संपादकीय: अब सम्मान को लेकर सियासत
Now politics about respect: देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके सम्मान को लेकर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार के नाम पर भाजपा सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह के परिजनों की ख्वाहिश की अंदेखी कर उनका अपमान किया है।
कांग्रेस ने डॉ.मनमोहन सिंह का स्मारक बनाये जाने की मांग करते हुए भी भाजपा पर आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक सभी भाजपा नेता पूर्व पीएम का स्मारक बनाने के नाम पर सस्ती राजनीति कर रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेडा ने सरकार से सवाल किया है कि क्या आपने कभी किसी ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री के बारे में सुना है। जिनका अंतिम संस्कार निगम बोर्ड घाट पर किया गया हो। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने शक्ति स्थल में जमीन देने की पेशकश की थी।
वे सिर्फ इतना चाहते थे कि डॉ.मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर किया जाये जहां उनका स्मारक बने। किन्तु भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के ऐसा नहीं होने दिया जो डॉ.मनमोहन सिंह का अपमान है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश ने भी इसके लिए भाजपा सरकार की कड़ी निंदा की है और कहा है कि सत्ता में बैठे लोगो को यह बात समझ लेनी चाहिए कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश को बेहतर बनाया है और लोगो को नई उम्मीदें दी है।
उनके योगदान देश कभी नहीं भूल सकता लेकिन भाजपा राजनीतिक विद्वे्रश की भावना से ग्रसित होकर मनमोहन सिंह का अपमान कर रही है। कांग्रेस नेताओं के इन आरोपों का जवाब देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर पलटवार किया है और कहा है कि कांग्रेस जैसी पार्टी जिसने जीते जी मनमोहन सिंह का कभी सम्मान नहीं किया वह भाजपा पर बेतुके आरोप लगा रही है।
डॉ.मनमोहन सिंह भले ही प्रधानमंत्री थे लेकिन सोनिया गांधी सुपर पीएम बन गई थी जिसकी वजह से पीएम पद की गरिमा भी धूमिल हो गई थी। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने तो एक पत्रकार वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के सामने उनकी सरकार के केबिनेट द्वारा पारित किये गए अध्यादेश को फाड़कर फेंक दिया था। जो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का घोर अपमान था।
इस घटना से मनमोहन सिंह इतने आहत हुए थे कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का मन बना लिया था किन्तु बाद में उनकी मान मनौवल कर उन्हें इस्तीफा देने से रोक दिया गया था। कांग्रेस ने सिर्फ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का ही अपमान नहीं किया है बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव भी अपमान किया है। पीवी नरसिम्हा राव के निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय ले जाया जा रहा था।
ताकि वहां कांग्रेस जन उनके अंतिम दर्शन कर सके और श्रद्धा सुमन अर्पित कर सके। किन्तु सोनिया गांधी के इशारे पर कांग्रेस मुख्यालय के गेट बंद कर दिये गये थे। आधे घंटे तक पीवी नरसिम्हा राव का पर्थिव शरीर गेट के बाहर रहा और फिर उसे उनके पैतिृक गांव के लिए रवाना करा दिया गया। कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का नई दिल्ली में स्मारक नहीं बनने दिया। यही नहीं बल्कि डॉ.बी.आर.आम्बेडकर तथा पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री सहित अन्य नेताओं का भी कांग्रेस ने अपमान किया है।
कुल मिलाकर कांग्रेस और भाजपा के बीच डॉ.मनमोहन सिंह के सम्मान को लेकर आरेाप प्रत्यारोप चल रहा है जो कतई उचित नहीं है। इसी तरह डॉ.मनमोहन सिंह को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की मांग भी उठ रही है। वास्तव में वे इसके अधिकारी भी है। कांग्रेस पार्टी जिसने इस सम्मान के लिए हमेशा अपने परिवार को तरजिह दी है वह मांग कर रही है कि मनमोहन ङ्क्षसह को भारत रत्न दिया जाये।
आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी सहित अन्य राजनीतिक दल भी पूर्व में मनमोहन सिंह के विरोधी रहे हैं। वे भी मनमोहन सिंह को भारत रत्न देने की मांग को लेकर अपनी सियासत चमकाने में लगे हुए हैं। उन्हें निश्चिंत रहना चाहिए क्योंकि मौजूदा सरकार प्रतिभाओं का सम्मान करना जानती है।
डॉ.मनमोहन सिंह को भी भारत रत्न सम्मान देने में सरकार निश्चित रूप से उचित पहल करेगी। डॉ.मनमोहन सिंह भले ही अपने एक दशक के प्रधानमंत्री के रूप में चले कार्यकाल के दौरान आलोचनाओं का शिकार हुए हो लेकिन उनके कार्यकाल में सूचना के अधिकार और शिक्षा की गारंटी सहित अनेक महत्वपूर्ण कानून बने हैं।
प्रधानमंत्री बनने से पहले डॉ.मनमोहन सिंह तात्तकालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री थे और उस सरकार को विरासत में खाली खजाना मिला था। देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी थी। ऐसी विषम परिस्थिति में वित्त मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह ने ही देश को आर्थिक संकट से उबारा था।
उनकी अनुसंशा पर ही पीवी नरसिम्हा राव ने आर्थिक उदारीकरण की नीति लागू की थी जो बाद में सफल हुई और उसी को आगे बढ़ाते हुए मौजूदा सरकार देश की अर्थव्यवस्था को आज इतनी मजबूती दे चुकी है कि भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।
डॉ.मनमोहन सिंह को इसका श्रेय जाता है और वे एक प्रख्यात अर्थशास्त्री के रूप में भी भारत रत्न सम्मान के अधिकारी बन जाते है। उम्मीद की जा रही है कि उनके नाम पर होने वाली सियासत के बावजूद केन्द्र सरकार बहुत जल्द पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह को भारत रत्न सम्मान प्रदान करने की घोषणा करेगी।