धान खरीदी को लेकर केंद्र के खिलाफ 15 को दिल्ली में छग कांग्रेस करेगी आंदोलन
- 5 से 15 नवंबर तक क्रमबद्ध तरीके से होगा आंदोलन
- 13 को रायपुर से दिल्ली के लिए किसानों के साथ कूच करेंगे कांग्रेस कार्यकर्ता, पीएम को सौंपेंगे छत्तीसगढ़ के किसानों का पत्र
- 5-12 नवंबर तक ब्लॉक व जिला स्तर पर प्रदर्शन करेंगे कार्यकर्ता
रायपुर/नवप्रदेश। धान खरीदी (paddy procurement) को लेकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस (chhattisgarh congress) केंद्र सरकार के खिलाफ (against central government) आंदोलन करेगी। 5 से 15 नवंबर तक क्रमबद्ध तरीके से आंदोलन (agitation) किया जाएगा। दिल्ली में 15 नवंबर को व्यापक आंदोलन होगा।
रायपुर में हुई प्रदेश कांग्रेस (chhattisgarh congress) की बैठक में फैसला लिया गया। बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीएल पूनिया, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम समेत अन्य नेता मौजूद थे। पुनिया ने बताया कि 5 से 12 नवंबर तक कांग्रेस कार्यकता केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों के साथ मिलकर ब्लॉक व जिला स्तर पर केंद्र सरकार के खिलाफ (against central government) आंदोलन (agitation) करेंगे। वहीं 13 को प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ता किसानों के साथ पैदल ही दिल्ली के लिए कूच करेंगे।
15 नवंबर को दिल्ली में धान खरीदी (paddy procurement) को लेकर बड़ा आंदोलन (agitation) किया जाएगा। और छत्तीसगढ़ के किसानों का लिखा पत्र प्रधानमंत्री को सौंपा जाएगा। गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ से सेंट्रल पूल के चावल उठाने से इनकार किए जाने के बावजूद भी इस वर्ष राज्य की भूपेश सरकार ने 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने इस बार 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है।
21 हजार करोड़ का कर्ज लेने की तैयारी
केंद्र के असहयोग को कारण बताते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने इस बार धान खरीदी के लिए 21 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने की तैयारी की है। इसके लिए सरकारी बॉन्ड बेचने की भी तैयारी है। अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं। वहीं मार्कफेड को बारदाना खरीद के लिए 900 करोड़ का भुगतान कर दिया गया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस बार धान खरीदी के लिए 21 हजार करोड़ रुपए व्यय होने हैं। इनमें से 7 हजार करोड़ रुपए बोनस पर खर्च होंगे।
पूरा मामला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जुबानी
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह शर्त लगा दी है कि यदि कोई प्रदेश किसानों को बोनस देगा तो वहां से सेंट्रल पूल में चावल नहीं खरीदा जाएगा (जिसे एफसीआई खरीदता है)। लेकिन पिछले दो सालों में इस नियम में शिथिलिता बरती गई। जिसके कारण पिछले साल 24 लाख मीट्रिक टन चावल सेंट्रल पुल में खरीदा गया। मैंने प्रधानमंत्री से मांग की है कि संबंधित नियम को इस साल भी शिथिल किया जाए। लेकिन वे मानने को तैयार नहीं हैं। मैंने प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा है, जो अभी मिला नहीं है। केंद्र सरकार बोनस नहीं दे रही है। बोनस का पैसा हम राज्य के खजाने से दे रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार उसपर भी रोक लगा रही है। यह केंद्र की किसान विरोधी नीति है। जिसके विरोध में आंदोलन (agitation) किया जा रहा है।
-भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ (पत्रकारों से चर्चा में बताया)
केंद्र को नहीं पर हमें है किसानों की चिंता
राज्य में जब भाजपा सरकार थी तब बोनस देने की छूट दी गई थी। केंद्र का भेदभाव साफ दिख रहा है। केंद्र सरकार को किसानों की चिंता नहीं है, लेकिन हमें है। केंद्र ने छत्तीसगढ़ का धान खरीदने से मना कर दिया है। लेकिन राज्य सरकार 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से ही खरीदेगी। इसके लिए तमाम व्यवस्थाएं की जा रही हैं।
-पीएल पुनिया, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी (पत्रकारों के कर्ज लेने संबंधी सवाल पर कहा)
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