पाकिस्तान को सबा जैसों की जरूरत

पाकिस्तान को सबा जैसों की जरूरत

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नीरज मनजीत
सबाहत क़मर ज़मान, जिसे सबा क़मर के नाम से जाना जाता है, पिछले तीन-चार दिनों से पाकिस्तान और भारत के मीडिया में चर्चा और विवादों में हैं। सबा पाकिस्तान टीवी की सर्वाधिक मशहूर और बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक है। उनके कई टीवी सीरियलों ने पाकिस्तान में लोकप्रियता के कई प्रतिमान स्थापित किए हैं और उन्हें वहाँ कई प्रतिष्ठित अवार्ड्स से नवाज़ा गया है। भारतीय सिने चहेतों के लिए भी सबा कोई अपरिचित नाम नहीं है। हमारे सिनेमा के ख्यात अभिनेता इरफान खान के साथ वे भूषण कुमार की फिल्म ‘हिंदी मीडियम’ में काम कर चुकी हैं। हिंदुस्तानी फि़ल्म ‘मंटो’ में भी उन्होंने नूर का किऱदार अदा किया था। क़मर को लक्स स्टाइल अवार्ड, हम अवार्ड और फि़ल्मफ़ेयर अवार्ड के नामांकन सहित कई सम्मान मिल चुके हैं। उन्हें पाकिस्तान सरकार ने 2012 में तमगा-ए-इम्तियाज़ और 2016 में प्राइड ऑफ़ परफॉर्मेंस से सम्मानित किया था।

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सबा सुर्खियों में तब आईं जब लाहौर पुलिस ने एक मामले में उनके और गायक बिलाल सईद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। दरअसल, सबा और बिलाल ने 11 अगस्त को लाहौर की वज़ीर खान मस्जिद के अंदर एक म्यूजिक वीडियो शूट किया था। इस म्यूजिक वीडियो का एक शॉर्ट क्लिप एकाएक सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस क्लिप में निकाह का सीन दिखाया गया है, जिसमें सबा और बिलाल दुल्हन-दूल्हा के कपड़े पहने विवाह- नृत्य कर रहे हैं।

इसे लेकर पाकिस्तान के धार्मिक और राजनीतिक गलियारों में हंगामा मच गया और सोशल मीडिया पर सबा ट्रोल होने लगीं। पाकिस्तान के कट्टरपंथियों को यह काफी नागवार गुजरा और वे कहने लगे कि सबा क़मर और बिलाल सईद पर ईश-निंदा का मामला दर्ज किया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने वज़ीर खान मस्जिद की पवित्रता का अनादर किया है। हालांकि, पाकिस्तान के सदर इमरान खान सहित पाकिस्तान के कई प्रगतिशील प्रबुद्धजनों ने सोशल मीडिया पर सबा और बिलाल का पक्ष लेते हुए कहा कि उन्होंने किसी ग़लत इरादे से यह वीडियो शूट नहीं किया था, सो इस मामले को ज़्यादा तूल नहीं दिया जाना चाहिए।

पर उनके इन बयानों का उल्टा असर पड़ा। कई इमरान विरोधी सियासतदानों और कट्टरपंथियों ने इस मामले को लपक लिया और सबा-बिलाल के खि़लाफ़ बाक़ायदा अभियान ही चला दिया। इन दोनों की गिरफ़्तारी की मांग होने लगी। नतीजतन, लाहौर के एक वकील सरदार फऱहत मंज़ूर खान की शिकायत पर लाहौर पुलिस ने 13 अगस्त को पाकिस्तान पीनल कोड (पीपीसी) के सेक्शन 295 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली। हालाँकि, अभी सबा और बिलाल को कोर्ट से अंतरिम ज़मानत मिल गई है और उन्होंने माफ़ी भी मांग ली है, पर कट्टरपंथियों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है।

मामला दर्ज हो जाने के बाद सबा ने अपनी बात रखते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा था कि–“जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, वो केवल एक सर्कुलर मूवमेंट था, ताकि हम इस म्यूजिक वीडियो के पोस्टर के लिए तस्वीरें खींच सके। इस वीडियो में एक शादीशुदा युगल को उनके निक़ाह के ठीक बाद दिखाया गया है। इसके बावजूद अगर हमने ना चाहते हुए भी किसी की भावनाएं आहत की हों, तो हम दिल से माफ़ी मांगते हैं। सभी के लिए प्यार और शांति।

दरअसल, सबा पाकिस्तान की उन प्रोग्रेसिव महिला सितारों में से एक है, जो अपने मुल्क में औरतों की बदहाली और शोषण के खि़लाफ़ निहायत ही संवेदनशीलता और मुखरता से आवाज़ उठाती हैं और सच बोलती हैं। कुछ महीने पहले भी वे हाफिज़़ सईद की आलोचना को लेकर विवादों में और कट्टरपंथियों के निशाने पर थीं। तब एक वीडियो में सबा ने दुनिया के बरअक़्स पाकिस्तान की हक़ीक़त बयां करते हुए अपना दर्द ज़ाहिर किया था। एक पाकिस्तानी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में सबा ने कहा था, “पाकिस्तान एक पाक़ ज़मीन मानी जाती है। जिसके लिए हम पाकिस्तान जि़ंदाबाद के नारे भी लगाते हैं। लेकिन जब हम किसी बाहरी देश में जाते हैं, तो जिस तरह से हमारी चेकिंग होती है, वो मैं आपको बता भी नहीं सकती। मुझे बहुत शर्म आती है कि एक-एक करके हमारे कपड़े उतारे जाते हैं।”

सबा ने आँसू बहाते हुए आगे कहा था, “मुझे याद है कि मैं भारतीय लोगों के साथ शूटिंग के लिए विदेश गई थी। जहाँ एयरपोर्ट पर भारतीयों को आसानी से जाने दिया गया और मुझे रोक लिया गया। मुझे रोकने के पीछे की वजह थी मेरा पाकिस्तानी होना। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि ये इज़्ज़त है हमारी, ये पोजीशन है और हम कहां स्टैंड करते हैं।

सच कहा जाए तो आज पाकिस्तान मुफ़लिसी, बदनामी, जहालत और नाकामी के मक़ाम पर आ खड़ा हुआ है। इसके लिए प्रतिशोध और ईष्र्या की आग में जलते हुक्मरान, पाक आर्मी, आईएसआई, वहाँ के कट्‌टरपंथी और दहशतगर्द ही जिम्मेदार हैं। इस बात के लिए हम पाकिस्तान के अवाम को कतई दोष नहीं दे सकते। हुक्मरानों, आर्मी और दहशतगर्दों ने उन्हें इस लायक छोड़ा ही नहीं है कि वे आगे बढ़ती दुनिया के साथ अपने मुल्क को जोड़ सकें। कहने को चीन उसके साथ जरूर खड़ा है, पर यह गठजोड़ कितना बेमेल और विचार-असंगत है, यह पूरी दुनिया जानती है। एक ओर पूंजीवाद की ओर बढ़ता साम्यवादी देश और दूसरी ओर साम्यवादी सिद्धांतों के ठीक विपरीत खड़ा घोर कट्टरपंथी मज़हबी देश। विश्व राजनीति की यह उलटबांसी दोनों देशों के संयुक्त भारत विरोधी एजेंडे को लेकर ही संभव हो पाई है।

कुछ वर्ष पहले चीन ने पाकिस्तान से वादा किया था कि वह पाक को एशिया का टाइगर बनाएगा। चीन के इस वादे-इरादे पर आर्मी, आतंकवादियों और आईएसआई ने ही पलीता लगा दिया है।
दरअसल, पाक आर्मी, आईएसआई और आतंकवादियों के गठजोड़ के इरादे ही घोर नकारात्मक एजेंडे पर टिके हुए हैं। इस एजेंडे में अपने मुल्क को आगे ले जाने का विचार कहीं है ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देश को पीछे धकेलने और उसे तरक़्क़ी के रास्ते से बेपटरी कर देने का नकारात्मक विचार ही प्रमुख है। यह गठजोड़ पाकिस्तानी अवाम को जहालत और गऱीबी के अंधेरे में रखने की कीमत पर अपना एजेंडा आगे बढ़ा रहा है।

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