छत्तीसगढ़ में पहली बार! ढहाया गया पीएम आवास योजना का मकान

छत्तीसगढ़ में पहली बार! ढहाया गया पीएम आवास योजना का मकान

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  • जमीन किसी और की, किसी और के नाम पर बन गया था घर
  • दुर्ग जिले की उतई नगर पंचायत का वाकया
  • छत्तीसगढ़ में संभवतया ऐसा पहला मामला
  • कोर्ट के आदेश पर तहसलीदार ने की कार्रवाई

पवन बंजारे, उतई (दुर्ग)। प्रधानमंत्री आवास योजना (pmay chhattisgarh) से जुड़ा प्रदेश में चौंका देने वाला मामला सामने आया है। जहां पूरे देश में इस योजना के तहत लोगों को पक्का घर (pakka house demolish) प्रदान किया जाता है।

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वहीं प्रदेश के दुर्ग जिले के उतई में इस योजना (pmay chhattisgarh) के तहत बने पक्के मकान को बुलडोजर चलाकर तोड़ दिया गया (demolish) । यह छत्तीसगढ़ में अपने प्रकार का पहला मामला बताया जा रहा है। यह कार्रवाई न्यायालय के आदेश पर हुई। मकान (pakka house demolish) की कीमत करीब 2 लाख 26 हजार बताई जा रही है।

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ये है मामला

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नगर पंचायत उतई के मुख्य मार्ग से लगी जीमन पर दुर्गी साहू के नाम से प्रधानमंत्री आवास बनाया गया। लेकिन इस जमीन के विवाद संबंधी केस ज्यूडिशियल मजिस्टे्रट (प्रथम श्रेणी) मयूरा गुप्ता की अदालत में विचाराधीन था। यह जमीन पहले से ही ज्ञान बाई पारख, मांगनी बाई पारख, टेमिन बाई पारख के नाम से रजिस्टर्ड है।

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फैसला भी इन्हीं तीनों केे पक्ष में आया। कोर्ट ने 13 जनवरी के पहले जमीन को कब्जामुक्त कर इसे उक्त महिलाओं को सौंपने के आदेश तहसीलदार को दिए। जिसके अनुपालन में तहसीलदार जयेेंद्र सिंह के नेतृत्व में राजस्व विभाग की टीम ने पुलिस की मौजूदगी में मकान (pakka house demolish) को ढहाकर जमीन को कब्जा मुक्त कराने की कार्रवाई की। इस दौरान नायब तहसीलदार सत्येंद्र बघेल भी मौजूद रहे।

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बड़ा सवाल

प्रधानमंत्री आवास योजना (pmay chhattisgarh) के नियमों केे मुताबिक, आवास सेंक्शन कराने के लिए जमीन का खसरा या बी 1 या पट्टा लाभार्थी केे नाम पर होना अनिवार्य होता है। इस मामले में इन दस्तावेजों के बगैर आवास किसी और के नाम पर सेंक्शन हो जाना अपने आप में आश्चर्य है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि गड़बड़झाला किसने किया। जांच हो तो सामने आएगा कि दोष पटवारी का है या पीएम आवास योजना के अधिकारी का या फिर नगर पंचायत के इंजीनियर या अफसर का।

किसीको नहीं पता कि दोषी कौन!

हमने न्यायालय के आदेश के अनुपालन में कार्रवाई की। पीएम आवास योजना पर निगरानी के लिए हमें प्राधिकृत नहीं किया गया है। इसलिए नहीं बता सकते कि गलती किसकी है।
-जयेंद्र सिंह, तहसीलदार, दुर्ग

मुझे इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन आवास पटवारी द्वारा दिए गए नक्शे, खसरे या पट्टे के आधार पर ही जारी होता है।
-हेमंत सेन, सूडा, दुर्ग

मैंने उस जगह को लेकर किसी प्रकार का नक्शा नहीं दिया, तब देवेंद्र साहू पटवारी थे।
-रविन्द्र स्वर्णकार, वर्तमान पटवारी, उतई

मुझे इस मामले की कोई जानकारी नही है। मैं अभी बता भी नहीं सकता।
-देवेंद्र साहू, तत्कालीन पटवारी, उतई

न्यायालय के आदेशानुसार उक्त कब्जा, जो दुर्गी बाई के नाम से था, को मुक्त कर टेमिन बाई पारख वा अन्य को सौंपा गया है।

-सत्येंद्र बघेल, नायब तहसीलदार, दुर्ग

मुझे जानकारी प्राप्त हुई है, लेकिन किसकी गलती है ये नहीं बता सकता।
-आर के शुक्ला, सीएमओ, नगर पंचायत उतई

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