Plane Crash Investigation : हादसे के रहस्य से पर्दा उठेगा, पहली बार AAIB के सामने बैठेंगे पायलट

Plane Crash Investigation
Plane Crash Investigation : एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 का हादसा अब भी देश के लिए बड़ा सदमा बना हुआ है। इस हादसे की जांच अब AAIB (Aircraft Accident Investigation Bureau) कर रहा है और पायलट संगठन ALPA India भी इसमें शामिल होने जा रहा है। पायलटों का कहना है कि जांच में उनकी तकनीकी और अनुभव आधारित सलाह शामिल होने से क्रैश की असली वजह सामने आएगी और भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सकेगा। )
अहमदाबाद विमान हादसा इस साल का सबसे दुखद हादसा माना जा रहा है। 12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन जा रहा विमान उड़ान भरने के कुछ ही क्षण बाद दोनों इंजन बंद होने से दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस भीषण हादसे में विमान में सवार सभी 242 यात्री और क्रू की मौत हो गई, साथ ही जमीन पर 19 लोग भी मारे गए।
अब एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 क्रैश की जांच में शुक्रवार को पायलट संगठन (Plane Crash Investigation) का अहम कदम सामने आया है। एयरलाइंस पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ALPA India) की तीन सदस्यीय टीम आज दिल्ली स्थित AAIB मुख्यालय में बैठक करेगी। यह पहली बार होगा जब क्रैश के बाद पायलट संगठन और AAIB सीधे बातचीत करेंगे।
क्यों खास है यह बैठक
ALPA की टीम में कैप्टन अनिल राव और कैप्टन सैम थॉमस शामिल हैं। बैठक का मुख्य एजेंडा AI 171 क्रैश जांच और विमान सुरक्षा से जुड़े मुद्दे होंगे। ALPA का मानना है कि अगर जांच प्रक्रिया में स्वतंत्र पायलट बॉडी को शामिल किया जाए तो तकनीकी पहलुओं और सुरक्षा खामियों को बेहतर तरीके से सामने लाया जा सकेगा। यही कारण है कि यह बैठक (Plane Crash Investigation) एक अहम मोड़ मानी जा रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पायलटों (Plane Crash Investigation) की राय से जांच रिपोर्ट और भी पारदर्शी और विश्वसनीय बनेगी। एयरलाइंस और यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, यह बैठक न केवल अहमदाबाद हादसे की जांच बल्कि विमानन सुरक्षा के भविष्य को भी प्रभावित कर सकती है।
AAIB और इसका रोल
AAIB यानी एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट (Plane Crash Investigation) इनवेस्टीगेशन ब्यूरो भारत की सरकारी संस्था है, जो विमान हादसों की जांच करती है। जब कोई विमान क्रैश या गंभीर हादसा होता है, तो AAIB यह पता लगाती है कि दुर्घटना क्यों हुई, कौन-सी वजहें थीं और भविष्य में उन्हें कैसे रोका जा सकता है। यह टीम तकनीकी विशेषज्ञों के साथ मिलकर रिपोर्ट तैयार करती है और सुरक्षा संबंधी सिफारिशें भी देती है।