संपादकीय : संसदीय नियमों का पालन सुनिश्चित हो

संपादकीय : संसदीय नियमों का पालन सुनिश्चित हो

Parliamentary rules must be followed

Parliamentary rules


Parliamentary rules: 18वीं लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान लोकसभा और राज्यसभा में सत्ता और विपक्ष के बीच जो आचरण देखने को मिला उससे संसदीय नियमों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत शिद्दत के साथ महसूस हो रही है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को विपक्ष के आचरण पर नाराजगी दिखानी पड़ी। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने निश्चित रूप से अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए सरकार को जमकर घेरा लेकिन उन्होंने ससंदीय नियमों का भी उल्लंघन किया।

नतीजतन उनके अभिभाषण कें कुछ अंशों को सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया। इस पर आपत्ति उठाते हुए राहुल गांधी ने स्पीकर को एक चिटठी लिखकर अपनी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि उनके भाषण के कुछ हिस्सों को हटाना लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है। इसलिए हटाए गए हिस्सों को फिर से बहाल किया जाए।

राहुल गांधी ने स्पीकर पर भेदभाव का भी आरोप लगा दिया। उन्होंने कहा है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के भाषण में भी ऐसे आरोपों की भरमार थी लेकिन उनके भाषण से बहुत छोटा हिस्सा हटाया गया। गौरतलब है कि अनुराग ठाकुर ने विपक्ष को आईना दिखा दिया था।

भारतीय संविधान की प्रतियां लहराने वाले विपक्षी नेताओं से अनुराग ठाकुर ने सदन में यह सवाल पूछ लिया था कि भारतीय संविधान की जिन प्रतियों को वे लहराते हैं। उसमें कितने पृष्ठ हैं यह बताएं। उनके इस सवाल का विपक्ष के किसी नेता के पास कोई जवाब नहीं था। इस पर अनुराग ठाकुर ने तंज कसा था कि संविधान की प्रति को आप लहराते हो उसे कभी खोल कर देख भी लिया करो।

उनकी यह बात विपक्ष को चुभ गई थी। यह बात अलग है कि इसके बाद अनुराग ठाकुर ने भी कुछ आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग कर दिया था। जिसे सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया है। बहरहाल लोकसभा और राज्यसभा में जिस तरह का अमर्यादित आचरण देखने को मिला उसके बाद अब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही के नियमों में कुछ संशोधन करने की घोषणा की है।

नए नियमों के मुताबिक अब लोकसभा में शपथग्रहण के दौरान सभी सांसदों को नियमानुसार ही शपथ लेनी पड़ेगी। इस दौरान वे और कोई नारा नहीं लगा पाएंगे। यह नियम तो अब अगले पांच साल बाद उपयोग में आएगा। जरूरत तो अभी इस बात की है कि सदन के भीतर संसदीय नियमों (Parliamentary rules) का कड़ाई पूर्वक पालन सुनिश्चित किया जाए।

जो भी सदस्य सदन में बगैर किसी तथ्य के झूठे आरोप लगाते हैं उन्हें सिर्फ चेतावनी देकर न बख्शा जाए बल्कि उनके खिलाफ कार्यवाही का भी प्रावधान किया जाए। ताकि प्रजातंत्र के इस सबसे बड़े मंदिर की गरिमा बनी रही और संसद का काम व्यर्थ के बवाल के कारण प्रभावित न हो और इसका काम सुचारू रूप से चल सके।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी लोकसभा और राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान इस बारे में अध्यक्षीय आसंदी का ध्यान आकर्षित किया था। इसके पूर्व उन्होंने जब एनडीए सांसदों के साथ बैठक की थी। तब भी उन्होंने एनडीए के सांसदों को समझाइश दी थी कि वे संसद में संसदीय नियमों का पालन करें और ऐसा कोई आचरण न करें जो अशोभनीय हो।

पीएम मोदी की इस अपील पर उनके सांसद अमल करते नजर आए लेकिन आईएनडीआईए के सांसदों ने संसदीय नियमों (Parliamentary rules) की अनदेखी की। भविष्य में संसद की कार्यवाही के दौरान ऐसा दृश्य देखने को न मिले इसके लिए कारगर पहल करना जरूरी है।

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