संपादकीय: बिहार में ओवैसी करेंगे बड़ा खेला

Owaisi will play a big game in Bihar
Editorial: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने के साथ ही एनडीए और आईएनडीआईए में सीटों के बंटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है। एनडीए में तो फिर भी सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति बनती नजर आ रही है। लेकिन आईएनडीआईए में शामिल घटक दलों में सीटों का बंटवारा बेहद कठिन सिद्ध हो रहा है। जिससे राष्ट्रीय जनता दल की परेशानी बढ़ती जा रही है।
महागठबंधन के लिए सबसे बड़ी परेशानी का सबब तो असदुद्दीन ओवैसी बन गये हैं जिन्होंने पहले राजद और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल होनी की पेशकश की थी जिसे महागठबंधन के नेताओं ने ठुकरा दिया था। अब ओवैसी ने अकेले अपने बलबूते पर चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है और उनकी पार्टी सीमांचल के मुस्लिम बहुल चार जिलों की सभी 24 सीटों पर चुनाव लडऩे जा रही है।
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव में ओवैसी पार्टी ने पूर्वांचल की मुस्लिम बाहुल पांच सीटें जीत ली थी। यह बात अलग है कि बाद में राष्ट्रीय जनता दल ने ओवैसी के पांचों विधायकों को प्रलोभन देकर राजद में शामिल करा लिया था। ओवैसी को राजद ने बड़ा झटका दिया था इसके बावजूद ओवैसी ने बड़ा दिल दिखाते हुए महागठबंधन में शामिल होने की पहल की थी ताकि मुस्लिम वोटों का बंटवारा न हो और भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को बिहार में हराये जा सके। लेकिन लालू प्रसाद यादव तथा तेजस्वी यादव जो खुद को मुस्लिम वोटों का ठेकेदार समझते हैं वे ओवैसी को महागठबंधन का हिस्सा बनाने के लिए और उन्हें सीमांचल की पांच सीटें देने के लिए तैयार नहीं हुए। कांग्रेस पार्टी भी महागठबंधन में ओवैसी की एंट्री का विरोध कर रही थी।
नतीजतन ओवैसी को एकला चलो रे की नीति पर अमल करने के लिए बाध्य होना पड़ा है। अब वे सीमांचल की सभी 24 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और जाहिर है कि महागठबंधन का खेल बिगाड़ देंगे। बिहार चुनाव को लेकर जो ओपीनियन पोल सामने आ रहे हैं उनमें भी ओवैसी को पांच से सात सीटों पर जीत मिलने की संभावना व्यक्त की जा रही है। यदि ओवैसी पूर्वांचल के अलावा बिहार के अन्य ऐसी सीटों पर भी जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में है वहां भी अपने प्रत्याशी उतार देते हैं तो निश्चित रूप से महागठबंधन को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
इस बारे में ओवैसी ने आईएनडीआईए पर हमला करते हुए बयान दिया है कि उनकी पार्टी को भाजपा की बी टीम बताया जाता है जबकि वे तो भाजपा को हराने के लिए बिहार में महागठबंधन का हिस्सा बनने के लिए तैयार थे। लेकिन उन्होंने उनकी पेशकश को ठुकरा कर उन्हें अकेले चुनाव लडऩे पर विवश कर दिया है। बहरहाल महागठबंधन ने ओवैसी से किनारा करके बड़ी गलती की है और उसे इसका दुष्परिणाम भुगतना पड़ जाये तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।