संपादकीय: अब बिहार में भी महागठबंधन को लेकर विवाद

संपादकीय: अब बिहार में भी महागठबंधन को लेकर विवाद

Now controversy over Grand Alliance in Bihar too

Now controversy over Grand Alliance in Bihar too

Now controversy over Grand Alliance in Bihar too: नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद अब बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर भी वहां के महागठबंधन में तकरार शुरू हो गई है। बिहार में जो महागठबंधन बना है उसमें शामिल राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस पार्टी में अभी से सीटों के बटवारे को लेकर अभी से खींचतान शुरू हो गई है। गौरतलब है कि 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा से पिछले चुनाव में महागठबंधन में शामिल कांग्रेस को 70 सीटें मिली थी लेकिन उसे सिर्फ 22 सीटों पर ही जीत मिल पाई थी।

इस बार कांग्रेस कम से कम सौ सीटों पर अपना दावा ठोकने के लिए दबाव बना रही है। जबकि राष्ट्रीय जनता दल इस बार कांग्रेस को 70 सीटों देने को भी तैयार नहीं हो रही है। इसकी मुख्य वजह यह है कि नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार भी कांग्रेस अपना खाता नहीं खोल पाई है। राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के बीच सीटों के बटवारे को लेकर मतभेद जिस कदर गहरा गये है इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिहार से कांग्रेस के सांसद तारीख अनवर ने बयान दिया है कि यदि कांग्रेस को महागठबंधन से सम्मानजनक सीटें नहीं मिलती है तो कांग्रेस को अकेले अपने दम पर बिहार विधानसभा चुनाव लडऩा चाहिए।

बिहार कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता शाहनवाज आलम और मोहम्मद जावेद ने भी इसी तरह का बयान दिया है उनका भी मानना है कि कांग्रेस बिहार में महागठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़े। दरअसल बिहार में महागठबंधन में शामिल दलों के बीच मुस्लिम बहुल सीटों को लेकर ही खींचतान मची हुई है। बिहार में लगभग पचास सीटें ऐसी है जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 30 से 40 प्रतिशत तक है।

महागठबंधन में शामिल हर पार्टी इन 50 सीटों में से ही सबसे ज्यादा सीटों पर अपना दावा ठोकती है ताकि उनकी जीत सुनिश्चित हो सके। पिछले विधानसभा चुनाव में इन मुस्लिम बहुल 5 सीटों पर औवेसी की पार्टी ने जीत दर्ज कर ली थी। इसका संदेश साफ है कि बिहार के मुस्लिम भी अब राष्ट्रीय जनता दल का विकल्प तलाश रहे हैं। सारा झगड़ा इन्हीं सीटों को लेकर है और वे इसीलिए दबाव की राजनीति कर रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल को भी यही चिंता सता रही है कि यदि कांग्रेस गठबंधन से बाहर होकर चुनाव लड़ती है तो वह उसके मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगा देगी।

वैसे इस बात की संभावना कम ही है कि बिहार में कांगे्रस महागठबंधन से बाहर जायेगी। उसके नेता ज्यादा से ज्यादा सीटें हथियाने के लिए ही राष्ट्रीय जनता दल पर दबाव बना रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाले महागठबंधन के लिए चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी भी चुनौती बन रही है। प्रशांत किशोर की पार्टी भी महागठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है।

रही बात एनडीए की तो वह नीतीश कुमार की अगुवाई में बिहार में बेहद मजबूत स्थिति में है। भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा और सत्ता मिलने पर नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे। गौरतलब है कि बिहार के पसमांदा मुसलमानों में नीतीश कुमार की गहरी पैठ है। इसके साथ ही अति पिछड़ा वर्ग का भी जेडीयू को समर्थन मिलता रहा है। कुल मिलाकर बिहार में जाति समीकरण को साधने की ही कवायद हो रही है और ऐसे में यदि वहां के महागठबंधन में दरार पड़ती है तो इसका एनडीए को लाभ मिल सकता है।

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