अब छत्तीसगढ़ में बनेगा गोबर से प्राकृतिक पेंट, गौ सेवा आयोग के साथ जयपुर-दिल्ली का हुआ एमओयू

अब छत्तीसगढ़ में बनेगा गोबर से प्राकृतिक पेंट, गौ सेवा आयोग के साथ जयपुर-दिल्ली का हुआ एमओयू

Now natural paint will be made from cow dung in Chhattisgarh, Jaipur-Delhi MoU with Gau Sewa Commission

Natural Paint

राज्य के 75 गौठानों में प्राकृतिक पेंट का होगा निर्माण

रायपुर/नवप्रदेश। Natural Paint : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपस्थिति में सीएम हाउस में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की तकनीकी हस्तांतरण के लिए एमओयू हुआ। यह एमओयू छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग और नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट जयपुर, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म ,लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के मध्य हुआ।

कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्यमंत्री बघेल की उपस्थिति में कुमाराप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट जयपुर, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय नयी दिल्ली और छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के मध्य गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण की तकनीकी हस्तांतरण के लिए विधिवत हस्ताक्षर किया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मौके पर राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. महंत रामसुंदर दास सहित सभी सदस्यगणों तथा कुमाराप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट जयपुर, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय नयी दिल्ली के पदाधिकारियों को बधाई और शुभकामनाएं दी।

75 चयनित गौठान में प्राकृतिक पेंट निर्माण

प्रथम चरण में राज्य के 75 चयनित गौठान में प्राकृतिक पेंट निर्माण (Natural Paint) की इकाई स्थापित की जाएगी। प्राकृतिक पेंट निर्माण के लिए महिला स्व सहायता समूह की सदस्य महिलाओं एवं युवाओं को कौशल प्रशिक्षण भी नेशनल पेपर इंस्टिट्यूट जयपुर द्वारा दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना की शुरुआत 20 जुलाई 2020 को हरेली तिहार के दिन से की गई थी। यह योजना शुरुआत से ही गौपालकों और किसानों के लिए वरदान साबित हुई। योजना के माध्यम से एक साथ बहुत सारे लक्ष्य हासिल किये गए। आज गोधन न्याय योजना हमारे गांवों की ताकत बन चुकी है।

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प्रदेश में गोबर की उपयोगिता हुई साबित-भूपेश

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने गोधन के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण कराकर और गोधन न्याय योजना की शुरूआत कर एक साथ कई लक्ष्य साधे है। गोधन न्याय योजना के जरिए गौठानों में दो रूपए किलो में गोबर की खरीदी करके इससे वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट एवं अन्य उत्पाद के निर्माण और गोबर से विद्युत उत्पादन के बाद अब छत्तीसगढ़ इससे प्राकृतिक पेंट निर्माण की शुरूआत करने जा रहा है। गोधन न्याय योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिली है। गांवों में रोजगार के अवसर बढ़े है। ग्रामीणों, पशुपालकों एवं महिला समूहों को आय का अतिरिक्त जरिया मिला है। गौठान और गोधन न्याय योजना गांव की ताकत बन गए हैं।

गोधन न्याय योजना को मिली देश में पहचान

मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से पूरे देश में छत्तीसगढ़ को नयी पहचान मिली है। हमारी इस योजना को दूसरे राज्य भी अपनाना चाहते हैं। संसद की कृषि मामलों की स्थायी समिति ने इसे पूरे देश में लागू करने की मांग केंद्र सरकार से की है। गौठानों में जैविक खाद के निर्माण (Natural Paint) से हमारी खेती में भी बदलाव की शुरुआत हुई। रासायनिक खाद पर हमारी निर्भरता कम हुई। खेती की लागत में कमी आई। हमारे खेत फिर से उपजाऊ होने लगे। स्व सहायता समूहों की हजारों बहनों को जैविक खाद के निर्माण से रोजगार मिला। गौठान समितियों को आमदनी का एक नया जरिया मिला। पशुपालन और डेयरी व्यवसाय को नया जीवन मिला और दूध का उत्पादन भी बढ़ा। छत्तीसगढ़ में श्वेत-क्रांति की नयी शुरुआत हुई। इसी गोबर से हमारी बहनों ने दीये और तरह-तरह के चीजें बनाकर त्यौहारी-बाजार में भी अपने लिए जगह बनाई।

करोड़ों का होगा आय

गोबर से प्राकृतिक पेंट बनने से गौठानों को हर साल 45 करोड़ रुपए की आय होने का अनुमान है। चयनित किए गए गौठानों में कार्बाेक्सी मिथाइल सेल्यूलोज (सीएमसी) निर्माण (Natural Paint) ईकाई एवं पेंट निर्माण ईकाई के लिए पहल शुरु कर दी गई है। इन ईकाइयों से प्रतिदिन 500 लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन होगा। पहले चरण में प्रतिवर्ष 37.50 लाख लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन होने की संभावना है। इस समय प्रकृतिक पेंट की कीमत जीएसटी को छोड़कर 120 रुपए प्रति लीटर है।

प्राकृतिक पेंट के निर्माण के लिए गौठान से जुड़ी महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं और गांवों के युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस काम की शुरुआत होने से गोधन न्याय योजना और गौठानों के माध्यम से रोजगार और आय का एक और नया जरिया खुल जाएगा। प्राकृतिक पेंट के निर्माण का मुख्य घटक कार्बाेक्सी मिथाईल सेल्यूलोज (सीएससी) होता है। सौ किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा सीएमसी तैयार होता है। कुल निर्मित पेंट में 30 प्रतिशत मात्रा सीएमसी की होती है। वर्तमान में 25 गौठानों में पेंट निर्माण ईकाई तथा 50 गौठानों में सीएमसी ईकाई स्थापित की जाएगी।

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