Operation Sindoor TRP : ऑपरेशन सिंदूर बना TRP का सेनानी…सर्जिकल स्ट्राइक से आगे निकली हिंदी खबरों की दौड़…

नई दिल्ली, 20 मई| Operation Sindoor TRP : भारतीय सेना के साहसिक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने न सिर्फ सीमापार आतंकी ठिकानों को तबाह किया, बल्कि भारतीय मीडिया की खबरों की पहुँच और प्रभाव में भी एक नया इतिहास रच दिया है। ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC)’ द्वारा जारी किए गए ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, हिंदी टीवी समाचार चैनलों को इस ऑपरेशन के कवरेज के दौरान इतिहास की सबसे बड़ी दर्शक संख्या प्राप्त हुई — यहाँ तक कि 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक को भी पीछे छोड़ दिया।
बार्क के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर के सप्ताह में हिंदी टीवी न्यूज़ की दर्शक हिस्सेदारी 4% से बढ़कर 15% तक पहुंच गई — जो कि 2016 के स्ट्राइक पीक टाइम की रेटिंग से भी ऊपर है। यह आंकड़े 15 से अधिक हिंदी भाषी बाजारों (HSM) में रिकॉर्ड किए गए हैं।
TRP की इस उछाल के पीछे क्या था?
ऑपरेशन सिंदूर की खबर को चैनलों ने ब्रेकिंग न्यूज से लेकर एक्सक्लूसिव ग्राउंड रिपोर्ट और एक्सपर्ट एनालिसिस तक, कई एंगल से प्रस्तुत (Operation Sindoor TRP)किया। इससे दर्शकों में भरोसा और जिज्ञासा दोनों बढ़ी।
हालांकि इस बीच यह चिंता भी उठी कि टीआरपी की होड़ में कई चैनलों ने रिपोर्टिंग में गंभीरता और संतुलन को नजरअंदाज किया। सूत्र आधारित खबरों पर जरूरत से ज़्यादा जोर, और ग्राफिक-heavy प्रेजेंटेशन ने रिपोर्टिंग की गुणवत्ता पर सवाल भी खड़े किए।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
6 मई की रात भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों को टारगेट किया। यह एक जवाबी हमला था — 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद। इसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया (Operation Sindoor TRP)गया और इसे बेहद गोपनीय तरीके से अंजाम दिया गया।
TRP की रेस और राष्ट्रीय सुरक्षा
जहाँ एक ओर देश ने सेना के इस साहसिक ऑपरेशन की सराहना की, वहीं विशेषज्ञों ने मीडिया के रिपोर्टिंग एथिक्स पर विचार करने की बात भी उठाई। सवाल यह है कि क्या व्यूअरशिप की जीत सचमुच पत्रकारिता की जीत है?