Pandit Shiv Kumar Sharma Death : चला गया संतूर का ‘सरताज’, PM-CM ने किया ट्विटर
नई दिल्ली। Pandit Shiv Kumar Sharma Death : संगीत जगत से एक बुरी खबर सामने आ रही है। पद्म विभूषण भारतीय संगीतकार और संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई में निधन हो गया।
शिवकुमार शर्मा का निधन 84 वर्ष के थे। शिवकुमार पिछले छह महीने से किडनी संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे और डायलिसिस पर थे। कार्डियक अरेस्ट के कारण उनका निधन हो गया। इस खबर के सामने आते ही पूरी इंडस्ट्री में शोक की लहर है। सोशल मीडिया पर स्टार्स और फैंस पोस्ट के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हें।
पंडित शिवकुमार शर्मा के निधन पर देश के प्रभानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ‘पंडित शिवकुमार शर्मा जी (Pandit Shiv Kumar Sharma Death) का निधन हमारी सांस्कृतिक दुनिया के लिए बहुत क्षति है। उन्होंने संतूर को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाया। उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध करता रहेगा। मुझे उनके साथ अपनी बातचीत अच्छी तरह याद है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। शांति।’
पद्म विभूषण पंडित शिव कुमार शर्मा ने जम्मू कश्मीर में संतूर को एक म्यूजिकल इंट्रूमेंट के तौर पर पहचान दिलाई थी। वह देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपने संतूर के जादू को बिखेरा। संतूर के चलते उन्होंने पूरी दुनिया में एक नई पहचान बनाई थी। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में पंडित शिवकुमार शर्मा का महत्वपूर्ण योगदान रहा। यही नहीं शिव कुमार शर्मा कई फिल्मों में भी संगीद दिया है। उन्होंने फिल्मों में अकेले नहीं बल्कि पंडित हरि प्रसाद चौरसिया के साथ मिलकर संगीत दिया था। शिव कुमार शर्मा और हरि प्रसाद चौरसिया की जोड़ी को शिव हरी के रूप में पहचाना जाता था। इस जोड़ी ने ‘सिलसिला’, ‘लम्हे’ और ‘चांदनी’ जैसी फिल्मों में अपने बेहतरीन संगीत से फिल्म में चार चांद लगाए।
दूसरी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रसिद्ध संतूर वादक पद्म विभूषण पं. शिवकुमार शर्मा के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया। उन्होंने पंडित जी के निधन को संगीत जगत के लिए बड़ी क्षति बताते हुए शोक संतप्त परिवारजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की व दिवंगत आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की।
आपको बात दें कि पंडित शिवकुमार शर्मा का (Pandit Shiv Kumar Sharma Death) जन्म कश्मीर के एक संगीत से जुड़े परिवार में सन 1938 में हुआ था। उन्होंने संगीत की शुरुआती शिक्षा अपने पिता से ली। इसके बाद उन्होंने संतूर में महारत हासिल की थी। मजह 15 साल की उम्र में उन्होंने जम्मू रेडियो के साथ एक प्रसारक की नौकरी भी की।