अब आपकी जमीन का भी बनेगा आधार कार्ड, जानें क्या है ‘भू-आधार’; क्या लाभ हैं? अब शहरों में GIS मैपिंग…
-केंद्रीय बजट 2024-25 में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भूमि सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम
नई दिल्ली। Bhoo Aadhaar: केंद्रीय बजट 2024-25 में केंद्र सरकार ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भूमि सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यह ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या या ‘भू-आधार’ और सभी शहरी भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण का प्रस्ताव करता है। सरकार अगले तीन वर्षों में इन भूमि सुधारों को पूरा करने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। भूमि आधार से भूमि का स्वामित्व स्पष्ट हो जाएगा और भूमि संबंधी विवाद भी समाप्त हो जाएंगे।
इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों की सभी भूमि को 14 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या मिलेगी, जिसे भू-आधार कहा जाता है। इसमें भूमि की पहचान संख्या, मैपिंग के साथ किसानों (Bhoo Aadhaar) का स्वामित्व और पंजीकरण किया जाएगा। इससे कृषि ऋण और अन्य कृषि सेवाओं तक पहुंच आसान हो जाएगी। सरकार ने भारत के भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने और एक एकीकृत भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली बनाने के लिए 2008 में इस महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत की।
शहरों में जीआईएस मैपिंग
जीआईएस मैपिंग के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में भूमि रिकॉर्ड (Bhoo Aadhaar) को डिजिटल किया जाएगा। संपत्ति रिकॉर्ड प्रशासन, अपडेशन और कर प्रशासन के लिए आईटी आधारित प्रणाली स्थापित की जाएगी। इससे स्थानीय नागरिक निकायों की वित्तीय स्थिति में सुधार करने में मदद मिलेगी।
भूमि आधार कैसे काम करता है?
- सबसे पहले प्लॉट की सटीक भौगोलिक स्थिति की पहचान करने के लिए जीपीएस तकनीक का उपयोग करके प्लॉट को जियो-टैग किया जाता है।
- फिर सर्वेक्षक भौतिक सत्यापन कर भूखंड की सीमा मापते हैं।
- भूखंड के लिए भूमि मालिक का नाम, उपयोग की श्रेणी, क्षेत्र आदि जैसे विवरण एकत्र किए जाते हैं।
- एकत्र किए गए सभी विवरण भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली में दर्ज किए जाते हैं।
- सिस्टम स्वचालित रूप से भूखंड के लिए 14 अंकों का भूमि आधार नंबर उत्पन्न करता है, जो डिजिटल रिकॉर्ड से जुड़ा होता है।
भूमि आधार के क्या लाभ हैं?
- -जमीनी स्तर के मानचित्रण और माप के माध्यम से सटीक भूमि रिकॉर्ड सुनिश्चित किया जा सकता है।
- -भूखंड की पहचान में अस्पष्टता दूर हो जाती है, जो अक्सर भूमि विवादों का कारण बनती है।
- -आधार से लिंक कर जमीन का रिकॉर्ड ऑनलाइन किया जा सकता है।
- -प्लॉट से संबंधित पूरा इतिहास और स्वामित्व विवरण ट्रैक किया जा सकता है।
- -सरकार को नीतियां बनाने के लिए सटीक भूमि डेटा मिलता है।