Site icon Navpradesh

Noise Pollution : ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ कड़ी कर्यवाही हो

Noise Pollution: Strict action should be taken against noise pollution

Noise Pollution

Noise Pollution : महाराष्ट्र से शुरू हुए लाऊड स्पीकर विवाद को लेकर एक बार फिर पूरे देश में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ माहौल बनने लगा है। जिस तरह वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण जन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है उसी तरह ध्वनि प्रदूषण भी कई बार बुजुर्गो और बीमारों के लिए जानलेवा साबित हो जाता है। खासतौर पर हृदय रोगियों के लिए तो ध्वनि प्रदूषण बेहद खतरनाक होता है। डीजे के कान फोडू़ आवाज के कारण पूर्व में कई लोगों की हृदयाघात से मौत तक हो चुकी है। यही नहीं बल्कि आधी रात तक बजने वाले डीजे को लेकर आए दिन विवाद की स्थिति निर्मित होती रहती है।

यह विवाद मारपीट और खून खराबे तक में तब्दील हो जाता है। इसके बावजूद शासन प्रशासन इस जान लेवा ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाते। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस बारे में स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किए हुए है इसके मुताबिक रात्रि दस बजे से लेकर सुबह छह बजे तक किसी भी प्रकार के ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग प्रतिबंधित (Noise Pollution) किया गया है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश मजाक बन कर रह गया है।

शासन प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कराने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाते। यही वजह है कि ध्वनि प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। सिर्फ मंदिरों और मस्जिदों के लाऊड स्पीकर की बात नहीं है अन्य धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रमों के दौरान भी ध्वनि विस्तारक यंत्रों का मनमाने तरीके से उपयोग किया जाता है। इस पर कड़ाई निहायत जरूरी है और ध्वनि प्रदूषण के लिए जिम्मेदारी भी तय करना आवश्यक है अन्यथा आगे चलकर यह विवाद और बढ़ेगा और अप्रीय स्थिति निर्मित होगी।

सड़क पर होने वाले शोर शराबे को शांत करने के लिए विभिन्न रणनीतियां हैं जिनमें ध्वनि अवरोधक (Noise Pollution) वाहनों की गति पर प्रतिबंध, सड़क के धरातल में परिवर्तन, भारी वाहनों पर प्रतिबंध यातायात नियंत्रण का उपयोग जो ब्रेक और गति बढाने को कम करे तथा टायरों की डिजाईन शामिल हैं।

इन रण्नीतियों को लागू करने का एक महत्वपूर्ण कारक सड़क पर होने वाले शोर शराबे के लिए कम्प्यूटर मॉडल है जिसमें स्थानीय जलवायु, मौसम यातायात संचालन तथा संकल्पनात्मक शमन को परिभाषित करने की क्षमता होती है। शमन – निर्माण की लागत को कम किया जा सकता है बशर्ते ये उपाय सड़कमार्ग परियोजना के नियोजन चरण में उठाए गए हों।

Exit mobile version