यह कह रहे हैं कि महाकुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा बताई जा रही है वहीं दूसरी ओर वे यह कह रहे हैं कि श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण चक्काजाम हो रहा है ऐसे में समझा जा सकता है कि अखिलेश यादव महाकुंभ की सिर्फ आलोचना ही करना चाहते है।
यह ठीक है कि वे विपक्ष के नेता हैं और उन्हें सरकार की आलोचना करने का अधिकार है लेकिन महाकुंभ की व्यवस्था को लेकर वे जिस तरह के बयान दे रहे हैं और महाकुंभ पर सियासत कर रहे हैं यह कतई उचित नहीं है महाकुंभ के दौरान ही उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में केबिनेट की बैठक की और कई महत्वपूर्ण निर्णय लिऐ इसके बाद मुख्यमंत्री योगी ने अपने मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों के साथ त्रिवेणी संगम में स्नान किया इस पर भी अखिलेश यादव ने आपत्ति दर्ज कराई और यह बयान दिया कि प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान इस तरह की राजनीतिक गतिविधि नहीं होनी थी।
जबकि प्रयागराज में केबिनेट की बैठक होना किसी भी दृष्टि से गलत नहीं है। यह वही अखिलेश यादव है जिन्होंने महाकुंभ को लेकर यह बयान भी दिया था कि वहां कुछ लोग अपने पाप धाने जाते हैं और फोटो खिंचवाते हैं उनका कहना है कि वे भी गंगा स्नान करते है लेकिन उसकी फोटो वायरल नहीं करते जबकि महाकुंभ के दौरान ही अखिलेश यादव की गंगा स्नान वाली फोटो वायरल हुई थी।
यह बात अलग है कि उन्होंने प्रयागराज में नहीं बल्कि हरिद्वार में गंगा में डुबकी लगाई थी। बहरहाल महाकुंभ को लेकर इस तरह की ओछी सियासत नहीं करना चाहिए। कुछ लोग महाकुंभ पर उत्तरप्रदेश सरकार के द्वारा 7 हजार करोड़ रूपये खर्च किये जाने पर भी आपत्ति उठा रहे हैं जबकि हकीकत यह है कि इस महाकुंभ से उत्तरप्रदेश सरकार को दो लाख करोड़ रूपये की आय होने का अनुमान है। बेहतर होगा कि हिन्दुओं की आस्था के प्रतीक प्रयागराज महाकुंभ को लेकर इस तरह की सियासत न की जाये।