Obesity Prevention India : मोटापा रोकने उठाया कदम… अब बताना होगा समोसा और जलेबी में कितना तेल व चीनी

Obesity Prevention India
अब समोसा, जलेबी और पिज्जा जैसे फूड आइटम्स में तेल-चीनी की मात्रा सार्वजनिक करनी होगी। केंद्र ने मोटापा रोकने के लिए सभी संस्थानों को निर्देश जारी किए हैं।
नई दिल्ली, 15 मई। Obesity Prevention India : समोसा और जलेबी भला किसे पसंद नहीं, लेकिन हममें से ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि इसमें तेल और चीनी की कितनी मात्रा होती है। पर अब हम लोग यह जान सकेंगे। दरअसल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त निकायों से कहा है कि वे समोसा, कचौरी, पिज्जा, बर्गर, फ्रेंच फ्राइज, पकौड़े, वड़ापाव, साफ्ट ड्रिंक्स, चाकलेट पेस्ट्री और गुलाब जामुन जैसे खाद्य पदार्थों में चीनी और तेल की मात्र का उल्लेख करने वाले ‘तेल और चीनी बोर्ड’ प्रदर्शित करें ताकि स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा दिया जा सके। मोटापा और गैर-संचारी रोगों से मुकाबला किया जा सके।
मंत्रालय ने मोटापे से मुकाबले के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से सभी आधिकारिक स्टेशनरी जैसे लेटरहेड, लिफाफे, नोटपैड और फोल्डर पर स्वास्थ्य संदेश छापने की भी अपील की है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव की तरफ से 21 जून को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि देश में वयस्कों और बच्चों में मोटापे की दर में तेज बढ़ोतरी देखी जा रही (Obesity Prevention India)है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में हर पांच में एक से ज्यादा वयस्क अधिक वजन या मोटापे की चपेट में हैं। बचपन में मोटापा खराब खान-पान की आदतों और कम शारीरिक गतिविधियों से प्रभावित होता है।
2050 में 45 करोड़ हो जाएंगे मोटापे से पीड़ित(Obesity Prevention India)
सचिव ने बताया कि 2025 में प्रकाशित ‘लैंसेट जीबीडी 2021 मोटापा पूर्वानुमान अध्ययन’ के मुताबिक, भारत में 2021 में अधिक वजन और मोटापे से पीड़ित वयस्कों की संख्या 18 करोड़ थी, जो 2050 तक बढ़कर करीब 45 करोड़ होने का अनुमान है। इससे मोटापा से पीड़ितों की संख्या के मामले में भारत दुनिया में दूसरा देश बन जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने पत्र में जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से मोटापे से निपटने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील का भी जिक्र किया है।
इन बीमारियों का बढ़ सकता है जोखिम(Obesity Prevention India)
श्रीवास्तव ने बताया कि मोटापा डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कुछ कैंसर जैसी गैर-संचारी बीमारियों के जोखिम को काफी हद तक बढ़ा देता है। यह मानसिक स्वास्थ्य, गतिशीलता ओर जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है। स्वास्थ्य देखभाल की बढ़ती लागत और उत्पादकता में कमी के चलते आर्थिक बोझ बढ़ता है। शुरुआती दौर में ही रोकथाम और अच्छी जीवनशैली अपनाने से इन खतरों से बचा जा सकता है।
इन जगहों पर बोर्ड लगाने को कहा
पत्र में कहा गया है, ‘हम विभिन्न स्थानों पर स्वास्थ्यवर्धक आहार संबंधी आदतों को बढ़ावा देने के लिए चीनी और तेल बोर्ड पहल को प्रदर्शित किया जाना प्रस्तावित कर रहे हैं। ये बोर्ड स्कूलों, कार्यालयों और सार्वजनिक संस्थानों में संकेतक के तौर पर काम करेंगे, जो रोजमर्रा के खाद्य पदार्थों में फैट और शुगर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदर्शित करेंगे।’ उन्होंने सभी मंत्रालयों से अनुरोध किया है कि वे सभी विभागों, कार्यालयों, स्वायत्त निकायों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों व संगठनों को निर्देश जारी करें।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों को नियंत्रित करने की जरूरत
खाद्य पदार्थों में तेल और चीनी की मात्रा प्रदर्शित करने की पहल होने के बीच शिवसेना सांसद मिलिंद देवरा ने खाद्य पदार्थों की सभी श्रेणियों में एक समान नियमन की वकालत की ताकि भारतीय खाद्य पदार्थों को गलत तरीके से निशाना नहीं बनाया जा सके। उन्होंने पश्चिमी जंक फूड को बढ़ावा देने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों को नियंत्रित करने की जरूरत पर जोर दिया।