संपादकीय: गृह युद्ध की कगार पर पाकिस्तान

Pakistan on the brink of civil war
Editorial: पड़ौसी देश पाकिस्तान अपनी लगाई आग में खुद ही जल रहा है। नतीजतन वहां गृह युद्ध के हालात निर्मित हो गये हैं। पाकिस्तानी सेना और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने जिस आतंकी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक को पाला पोशा था और उसे आतंकी संगठन से राजनीतिक पार्टी का दर्जा दिलाया था आज वही टीएलपी पाकिस्तान के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। टीएलपी ने पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ पिछले चार दिनों से मोर्चा खोल रखा है। इस्लामाबाद लाहौर और कराची में टीएलपी के लाखों समर्थक सड़कों पर उतर आये हैं और उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं। टीएलपी प्रमुख पुलिस द्वारा की गई फाइरिंग में घायल हो गये इसके बाद यह प्रदर्शन और उग्र हो गया है।
पुलिस के साथ इन प्रदर्शनकारियों की झड़प में सौ से ज्यादा लोग मारे गये हैं और एक हजार से अधिक घायल हो गये हैंं। टीएलपी के इस आंदोलन का अब पाकिस्तान के अन्य विपक्षी दल भी समर्थन कर रहे हैं। जिससे आगे चलकर पाकिस्तान में गृह युद्ध छिडऩे की आशंका बलवति हो गई है। टीएलपी इस बात से नाराज है कि पाकिस्ताान ने गाजा समझौते का समर्थन क्यों किया है। वह सरकार पर दबाव डाल रही है कि अमेरिका के दबाव में आकर पाकिस्तान गाजा समझौते पर हस्ताक्षर न करे। टीएलपी की इस मांग का पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियां भी खुलकर समर्थन कर रही है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और आर्मी चीफ असीम मुनीर पर अमेरिका का दबाव बढ़ गया है कि वह इस समझौते पर हस्ताक्षर करे। जिसका अब पाकिस्तान में ही भारी विरोध हो रहा है। गौरतलब है कि तहरीक-ए-लब्बैक का गठन 2014 में हुआ था और इसे पाकिस्तानी सेना ने अपना टूल कीट बनाकर रखा था। इस संगठन के जरिए पाकिस्तानी सेना ने पहले नवाज शरीफ की सरकार का तख्तापलट कराया था उसके बाद जब इमरान खान ने भी पाकिस्तानी सेना के हाथों की कठपुतली बनने से इंकार किया था तो पाकिस्तानी सेना ने टीएलपी से उग्र आंदोलन कराकर इमरान खान की सरकार का भी तख्तापलट करा दिया था और यहां तक की पाकिस्तान के सर्वाधिक लोकप्रिय प्रधानमंत्री रहे इमरान खान को जेल भी भेज दिया गया था। जो आज भी जेल में है।
इस बीच तहरीक-ए-लब्बैक ने राजनीतिक पार्टी का दर्जा भी हासिल कर लिया और आज की तारीख में वह पाकिस्तान की चौथी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है। जाहिर है टीएलपी की ताकत बढ़ती जा रही है और अब उसने शाहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है जिसकी वजह से पाकिस्तान में हिंसा का तांडव होने लगा है वहीं दूसरी तरफ पीओके में भी शाहबाज शरीफ की सरकार और पाकिस्तान की सेना के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजने लगा है और वहां पीओके को पाकिस्तान की अलग करने की मांग जोर पकड़ती जा रही है।
पाकिस्तान के अन्य प्रांतों में भी अलगावाद की आग को हवा दी जा रही है। वहीं पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर एयर स्ट्राइक करके और मुसीबत मोल ले ली है। हालांकि पाकिस्तान और तालिबान के बीच 48 घंटों का सीजफायर हो गया है लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव बदस्तूर जारी है और पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान के बीच जंग होने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। इन तमाम हालातों को मद्देनजर रखकर यदि पाकिस्तान में जल्द में गृह युद्ध भड़क जाये और शाहबाज शारीफ की सरकार का भी तख्तापलट हो जाए तो कोई ताज्जुब नहीं होगा।