पितृ पक्ष 2024: पितृ ऋण क्यों और कैसे चुकाएं ? पितृपक्ष का समय 15 दिन ही क्यों है?

पितृ पक्ष 2024: पितृ ऋण क्यों और कैसे चुकाएं ? पितृपक्ष का समय 15 दिन ही क्यों है?

Pitru Paksha 2024: Why and how to repay Pitru Rin? Why is the duration of Pitru Paksha only 15 days?

Pitru Paksha 2024

-पूर्वजों का हम पर बहुत उपकार है, पितृ ऋण चुकाना हमारा कर्तव्य

Pitru Paksha 2024: भाद्रपद माह का कृष्ण पक्ष यानि पितृपक्ष। पितृपक्ष के दौरान शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इस दौरान हमारे पितर हमारे परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद देने आते हैं, इसलिए परिवार के जो सदस्य आज जीवित हैं उनका यह परम कर्तव्य है कि वे अपने पूर्वजों को याद करें और उनकी तिथि पर उनका श्राद्ध करें।

क्या श्राद्ध करना पड़ता है? हमारे तथाकथित आधुनिक विचार कम से कम इस धर्म में व्यवहार में नहीं आने चाहिए। हम किसी भी बात पर विश्वास नहीं करते, उनके नाम पर किसी संस्थान को दान देते हैं, ये बातें आजकल आम हैं। यदि आप इतना कुछ करते हैं तो अपनी पैतृक संपत्ति दान में क्यों नहीं दे देते? हालाँकि अगर वे चाहें तो उसके लिए अपना सिर फोड़ लेंगे, लेकिन श्राद्ध करना या न करना ही बुद्धिमानी है।

जिनके कंधों पर हम खेले, जिन्होंने हमें बनाने के लिए अपना पूरा जीवन बलिदान कर दिया, उनके निधन के दिन उनका स्मरण करना ही श्राद्धकर्म (Pitru Paksha 2024) करना है। हम अपनी पैतृक संपत्ति का उपभोग करते हैं, अपने पूर्वजों यानी कुल का नाम रखते हैं, चाहे वह जमीन हो, वाहन हो, धन हो, ज़मीन हो, पैसा हो, आभूषण हो, जो कुछ भी हमें विरासत में मिला है, हम उसका अधिकारपूर्वक उपभोग कर सकते हैं।

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि चला गया इंसान और हमारे वैचारिक मतभेद जीवन भर के लिए असरदार हो सकते हैं, लेकिन अब वह इंसान अगली यात्रा पर निकल चुका है। अरे आदमी तो चला गया, उसके साथ सब कुछ चला गया। उनका श्राद्ध करना एक अवसर है जो भगवान ने हमें उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए दिया है जिसका हमें लाभ उठाना चाहिए, लेकिन हम ऐसा कभी-कभार नहीं करते हैं।

हमारे पूर्वजों ने अपनी मेहनत से धन कमाया और उसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाया। न केवल धन, बल्कि कई रिश्ते जुड़े, लोग जुड़े, पहचान बनी, त्योहार एक साथ मनाए गए, परिवार की मिठास बरकरार रखी गई और बदले में हमारे जीवन को आकार दिया गया। पिछली पीढ़ी में हर काम एक-दूसरे से पूछकर करना और घर में बड़ों का सम्मान करना होता था।

आजकल परिवार बिखरे हुए हैं लेकिन कई बार हमें अपने माता-पिता की तारीखें भी नहीं पता होतीं तो हमारे बच्चों को क्या पता होगा जानिए कर्मों का भाग हमें भी भोगना पड़ता है, अगर दिवंगत आत्मा की बहुत सारी इच्छाएं हों तो शांति पाने के लिए श्राद्ध किया जाता है। ध्यान दें कि श्राद्ध न करने से परिवार में पितृदोष बढ़ता है।

पीढ़ी दर पीढ़ी लोग मूर्खों की तरह धर्म (Pitru Paksha 2024) का पालन नहीं कर रहे हैं बल्कि शास्त्र का सम्मान कर रहे हैं, शास्त्र को समझने से कोई किसी बात से इनकार नहीं करेगा लेकिन हम इसे समझने से आगे निकल गए हैं। आइए कुछ समय के लिए धर्म, कर्मकांड और विज्ञान को छोड़ दें, लेकिन दिवंगत व्यक्ति के लिए हमारे मन में कोई भावना नहीं बची है? एक पल के लिए इसके बारे में सोचो।

यदि आप अपने परिवार के किसी दिवंगत व्यक्ति का श्राद्ध नहीं करते हैं तो यह उचित नहीं है। माता-पिता द्वारा छोड़े गए धन के लिए घर में कलह, जीवन भर निभाए गए रिश्ते उसके लिए टूट जाते हैं, असाध्य बीमारी, अकेलापन, परिवार में एक-दूसरे के प्रति प्रेम की कमी महसूस होगी क्योंकि हम अपने कर्तव्य में विफल रहे हैं। इसे स्वीकार करें या शर्म महसूस करें या क्या? अरे, कैसा आलस्य? क्या आप नहीं चाहते कि कोई घर आये? चार लोग घर आते हैं तो बस में चढऩे-उतरने की परेशानी उठाने को तैयार नहीं होते।

आजकल तो श्रद्धा का सारा खाना भी तैयार हो जाता है, अब और क्या चाहिए? जो गुजर गया उसने हमारे लिए अपनी जिंदगी बिता दी, हमें इंसान बना दिया, हमारी शिक्षा, शादी ने हमारे लिए क्या नहीं किया? और आज भी हम उनके जीवन पर हैं, हमें इस बात को एक पल के लिए भी नहीं भूलना चाहिए। आप उनके लिए एक दिन में चार घंटे का अनुष्ठान नहीं कर सकते। यह सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण है।

बहुत से लोग प्रश्न पूछते हैं, कुछ लोग कुछ भी नहीं करते, श्राद्ध तो क्या, दैनिक पूजा भी नहीं, देव धर्म तो कुछ भी नहीं, पर सब ठीक कैसे चल रहा है? क्योंकि उनके पूर्वजों और उन्होंने स्वयं अनेक जन्मों में जो कुछ किया है, उसका अच्छा फल तो वे भोग रहे हैं, परंतु आज या कल वह संचय समाप्त होने वाला है, तो आगे क्या? बात यह है कि उन्हें इस जन्म के अच्छे और बुरे फल भोगने होंगे। शायद इस जीवन में नहीं लेकिन इसका आनंद लेने के लिए बार-बार जन्म लेना पड़ता है। क्या हम सचमुच श्राद्ध न करने का कोई कारण बता कर दोष दूर कर सकते हैं? उत्तर है नहीं? आपका धर्म जो कहता है उसका पालन न करना और अपनी मनमर्जी करना ठीक नहीं है।

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