‘शिक्षक पर्व’ में शिक्षकों और छात्रों से रूबरू हुए पीएम मोदी, स्कूलों की गुणवत्ता बढ़ाने प्राइवेट सेक्टर को दिया आमंत्रण |

‘शिक्षक पर्व’ में शिक्षकों और छात्रों से रूबरू हुए पीएम मोदी, स्कूलों की गुणवत्ता बढ़ाने प्राइवेट सेक्टर को दिया आमंत्रण

PM Modi interacts with teachers and students in 'Shikshak Parv', invites private sector to increase quality of schools

NEP 2020

नई दिल्ली। NEP 2020 : प्रधानमंत्री मोदी आज ‘शिक्षक पर्व’ का उद्घाटन किया। उद्घाटन सम्मेलन में पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिक्षकों और छात्रों से रूबरू हुए। समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री सहित कई मंत्री भी शामिल हुए। इस दौरान पीएम मोदी ने छात्रों से जुडी कई योजनाओं का भी शुभारम्भ किया।

शिक्षा मंत्रालय नई शिक्षा नीति 2020 को आगे बढ़ाने और शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए 5 से 17 सितंबर के बीच शिक्षक पर्व मना रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने नई शिक्षा नीति (NEP 2020) की नई पहल के अन्तर्गत मंगलवार को यूडीएल आधारित 10 हजार शब्दों की आईएसएल डिक्शनरी, टॉकिंग बुक्स, निष्ठा 3.0, विद्यांजलि 2.0 और एसक्यूएएएफ को लॉन्च किया।

स्कूल और कॉलेज फिर से खुलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रसन्नता जाहिर की है। छात्रों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि डेढ़ 2 सालों में पहली बार छात्रों के चेहरे पर अलग सी चमक दिख रही है। यह चमक संभवत स्कूल खुलने की लगती है। प्रधानमंत्री ने प्राइवेट सेक्टर से कहा कि वे आगे आएं और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में योगदान दे। प्रधानमंत्री ने छात्रों समेत सभी लोगों से कहा कि कोरोना नियमों का पालन भी पूरी कड़ाई से करना है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “आज जो योजनाएं शुरू हुई हैं वह भविष्य के भारत को आकार देने में भूमिका निभाएंगी। मुझे पूरा भरोसा है यह न केवल हमारे एजुकेशन सिस्टम को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी बल्कि हमारे युवाओं को भी भविष्य के लिए तैयार करने में मदद करेगी।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “ऑनलाइन क्लासेस, ग्रुप वीडियो कॉल, ऑनलाइन प्रोजेक्ट, ऑनलाइन एग्जाम पहले ऐसे शब्द बहुत लोगों ने सुने भी नहीं थे। लेकिन हमारे शिक्षकों ने अभिभावकों ने हमारे युवाओं ने इन्हें सहजता से दैनिक जीवन का हिस्सा बना दिया। अब समय है अपनी क्षमताओं को हम आगे बढ़ाएं।”

विद्यांजलि 2.0 है एक जीवंत प्लेटफार्म

पीएम मोदी ने कहा, “विद्या सभी संपत्तियों में सबसे बड़ी संपत्ति है क्योंकि विद्या ही ऐसी संपत्ति है जो दूसरों को दान में देने से बढ़ती है। विद्यांजलि 2.0 इसी पुरातन परंपरा को अब एक नए कलेवर में मजबूत करेगी। देश ने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के साथ सब का प्रयास का जो संकल्प लिया है इस कड़ी में विद्यांजलि 2.0 उसके लिए एक जीवंत प्लेटफार्म की तरह है।”

प्राइवेट सेक्टर को आमंत्रण

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे समाज को हमारे प्राइवेट सेक्टर को आगे आना है और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में अपना योगदान देना है। उन्होंने कहा,साथियों अनादि काल से भारत में समाज की सामूहिक शक्ति पर भरोसा किया गया है। यह अर्से तक हमारी सामाजिक परंपरा का हिस्सा रहा है। जब समाज मिलकर कुछ करता है तो निश्चित परिणाम हम अवश्य मिलते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जन भागीदारी के जरिए स्वच्छता आंदोलन हो, हर गरीब के घर में गैस का कनेक्शन पहुंचाना हो हर क्षेत्र में भारत की प्रगति हुई है। अब विद्यांजलि भी इसी कड़ी में एक सुनहरा अध्याय बनने जा रही है। विद्यांजलि देश के हर नागरिक के लिए आह्वान है कि वह इसमें भागीदार बने देश के भविष्य गढ़ने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के लिए दो कदम आगे आए।

प्रधानमंत्री ने आव्हान करते हुए कहा, “आप एक इंजीनियर हो सकते हैं, एक डॉक्टर हो सकते हैं, एक रिसर्च साइंटिस्ट हो सकते हैं या फिर आईएएस अफसर, आप किसी स्कूल में जाकर बच्चों को कितना कुछ सिखा सकते हैं। आप के जरिए उन बच्चों को जो सीखने को मिलेगा उससे उनके सपनों को नई दिशा मिल सकती है।”

आधुनिक शिक्षा का माध्यम डिजिटल एजुकेशन

प्रधानमंत्री ने बताया कि आधुनिक बनाने में शिक्षा (NEP 2020) को आधुनिक बनाने में नेशनल डिजिटल एजुकेशनल की भी बड़ी भूमिका होने वाली है। जैसे यूपीआई इंटरफेस है, बैंकिंग सेक्टर में क्रांति ला दी है, वैसे ही नेशनल डिजिटल एजुकेशनल सभी शैक्षणिक गतिविधियों के गतिविधियों के बीच एक सुपर कनेक्टर की भूमिका अदा करेगा। यह सभी बदलाव हमारी आधुनिक शिक्षा का चेहरा भी बनेंगे और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में भेदभाव को भी खत्म करेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा, “आज देश टॉकिंग बुक और ऑडियोबुक जैसी तकनीक को शिक्षा का हिस्सा बना रहा है। ऐसा इसलिए ताकि सबको समान शिक्षा के अवसर मिल सके 10,000 शब्दों की इंडियन साइन लैंग्वेज डिक्शनरी को भी लॉन्च किया गया है। असम के बिहू से लेकर भारतनाट्यम तक सांकेतिक भाषा हमारे यहां सदियों से कला और संस्कृति का हिस्सा रही है। अब देश पहली बार साइन लैंग्वेज एक सब्जेक्ट के रूप में पाठ्यक्रम का हिस्सा बन रहा है। यह तकनीक दिव्यांगों की भी मदद करेगी। निपुण भारत के अंतर्गत 3 वर्ष से 8 साल तक के बच्चों के लिए एक मिशन लॉन्च किया गया है। 3 साल की उम्र से ही सभी बच्चे अनिवार्य तौर पर प्री स्कूल शिक्षा प्राप्त करेंगे। इस दिशा में जरूरी कदम उठाए जाएंगे।”

शिक्षक और छात्र के बीच पारिवारिक रिश्ता

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय छात्रों (NEP 2020) की विशेष पूंजी उनके भीतर के भारतीय संस्कार है। भूटान का राज परिवार हो या वहां के शासक, भारतीय शिक्षकों के बारे में बात करते हुए बड़े गर्व महसूस करते हैं। जब मैं सऊदी अरबिया के किंग से बात कर रहा था वह मुझे इतने गौरव से बता रहे थे कि उन्हें भारत के शिक्षक ने पढ़ाया है। शिक्षक के प्रति, कोई भी व्यक्ति कहीं भी पहुंचे, उसके मन में विशेष भाव होता है। हमारे शिक्षक अपने काम को एक पवित्र नैतिक कर्तव्य मानते हैं। इसलिए हमारे यहां शिक्षक और छात्र के बीच एक प्रोफेशनल रिश्ता नहीं होता बल्कि एक पारिवारिक रिश्ता होता है। यह रिश्ता व सम्मान पूरे जीवन का होता है।

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