काम के बाद भी भुगतान नहीं… मजदूरों ने बीच सड़क पर रोकी रेंजर की गाड़ी
Forest Department: वन विभाग के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी
बैकुंठपुर/नवप्रदेश। Forest Department: कोरिया जिले में स्थित गुरुघासी दास राष्ट्रीय उद्यान प्रभारी रेंजर की मनमानी से हमेशा सुर्खियों में रहा है। इस बार चर्चा का कारण मजदूरी भुगतान में अनियमित्ता को लेकर है। आज ग्रामीणों ने उद्यान प्रभारी रेंजर पर गंभीर आरोप लगाया।
दरअसल, कोरोनाकाल के इस दौर में काम करने के बाद भी ग्रामीणों को अपना मेहनताना नहीं मिलने से वे नाराज है और इसलिए प्रभारी रेंजर की गाड़ी गाँव के प्रवेश द्वार पर ही रोक लिया गया। आदिवासी मजदूरों ने कहा कि जब तक उन्हें उनका हक की मजदूरी नहीं दिया जायगा तब तक सड़क पर ही उतरकर इसका विरोध करेंगे। बात न मानने की स्थिति में वन विभाग के खिलाफ आंदोलन करने की चेतावनी भी दी।
ग्रामीणों ने कहा कि एक ओर कोरोना संकट काल में मजदूरों की आर्थिक स्थिति खराब है, वहीं उन्हें काम करने के बाद भी मजदूरी (Forest department) नहीं दिया गया। जिम्मेदार भुगतान की प्रक्रिया लंबित होने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारियों से बचने का प्रयास कर रहे हैं। जिसके चलते मजदूरों का आक्रोश बढ़ रहा है और शुक्रवार को मजदूरों ने विरोध जाहिर कर तत्काल ही मजदूरी का भुगतान किए जाने की मांग की हैं। जल्द भुगतान न होने की स्थिति में ग्रामीण आदिवासी मजदूर वनविभाग के खिलाफ आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है।
आपको बताते चले कि यह मामला राष्ट्रीय उद्यान के कमर्जी क्षेत्र सीतापुर वन ग्राम का है। कमर्जी वनपरिक्षेत्र (Forest department) के सीतापुर में लेंटाना उन्मूलन कार्य चल रहा हैा। इस कार्य में ग्रामीण आदिवासी मजदूरों से काम करवाया गया लेकिन भुगतान नहीं किया गया, जिससे परेशान होकर आज ग्रामीणों ने प्रभारी रेंजर को सड़क पर घेर लिया।
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रभारी रेंजर राशि आहरण के बाद भी उन्हें भुगतान न कर अपने निजी कार्य में वह राशि खर्च कर दिया। जबकि नगद भुगतान के लिए बकायदा समिति भी गठित की गई है, बावजूद समिति की कोई दखलांदाजी नहीं होना भी अनेक सवालों को जन्म देता है।
मिली जानकारी के अनुसार वनमंडल अंतर्गत वन परिक्षेत्र कमर्जी (Forest department) में कई विभागीय कार्य मे लाखो का मजदुरी भुगतान नगद में किया गया है, जबकि नगद भुगतान बिना अनुमति के नही किया जा सकता। श्रमिकों ने बताया कि कई कार्य को करने से पहले उन्हें मजदुरी दर 310 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से बताकर काम करवाया गया, लेकिन विभागीय कर्मचारियों द्वारा बताए गए दर से कुछ कार्यो का भुगतान न कर कम पैसे दिए गए हैं। वही लेंटाना उन्मूलन की राशि अब तक नही दी गई, जो मजदुरी भुगतान गठित समिति के माध्यम से किया जाना था, वह भी नही हुआ।
मजदूरों की परेशानी उनकी जुबानी- एक वक्त का भोजन जुटाना भी मुश्किल
मजदूरों ने बताया कि एक तो वनविभाग उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं कर रहा है। दूसरी तरफ कोरोना संकट काल के कारण रोजगार के सारे साधन बंद हो गए है। जिसके चलते आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। उन्होंने बताया कि आर्थिक स्थिति का आलम यह है कि एक वक्त का भोजन जुटाना भी मुश्किल हो गया है। बच्चों का लालन-पालन करना भी मुश्किल हो गया है। मजदूरों ने कहा कि वनविभाग (Forest department) उनकी मजदूरी का भुगतान करता है तो उन्हें कुछ हद तक राहत मिलेगी।
मजदूरों ने बताया कि लगातार चक्कर काट रहे है लेकिन प्रभारी रेंजर (Forest department) का सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है। मजदूरी के लिए अधिकारी, वन समिति अध्यक्ष समेत सभी को स्थिति से अवगत कराया गया है, बावजूद समस्या समाधान नहीं हो पा रहा हैं। वही प्रभारी रेंजर के मुख्यालय में नही रहने से मुलाकात भी नहीं होने से सही जानकारी नही होने का हवाला निचले स्तर के अधिकारियों द्वारा दिया जाता हैं। वही मजदूरों के भुगतान की राशि के लिए रेंजर, डिप्टी रेंजर, फॉरेस्ट गार्ड को जिला प्रशासन द्वारा अवगत भी पूर्व में कराया गया है।छह माह से लगातार आश्वासन ही दिया जा रहा है।