धान और बारदाने पर राजनीति, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस संचार प्रमुख में तकरार
रायपुर/नवप्रदेश। Farmer Politics : छत्तीसगढ़ में 1 दिसंबर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू होने जा रहा है। ऐसे में किसानों की तरफदारी करने में कांग्रेस और भाजपा कहीं पीछे नहीं है।
पहले धान खरीदी में देरी और अब बारदाने में कमी को लेकर भाजपा प्रदेश सरकार पर हमलावर है। वहीँ सत्ताधारी दल कांग्रेस अपने प्रमुख विपक्षी दल भाजपा को करारा जवाब देने में चूक नहीं कर रही है।
सोमवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेसव साय ने मीडिया से चर्चा के दौरान प्रदेश सरकार पर बारदाने को लेकर सिलसिलेवार आरोप लगाया है। साय की माने तो हर मोर्चे पर विफल प्रदेश की कांग्रेस सरकार गिरावट के अपने ही रिकॉर्ड को रोज तोड़ते जा रही है। सबसे दुःख की बात है कि संवैधानिक शपथ लेकर भूपेश बघेल रोज-रोज एक नया झूठ गढ़ रहे हैं। इस तरह निर्लज्जता के साथ आजतक किसी भी सरकार ने कभी झूठ नहीं बोला है। दुखद यह है कि अपने किसी भी झूठ के पकडे जाने पर न तो इन्हें पश्चाताप होता है न ही कोई शर्मिंदगी।
बारदाना की व्यवस्था करना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी -साय
प्रदेश अध्यक्ष साय (Farmer Politics) ने कहा कि झूठों की इसी श्रृंखला में सबसे ताज़ा झूठ इनका बारदाने के लेकर है। हर बार ये न केवल इस मामले में झूठ बोलते हैं बल्कि प्रधानमंत्री तक को पत्र लिखते समय भी मर्यादा का ख्याल नहीं रखते। उन्होंने कहा कि बारदाना खरीदना और उसकी व्यवस्था करना पूरी तरह प्रदेश सरकार का काम है। अनेक बार सदन में खुद कांग्रेस सरकार ने स्वीकार भी किया है कि बारदाना की व्यवस्था करना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है। नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक के सवाल के जवाब में सदन में साफ़-साफ़ सरकार ने स्वीकार किया कि केंद्र सरकार द्वारा बारदाना उपलब्ध नहीं कराया जाता है। कोलकाता जूट कमिश्नर से बारदाना खरीदा जाता है। बावजूद इसके न केवल प्रधानमंत्री को अनावश्यक पत्र लिखा है सीएम ने बल्कि उन्हें प्रदेश में क़ानून व्यवस्था खराब कर देने की धमकी भी दी है। बारदाना खरीदना इनका काम है, क़ानून-व्यवस्था बहाल रखने का दायित्व भी राज्य का होता है, फिर भी अपना सारा काम केंद्र पर थोपने की इस कोशिश को क्या कहा जाय?
धान खरीदी से बचने की कोशिश
कांग्रेस वास्तव में किसानों को बर्बाद करने पर तुली हुई है। वैसे ही एक माह विलम्ब से धान खरीदी (Farmer Politics) करने के निर्णय से, अभी तक इसे शुरू नहीं करने के कारण किसानों की तैयार फसल बर्बाद हो गयी है। इसके बाद भी उन्हें उचित मुआवज़े की कौन कहे, रातोंरात रकबा कटौती कर धान खरीदी से बचने की तमाम साज़िश सरकार कर रही है। जानबूझ कर कांग्रेस यह चाहती है कि फसल नष्ट हो जाय ताकि उसे कम से कम धान खरीदना पड़े। अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए प्रदेश का सारा संसाधन और समय उत्तर प्रदेश के चुनाव में देकर बघेल यहां के किसानों को आत्महत्या करने के लिए विवश कर रहे हैं।
मोदी की चाटुकारिता में भाजपा अध्यक्ष झूठ बोल रहे-सुशील आनंद शुक्ला
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय पर पलटवार करते हुए प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राज्य के किसानों के मामले में भी झूठ बोल कर किसान विरोधी नरेंद्र मोदी सरकार का बचाव करने की कुचेष्टा कर रहे है। विधानसभा में सरकार के द्वारा दिये गये जवाब को भाजपाध्यक्ष गलत रूप से उदृत कर रहे यह ठीक है बारदाना (Farmer Politics) राज्य सरकार खरीदती है लेकिन किस राज्य को कितना कोटा मिलेगा इसको केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के निर्देश पर सेंट्रल जूट कमिश्नर कोलकाता द्वारा निर्धारित किया जाता है। राज्य में इस वर्ष 105 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी होनी है। 5.25 लाख गठान बारदानों की जरूरत होगी। इसमें से 2.14 लाख गठान नये बारदाने जूट कमिश्नर कोलकाता के माध्यम से खरीदने की अनुमति केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने दिया है। इसके लिये तत्काल छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी समिति ने 2.14 गठान के लिये इंडेन्ट (आपूर्ति आर्डर) जारी किया गया। जिसके विरूद्ध अभी तक छत्तीसगढ़ मात्र 86855 गठान बारदाना दिया गया है। जबकि अभी तक 1.5 लाख गठान मिल जाना था। विष्णुदेव साय बतायें केंद्र का यह रवैया छत्तीसगढ़ विरोधी नहीं है और क्या है?
छग किसानों के पक्ष में पीएम मोदी से भाजपा करे चर्चा
संचार प्रमुख शुक्ला ने कहा कि भाजपाध्यक्ष विष्णुदेव साय मुख्यमंत्री के द्वारा राज्य के हित में प्रधानमंत्री को लिखे पत्र का गलत प्रस्तुतीकरण करके राजनैतिक मर्यादाओं का उल्लंघन कर रहे है। विष्णुदेव साय सही बोल रहे है उनमें साहस है तो वे केंद्र सरकार से एक पत्र राज्य सरकार को लिखवा कर भेज देवे कि बारदाना पर से सेंट्रल जूट कमिश्नर का कोई नियंत्रण नहीं है। भाजपा अध्यक्ष धान खरीदी पर सिर्फ आरोप लगाने की राजनीति करने और मोदी की चाटुकारिता के बजाय अपने दायित्वों का निर्वहन करें। केंद्र से उसना चावल नहीं लेने की बंदिश पर रोक लगवायें, राज्य को मांगा गया बारदाना दिलाने की पहल करें।