Video: बारदाना संकट पर सियासी यलगार, नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री हुए आमने-सामने
रायपुर/नवप्रदेश। Bardana Politics : छत्तीसगढ़ में 1 दिसंबर से धान खरीदी का कार्य शुरू होने जा रहा है। जिसके लिए सरकार की तयारी जोर-शोर से चल रही है। राज्य सरकार ने एक ओर सभी कलेक्टरों को निर्देश दिया कि किसानों को किसी भी प्रकार की दिक्क्तें खरीदी के दौरान न हो। वहीं अब बारदाने के संकट को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पीएम मोदी को पत्र लिखा। जिसमे जूट कमिश्नर को बारदाना डिमांड के अनुसार आपूर्ति कराने अनुरोध किया है।
अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा पीएम को पत्र लिखे जाने के बाद प्रदेश में सियासत धारदार हो गई है। सूबे के मुखिया द्वारा बारदानों की मांग पर भाजपा ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है।
नींद से नहीं जागी राज्य सरकार
नेता प्रतिपक्ष रामलाल कौशिक ने कहा कि मुख्यमंत्री और सत्ताधारी दल के द्वारा बोरे (Bardana Politics) को लेकर लगातार राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बार-बार जनता के बीच भ्रम फैला रही है कि केंद्र सरकार द्वारा बारदाना की उपलब्धता नहीं की जा रही है, जबकि विधानसभा में मंत्री ने जवाब दिया था कि किसानों को बोरा उपलब्ध कराने की जवाबदारी प्रदेश सरकार की है। नेता प्रतिपक्ष की माने तो समय पर बोरे की डिमांड भेजना, बैठक करना और एडवांस राशि भेजना और साथ ही बोरी की प्राप्ति करना राज्य सरकार की जवाबदेही है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी नहीं पूरे देश में जुट कमिश्नर के द्वारा बारदाना उपलब्ध कराया जाता है। ऐसी स्थिति में सभी को मालूम है कि बोरी की आवश्यकता एक साथ सभी को पड़ती है, इसलिए समय रहते डिमांड करना अनिवार्य है। लेकिन छत्तीसगढ़ की सरकार गहरी नींद में सोए रहती है।
प्रदेश सरकार पर लॉ एंड ऑर्डर की जवाबदारी
कौशिक ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति की जो बात कर रही है वह बेफिजूल है। वास्तव में किसानों का धान खरीदना सरकार का काम है और इसके लिए लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ती है तो राज्य सरकार की यह विफलता ही मानी जाएगी। राज्य सरकार को केंद्र पर आरोप लगाने के बजाय कानून व्यवस्था को सुचारू रखते हुए बारदाने की उपलब्धता पर तैयारी करना चाहिए। लेकिन अपनी जवाबदारी से छत्तीसगढ़ की सरकार भागना चाहती है। किसानों की धान खरीदने में सरकार कोताही बरत रही है। पिछले शासन काल में 1 नवंबर से धान खरीदी होने के बावजूद किसानों को बोरा मिलने में परेशानी नहीं होती थी। जबकि इस सरकार में 1 दिसंबर से धान खरीदी हो रही है, इसके बावजूद भी किसानों को बोरे के लिए दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
बारदाने पर न करे राजनीति
उन्होंने कहा कि सरकार के इस रवैए से साफ लगता है किसानों का धान समय पर ना लेना पड़े इसलिए ये स्थिति निर्मित की जाती है। धान खरीदी देर से शुरू होने के कारण प्रदेश के किसानों को 13 सौ से लेकर 14 सौ तक धान मजबूरी में बेचना पड़ रहा है। उन्हें 25 सौ रुपए का समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है। साथ ही केंद्र सरकार के समर्थन मूल्य से भी यह किसान वंचित रह जाते हैं। ऐसे में इन किसानों की भरपाई करने की जवाबदेही राज्य सरकार की होनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा अब बोरी (Bardana Politics) की राजनीति छोड़कर किसानों के धान खरीदने पर सरकार को ध्यान देना चाहिए ताकि किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना ना पड़े।
Read News : बारदानों की आपूर्ति कराने CM भूपेश ने PM मोदी को लिखा पत्र, कानून व्यवस्था बिगड़ने की जताई चिंता
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने यह कहा-
सीएम बघेल ने कसा तंज
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नेता प्रतिपक्ष के बयान पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा के बयान पर तरस आता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने जूट कमिश्नर की नियुक्ति की है और उन्हीं के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों में जूट के (Bardana Politics) बारदाने उपलब्ध कराने की जवाबदारी है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ ने भी अपनी मांग के अनुसार बारदाने की डिमांड की है।
केंद्र अपना रहा है भाई भतीजावाद
मुख्यमंत्री ने सीधे तौर पर केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र की सरकार छत्तीसगढ़ के साथ शुरू से ही भाई भतीजावाद करता आ रहा है। केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य से अधिक का धान खरीदने पर चावल नहीं खरीदने की बात कहती है। कभी कहते हैं उसना और अरवा चावल दोनों पर समर्थन मूल्य दीजिए। केंद्र के निर्देश को राज्य सरकार ने माना, लेकिन अब केंद ने पर उसना चावल पर पाबंदी लगा दी, जबकि उसना और अरवा का अनुपात मिलाकर ही केन्दीय पूल में चावल जमा किया जाता है। सीएम ने कहा कि अब पाबंदी लगाने का सीधा मतलब है कि हमें परेशान करना है।
पीएम से मिलने जा सकता है भूपेश मंत्रिमंडल
मुख्यमंत्री ने कहा कि बारदाने की आपूर्ति के साथ-साथ प्रदेश में उसना चावल लेने की अनुमति देने के लिए भी पत्र लिखा गया है। उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री के तरफ से पत्र का जवाब नहीं आता है तो प्रदेश के सभी मंत्री प्रधानमंत्री से समय लेकर उनसे मिलेंगे और छत्तीसगढ़ की समस्याओं को उनके सामने रखा जाएगा।