पेसा नियम : पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने लिखित या Mail पर मांगे सुझाव
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PESA Rules
PESA Law : नियमों का प्रारूप वेबसाइट पर अपलोड, 15 दिन में दे सकते हैं सुझाव
रायपुर/नवप्रदेश। PESA Law : पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने लिखित या Mail पर सुझाव मांगे है। छत्तीसगढ़ में पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 (‘पेसा’ अधिनियम) के प्रावधानों के क्रियान्वयन के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा तैयार इसके नियमों पर नागरिकों से सुझाव आमंत्रित किया गया है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव के निर्देश पर छत्तीसगढ़ पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) नियम, 2021 (पेसा नियम प्रारूप प्राविधिक) को विभागीय वेबसाइट prd.cg.gov.in पर (PESA Law) अपलोड किया गया है। प्रस्तावित नियमों से संबंधित सुझाव विभाग को लिखित रूप में या ई-मेल के माध्यम से 15 दिनों के भीतर भेजा जा सकता है।
नागरिक अपने सुझाव संचालक, पंचायत संचालनालय, विकास भवन, भू-तल, नॉर्थ ब्लाक, सेक्टर-19, नवा रायपुर, अटल नगर, छत्तीसगढ़ को लिखित रूप में या विभाग की ई-मेल आईडी dp.cg@nic.in पर प्रेषित कर सकते हैं।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव प्रदेश में ‘पेसा’ कानून (PESA Law) को अमलीजामा पहनाने नियम बनाने के लिए पिछले डेढ़ वर्ष से आदिवासी विकासखंडों के लोगों, आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों, निर्वाचित जनप्रतिनिधियों, जनजातियों के कल्याण, पंचायतीराज सशक्तिकरण और वनाधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों से लगातार चर्चा कर सुझाव प्राप्त कर रहे हैं।
उन्होंने विगत 17 नवम्बर को प्रदेश के सांसदों और विधायकों से भी विभाग द्वारा तैयार पेसा के प्रस्तावित नियमों पर रायशुमारी की है।
क्या है पेसा एक्ट?
बता दें कि पेसा एक्ट के तहत स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों की समिति को अधिकार दिए जाएंगे, जिससे अनुसूचित जाति और जनजाति वाली ग्राम पंचायतों को सामुदायिक संसाधन जैसे जमीन, खनिज संपदा, लघु वनोपज की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार मिल जाएगा। पेसा एक्ट लागू होने के बाद सामुदायिक वन प्रबंधन समितियां वर्किंग प्लान के अनुसार, हर साल माइक्रो प्लान बनाएंगे और उसे ग्राम सभा से अनुमोदित कराएंगे। बता दें कि पेसा एक्ट 24 अप्रैल 1996 को बनाया गया था और कई राज्यों में यह लागू है।
पेसा कानून को लाने का उद्देश्य आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्व-शासन को मजबूती देना है। देश के 10 राज्यों में यह कानून लागू है लेकिन छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और ओडिशा में यह पूरी तरह से लागू नहीं है। अब छत्तीसगढ़ सरकार ने इस कानून को राज्य में पूरी तरह से लागू करने का ऐलान कर आदिवासियों को बड़ी सौगात दी है। पेसा कानून के तहत ग्राम सभाओं को आदिवासी समाज की परंपराओं, रीति रिवाज, सांस्कृतिक पहचान, समुदाय के संसाधन और विवाद समाधान के लिए परंपरागत तरीकों के इस्तेमाल के लिए सक्षम बनाया गया है।
जनजातीय ग्राम सभाओं को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास के काम में अनिवार्य परामर्श की शक्ति दी गई है। साथ ही खदानों और खनिजों के लाइसेंस/पट्टा देने के लिए ग्राम सभा को सिफारिशें देने का अधिकार दिया गया है।