One Nation One Election : अब शिक्षक, श्रमिक और उद्योग जगत की राय से बनेगा चुनावी सुधार का खाका…

One Nation One Election
One Nation One Election : एक देश-एक चुनाव (One Nation One Election) पर चल रही संसदीय समिति ने अपने दायरे का विस्तार कर दिया है। अब यह रायशुमारी केवल राज्यों और संविधान विशेषज्ञों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि सीधे उन वर्गों से भी की जाएगी जिन पर चुनावों का सबसे ज्यादा असर पड़ता है।
समिति जल्द ही शिक्षकों, श्रमिक संगठनों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से बातचीत करेगी। उनकी राय को बिंदुवार सर्वेक्षण के जरिये दर्ज कर सुझावों में शामिल किया जाएगा।
अब तक की पहल
समिति अब तक 12 बैठकें कर चुकी है।
हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, चंडीगढ़ सहित छह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों(One Nation One Election) का दौरा कर चुकी है।
अब तक के संवाद में समिति को सकारात्मक सुझाव मिले हैं।
क्यों जरूरी है व्यापक रायशुमारी?
उद्योग जगत पर असर: बार-बार चुनावों के दौरान बड़ी संख्या में श्रमिक छुट्टी पर चले जाते हैं, जिससे उद्योगों का काम ठप पड़ता है।
शिक्षकों की भूमिका: चुनावी कामकाज में शिक्षकों की भारी तैनाती होती है, जिसके चलते स्कूल-कॉलेज बंद होने जैसी स्थिति बनती है।
स्थानीय चुनावों की चुनौती: पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों के समय कई महीनों तक श्रमिक और कर्मचारी(One Nation One Election) अपने काम से दूर रहते हैं।
समिति का मानना है कि अंतिम निर्णय से पहले हर वर्ग की राय लेना जरूरी है, ताकि भविष्य में कानून बनने पर उसका व्यापक समर्थन मिल सके।