Paddy Token Problem : धान ख़रीदी पर सदन में उठा किसानों का दर्द, टोकन से लेकर भुगतान तक सरकार से मांगे जवाब

Paddy Token Problem

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छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आज धान ख़रीदी का मुद्दा पूरी गंभीरता के साथ सदन (Paddy Token Problem) में उठा। नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने किसानों से जुड़ी समस्याओं को रखते हुए सरकार पर तीखे सवाल खड़े किए और इस विषय पर स्थगन स्वीकार कर विस्तृत चर्चा कराने का आग्रह किया। उनका कहना था कि ज़मीनी हकीकत सरकार के दावों से बिल्कुल अलग है और किसान लगातार परेशान हो रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने सदन को बताया कि बड़ी संख्या में किसानों का पंजीयन अब तक नहीं हो पा रहा है। पंजीयन न होने और समय पर टोकन नहीं मिलने के कारण किसान मानसिक दबाव (Paddy Token Problem) में हैं। उन्होंने कहा कि टोकन की व्यवस्था इतनी अव्यवस्थित है कि सुबह 8 बजे प्रक्रिया शुरू होती है और 8:05 तक टोकन खत्म हो जाता है, जिससे कई किसान खाली हाथ लौटने को मजबूर हो रहे हैं।

चरण दास महंत ने यह भी आरोप लगाया कि टोकन नहीं मिलने से किसान आर्थिक संकट में फंस रहे हैं और कुछ मामलों में आत्महत्या जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि 70 प्रतिशत टोकन ऑनलाइन और 30 प्रतिशत ऑफलाइन बताए जा रहे हैं, लेकिन 30 प्रतिशत किसानों को ऑनलाइन टोकन तक नहीं मिल पा रहा है। कई किसानों का रकबा शून्य कर दिया गया है, जिससे वे धान बेचने के अधिकार से ही वंचित हो रहे हैं।

धान ख़रीदी के दौरान बोरे को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए गए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रति बोरा दो रुपये की अवैध वसूली (Paddy Token Problem) की जा रही है। इसके अलावा बोरे का वजन तय मानक से ज्यादा होने के कारण किसानों को सीधा नुकसान उठाना पड़ रहा है। नमी का हवाला देकर कई जगहों पर धान लेने से इनकार किया जा रहा है, जबकि उसी केंद्रों तक अवैध धान कैसे पहुंच रहा है, इस पर सरकार को जवाब देना चाहिए।

भुगतान व्यवस्था पर भी सदन में चिंता जताई गई। किसानों को यह तक नहीं बताया जा रहा कि उनकी धान की राशि कब और कितनी मिलेगी। न तो बैंक स्पष्ट जानकारी दे रहे हैं और न ही समितियां। नेता प्रतिपक्ष ने दावा किया कि करीब 95 प्रतिशत धान का उठाव अब तक नहीं हुआ है, जिससे खरीदी केंद्रों पर अव्यवस्था और बढ़ गई है।

सरकार द्वारा प्रति किसान 21 क्विंटल धान खरीदी के दावे पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि हकीकत में 14 से 15 क्विंटल तक ही धान खरीदा जा रहा है। किसानों को न तो सही जानकारी मिल रही है और न ही भरोसेमंद व्यवस्था। इन्हीं कारणों से धान ख़रीदी को लेकर सदन में गंभीर चर्चा की मांग की गई।

नवा रायपुर स्थित विधानसभा भवन में चल रहे शीत सत्र में धान ख़रीदी का यह मुद्दा आने वाले दिनों में और बड़ा राजनीतिक विषय बन सकता है। किसानों की परेशानियों को लेकर उठे सवाल सरकार के लिए बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रहे हैं।

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