PESA Law : छत्तीसगढ़ में 'पेसा' कानून बहुत जल्द...

PESA Law : छत्तीसगढ़ में ‘पेसा’ कानून बहुत जल्द…

PESA Law: 'PESA' law in Chhattisgarh very soon

PESA Law

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री सिंहदेव के साथ पांच घंटे की पांचवीं मैराथन बैठक

रायपुर/नवप्रदेश। PESA Law : छत्तीसगढ़ में ‘पेसा’ के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए नियम बनाने का काम अंतिम चरण में है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव इसके लिए विभागीय अधिकारियों के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं।

उन्होंने वीडियो कांफ्रेंस से पांच घंटे तक चली आज सोमवार को पांचवीं मैराथन बैठक में प्रदेश में ‘पेसा’ (पंचायत उपबंध- अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार अधिनियम, 1996) लागू करने के लिए नियमों को अंतिम रूप देकर सहमति एवं आवश्यक कार्यवाही के लिए दो दिनों में संबंधित विभागों में भेजने के निर्देश दिए।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री सिंहदेव ने बैठक में कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ‘पेसा’ (PESA Law) को लागू करने प्रतिबद्ध है। जनजातीय समाज के हितों की रक्षा और वनांचलों के विकास में उनकी सीधी भागीदारी सुनिश्चित करने में ‘पेसा’ महती भूमिका निभाएगा। इससे न केवल उनकी संस्कृति, परंपरा, रीति-रिवाजों और पारंपरिक ज्ञान को सुरक्षित रखा जा सकेगा, बल्कि उनके कल्याण के लिए जल, जंगल और जमीन के साथ अन्य प्राकृतिक संसाधनों को भी सहेजा जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि ‘पेसा’ अनुसूचित क्षेत्र के लोगों के लिए संवेदनशील विषय रहा है। उन्होंने इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अनुसूचित क्षेत्रों के रहवासियों, समुदायों, जनप्रतिनिधियों और आदिवासी मुद्दों के जानकारों से प्राप्त सुझावों को भी शामिल कर नियम तैयार करने के निर्देश दिए।

सिंहदेव ने प्रदेश में ‘पेसा’ को अमलीजामा पहनाने के लिए पिछले एक वर्ष से भी अधिक समय से विभिन्न आदिवासी समाजों, पंचायतीराज सशक्तिकरण व वनाधिकार के लिए काम कर रहे गैर-सरकारी संगठनों और व्यक्तियों से लगातार चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश के कई विकासखंडों का भ्रमण कर अनुसूचित क्षेत्रों के स्थानीय निवासियों से भी चर्चा कर ‘पेसा’ के संबंध में राय और सुझाव प्राप्त किए हैं।

क्या है ‘पेसा’ कानून

‘पेसा’ कानून (PESA Law) समुदाय की प्रथागत, धार्मिक एवं परंपरागत रीतियों के संरक्षण पर असाधारण जोर देता है। इसमें विवादों को प्रथागत ढंग से सुलझाना एवं सामुदायिक संसाधनों का प्रबंध करना भी सम्मिलित है। कानून की धारा 4 अ एवं 4 द निर्देश देती है कि किसी राज्य की पंचायत से संबंधित कोई विधि उनके प्रथागत कानून, सामाजिक एवं धार्मिक रीतियों तथा सामुदायिक संसाधनों के परंपरागत प्रबंध व्यवहारों के अनुरूप होगी और प्रत्येक ग्राम सभा लोगों की परंपराओं एवं प्रथाओं के संरक्षण एवं संवर्द्धन, उनकी सांस्कृतिक पहचान, सामुदायिक संसाधनों एवं विवादों को प्रथागत ढंग से निपटाने में सक्षम होंगी।

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