Operation Rising Lion : मध्य पूर्व की रात जल उठी…’राइजिंग लॉयन’ बनाम ‘ट्रू प्रॉमिस 3’ – तीसरे विश्वयुद्ध की आहट या आखिरी चेतावनी…?

नई दिल्ली, 14 जून। Operation Rising Lion : 13 जून की सुबह, जब दुनिया नींद में थी, तब मध्य पूर्व जाग चुका था। इजरायल के फाइटर जेट्स ने ईरान की धरती पर एक ऐसी कार्रवाई की, जिसकी गूंज सिर्फ बमों की आवाज़ तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह वैश्विक राजनीति की धुरी हिला गई।
इजरायल की ओर से लॉन्च हुआ ऑपरेशन “Rising Lion” सीधे ईरानी सैन्य और परमाणु ठिकानों पर केंद्रित था। एक के बाद एक मिसाइलों ने रात के अंधेरे में आग का जाल बिछा दिया। लेकिन इस बार ईरान खामोश नहीं रहा।
कुछ ही घंटों में ईरान ने ‘True Promise 3’ के नाम से पलटवार किया — 150 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें, जिनमें से छह ने राजधानी तेल अवीव को चीर (Operation Rising Lion)डाला।
पॉइंट्स में जानें इस विनाशकारी टकराव की बड़ी बातें:
13 जून की सुबह: इजरायल ने 200 से ज्यादा फाइटर जेट्स से 100+ टारगेट्स पर हमला किया — इनमें सैन्य बेस, मिसाइल लांच पैड्स और परमाणु साइट्स शामिल थीं।
हमले में ईरान के कई टॉप जनरल मारे गए — जिनमें रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के हेड और सुप्रीम लीडर के करीबी सुरक्षा सलाहकार भी शामिल (Operation Rising Lion)हैं।
तेहरान के मेहराबाद एयरबेस पर दो मिसाइलें दागी गईं — वहां आग की लपटें उठती देखी गईं, जो संभवतः जेट्स और फ्यूल डिपो को निशाना बनाने का संकेत देती हैं।
ईरान का पलटवार: ऑपरेशन ‘True Promise 3’ के तहत, 150+ बैलिस्टिक मिसाइलें दागी गईं, 63 लोग घायल हुए, एक महिला की मौत — ये हमला सीधे इजरायल के रक्षा मंत्रालय तक पहुंच गया।
तेल अवीव में तबाही: मिसाइलें एक के बाद एक गिरीं, कई अपार्टमेंट्स क्षतिग्रस्त, रेड अलर्ट जारी, नागरिक बंकरों में।
यरुशलम और हैफा में भी धमाकों की गूंज — हवाई रक्षा प्रणाली सक्रिय रही, लेकिन हर मिसाइल को रोका नहीं जा (Operation Rising Lion)सका।
इजरायली प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारा ऑपरेशन अभी शुरू हुआ है — ईरान का अस्तित्व हमारे लिए खतरा है।”
ईरान ने एयरस्पेस बंद कर दिया है और पूरे देश में इमर्जेंसी घोषित कर दी गई है। UN सुरक्षा परिषद की आपात बैठक की मांग की गई।
78 लोगों की मौत और 320 घायल — ईरान ने दावा किया कि इजरायल के हमले में अधिकांश पीड़ित आम नागरिक थे।
मध्य पूर्व के आसमान में मिसाइलें और इंटरसेप्टर — आकाश धुएं और लपटों से भर गया। दुनिया देख रही है, लेकिन बोलने से डर रही है।
यह सिर्फ युद्ध नहीं, दुनिया की शांति पर संकट है।
जब दो परमाणु-संभावित राष्ट्र आमने-सामने हों, और कूटनीति को गोली की आवाज़ दबा दे, तब सवाल यही उठता है: क्या अगली सुबह भी हम देख पाएंगे?