संपादकीय: कोलाहाल अधिनियम का कड़ाईपूर्वक पालन हो

Noise Act
Noise Act: बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए बनाए गए कोलाहाल अधिनियम की जिस तरह खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। उससे न सिर्फ जनस्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
बल्कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर खूनी संघर्ष की स्थिति भी निर्मित हो रही है। दुर्ग जिले के नंदिनी क्षेत्र में डीजे की तेज आवाज को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद इस कदर बढ़ा की तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।
इसके पहले भी छत्तीसगढ़ में डीजे की तेज आवाज को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित होती रही है। जिसके चलते मारपीट की घटनाएं भी हो चुकी है।
इसके बावजूद शासन प्रशासन ध्वनि विस्तारक यंत्रों के दुरुपयोग को रोकने के लिए कारगर कदम नहीं उठा रहा है। आदिवासी बाहुल्य सरगुजा क्षेत्र में डीजे की कानफोडू आवाज के कारण एक व्यक्ति को ब्रेन हेमरेज होने की घटना भी सामने आई है।
इसी से स्पष्ट है कि डीजे इस कदर जन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक सिद्ध हो रहा है। हृदय रोगियों और बुजुर्गों के लिए तो डीजे की कर्कश आवाज जान लेवा साबित हो सकती है।
यही वजह है कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने लाउड स्पीकर और डीजे सहित अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग को लेकर कड़े दिशा निर्देश जारी किए हैं।
जिनके मुताबिक रात्रि दस बजे से सुबह छह बजे तक किसी भी प्रकार के ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग प्रतिबंधित है किन्तु इन निर्देशों की लगातार अवहेलना की जा रही है।
ध्वनि प्रदूषण रोकने की जिन विभागों पर जिम्मेदारी हैं। वे मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रहे हैं। इसके पहले की इस तरह की और घटनाएं हो शासन प्रशासन को चाहिए की वह पूरे प्रदेश में कोलाहाल अधिनियम (Noise Act ) को कड़ाईपूर्वक लागू करें और जो लोग इसका उल्लंघन करते हैं उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करें।