आतंकवाद पर बैठक में मोदी के प्रस्ताव का कई देशों का समर्थन

आतंकवाद पर बैठक में मोदी के प्रस्ताव का कई देशों का समर्थन

ओसाका । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आतंकवाद पर विश्व सम्मेलन बुलाने के प्रस्ताव का विश्व के कई देशों ने जोरदार समर्थन किया है।
विदेश विभाग के प्रवक्ता रविश कुमार ने शनिवार को श्री मोदी के जी20 शिखर सम्मेलन के इतर हुए विश्व के विभिन्न देशों के नेताओं के साथ हुए द्विपक्षीय या बहुपक्षीय वार्ता का हवाला देते हुए यहां संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा,“प्रस्ताव को समर्थन मिला ….. मुझे लगता है कि यह समझा जाना चाहिए कि हम किस सम्मेलन की बात कर रहे हैं। मूल रूप से यह विचार है कि कई विषयों पर सम्मेलन हो रहे हैं, अब हम किसी ऐसे विषय पर सम्मेलन क्यों नहीं कर सकते हैं, जिसका सामना इस समय पूरी दुनिया कर रही है। यह (आतंकवाद) एक संकट है।”

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श्री कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने निश्चित रूप से कई द्विपक्षीय बैठकों में आतंकवाद के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा,“.. आपको बता सकता हूं कि यह काफी उत्साहजनक था, क्योंकि यह एक ऐसा विषय है जिसकी कोई भी देश अनदेखी नहीं कर सकता।”
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कितने देशों ने इसका समर्थन किया है, यह कहना संभव नहीं है। उन्होंने कहा,“यह एक नया विचार है, जिसकी विवेचना की जा रही है और हम इसे आगे ले जाएंगे।”
दूसरी बार सत्ता में आने के बाद श्री मोदी ने अपनी पहली विदेश यात्रा में मालदीव की संसद मजलिस को संबोधित करते हुए आतंकवाद के मुद्दे पर बैठक आयोजित करने की पेशकश की थी।
प्रधानमंत्री ने इसके बाद बिश्केक में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन तथा शुक्रवार को ओसाका में ब्रिक्स नेताओं के अनौपचारिक बैठक में भी अपने आतंकवाद के मुद्दे पर बैठक के इस नये प्रस्ताव को रखा था।
इस मुद्दे पर आरआईसी – रूस, भारत और चीन ने शुक्रवार को बैठक की। विदेश सचिव विजय गोखले के अनुसार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आतंकवाद के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के मुद्दे पर सहमत हुए।
श्री गोखले ने कहा कि आतंकवाद विचार-विमर्श में प्रमुखता से उभरा है और श्री मोदी ने इसे एक यह एक गंभीर चुनौती करार दिया है। उन्होंने यहां कहा,“श्री मोदी को आश्वासन दिया गया कि रूस और चीन आतंकवाद पर इस (वैश्विक सम्मेलन) का समर्थन करेंगे।”
श्री मोदी ने भी ट्वीट किया,“आरआईसी बैठक हमारे राष्ट्रों के बीच बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाने और विशेष रूप से आतंकवाद तथा जलवायु परिवर्तन से होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए काम करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए एक उत्कृष्ट मंच है।”

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