BIG BREAKING : OBC की ये बड़ी मांग पूरा करने राजी हुआ केंद्र, पेश किया…
नई दिल्ली/नवप्रदेश। ओबीसी (OBC) वर्ग की बड़ी मांग को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार राजी हो गई है। ओबीसी के विद्यार्थियों (Students) को मेडिकल (Medical) प्रवेश की ऑल इण्डिया कोटे (All India Quota) की सीटों में 27 फीसदी आरक्षण (27 Per cent Reservation) देने के लिए केंद्र सरकार (Centre Government) सहमत (Agree) हो गई है।
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केंद्र सरकार (Centre Government) के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मद्रास हाईकोर्ट में इस संबंध का शपथपत्र भी पेश किया है। नवप्रदेश इस मुद्दे को समय-समय पर प्रमुखता से प्रकाशित करते आ रहा है। केंद्र की ओर से पेश एफिडेविट में कहा गया है- ‘भारत सरकार सीटें बढ़ाकर राज्य सरकारों के मेडिकल (Medical) कॉलेजों की ऑल-इंडिया कोटे (All India Quota) की यूजी की 15 फीसदी यानी 10,000 व पीजी की 50 फीसदी यानी 8,000 सीटों में नीट के आधार पर दिए जाने वाले प्रवेश में ओबीसी (OBC) को 27 फीसदी आरक्षण (27 Per centre Reservation) देने सहमत हैं।
बशर्ते अनारक्षित, एससी-एसटी व दिव्यांगों की सीटें कम न हों। और जिसे सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन रिट पीटिशन क्र. 596/2015, सलोनी कुमारी व अन्य बनाम डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज व अन्य के निर्णय के पश्च्यात लागू किया जाएगा।’ इसमें हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश व राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस वी. ऐस्वरैया भी याचिकाकर्ता हैं। मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई 2020 को है।
सुप्रीम कोर्ट ने खुला रखा था हाईकोर्ट जाने का विकल्प
उल्लेखनीय है कि विगत दिनों तमिलनाडु के विभिन्न राजनीतिक दलों- डीके, डीएमके, एआईएडीएमके, पीएमके, एमडीएमके व राज्य सरकार के लिए हाईकोर्ट में जाने का विकल्प खुला रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मेडिकल की ऑल इंडिया कोटे की सीटों में ओबीसी आरक्षण की मांग वाली याचिका को वापस कर दिया था। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय का यह कहना कि ‘संविधान में आरक्षण मौलिक अधिकार की श्रेणी में नहीं आता’ भी खूब चर्चा और विश्लेषण का विषय बना था।
लेकिन इसके तुरंत बाद तमिलनाडु के राजनीतिक दलों व राज्य सरकार ने उक्त याचिका मद्रास उच्च न्यायालय में दायर की। समस्या आज की नहीं : केंद्र केंद्र सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि ओबीसी को आरक्षण नहीं मिलने की यह समस्या आज से नहीं अपितु 1986 से है और तब से अब तक कई बार तो याचिकाकर्ता दलों के गठबंधनों की भी सरकारें केन्द्र में रही हैं। परन्तु मामले को उठाने में इतनी देर करना आश्चर्जनक है।
सीटें बढ़ने से लगेगी ओबीसी व एससी-एसटी की लॉटरी
उदाहरण: 77 अनारक्षित सीटें यथावत रखने के लिए 100 सीटों को बढ़ाकर करना होगा 154। फिर ओबीसी को 154 का 27 फीसदी यानी 27 के स्थान पर 42 सीटें व एससी-एसटी को 23 के स्थान पर 35 सीटें मिलेंगी। जबकि ओबीसी को 100 छात्रों की कक्षा में 27 सीटों के नवीन आरक्षण की आशा थी व एससी-एसटी को वर्तमान में 23 (22.50फीसदी) सीटें मिलती हैं।
इसी प्रकार यदि भारत सरकार क्लैट की भी सीटें बढ़ाकर देश की 22 नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के यूजी (बीए-एलएलबी) की 2500 व पीजी (एलएलएम) की 750 सीटों में भी बहुप्रतीक्षित 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण दे देती है तो ओबीसी व एससी-एसटी को ऐसा ही अप्रत्याशित लाभ होगा। वहीं समान्य को कोई नुकसान नहीं होगा।
आयोग ने मांगा था जवाब
मेडिकल की ऑल इंडिया कोटे की इन यूजी व पीजी पाठ्यक्रमों की सीटों में ओबीसी को आरक्षण नहीं मिलने के मुद्दे ने तब और तूल पकड़ा था जब ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ अदर बेकवर्ड क्लासेस एंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन (एआईओबीसी) चेन्नई के महासचिव जी. करुणानिधि की शिकायत पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर जवाब मांगा था। जिसे विस्तृत विवरण के साथ नवप्रदेश ने प्रमुखता से 23 मई 2020 के अंक में प्रकाशित किया था।
ओबीसी छात्रों को यूजी की तुलना में पीजी में ज्यादा पीड़ा
मेडिकल की ऑल इंडिया कोटे की सीटों में आरक्षण का मामला ओबीसी के लिए यूजी की तुलना में पीजी (एमडी- एमएस) प्रवेश में और पीड़ादायक है। यूजी में आल इंडिया कोटा की सीटें 15 फीसदी हैं। जबिक पीजी में 50 फीसदी। इसके बावजूद इसमें (पीजी) भी ओबीसी आरक्षण शून्य है।
…तो सामान्य वर्ग को नहीं जाना होगा कोर्ट
भारत सरकार के 2008 से लागू केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थान प्रवेश में आरक्षण अधिनियम 2006 की कंडिका-05 कहती है कि अनारक्षित व एससी-एसटी की सीटें कम न होने पाए अत: कुल सीटें अनिवार्यत: बढ़ा दी जावें। अत: यदि सीटें बढाकर ओबीसी आरक्षण दिया जाता है तो सामान्य वर्ग को कोई आपत्ति या कोर्ट कचहरी करने की आवश्यकता भी नहीं होगी।
ये संगठन लगातार उठाते रहे मांग
राज्य सरकारों के मेडिकल कॉलेजों की ऑल-इंडिया कोटे की यूजी व पीजी की सीटों और नॅशनल लॉ यूनिवर्सिटी की यूजी व पीजी की सीटों के प्रवेश में ओबीसी को आरक्षण देने की मांग अखिल भारतीय अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी संगठन (अपाक्स) भोपाल के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजी एपी पटेल, ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओबीसी ललित कुमार, भोपाल व छत्तीसगढ़ सोशल जस्टिस एंड लीगल सेल के संयोजक विनोद कुमार कोशले भी लगातार उठा रहे हैं।