संपादकीय: नीतीश कुमार का मास्टरस्ट्रोक

Nitish Kumar's masterstroke
Editorial: बिहार विधानसभा चुनाव में अभी चार महीने का समय बाकी है। इसलिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास लोकलुभावन घोषणाएं करने के लिए पर्याप्त समय है। जिसका सदुपयोग करते हुए उन्होंने मास्टरस्ट्रोक लगाना शुरू कर दिया है। बिहार कैबिनेट की बैठक में बिहार प्रदेश की महिलाओं को सरकारी नौकरी में 35 प्रतिशत आरक्षण देने के प्र्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई। महिला सशक्तिकरण की दिशा में बिहार सरकार का यह फैसला निश्चित रूप से सराहनीय है और अन्य प्रदेशों को लिए अनुकरणीय भी है।
निश्चित रूप से आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए को इसका लाभ मिलेगा। आधी आबादी को साधने में नीतीश कुमार का यह मास्टरस्ट्रोक एक बार फिर बिहार में एनडीए की सरकार बना सकता है। वैसे भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने कार्यकाल में महिलाओं के हित में कई कारगर कदम उठाते रहे हैं। जब वह पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे तब उन्होंने पहले पहल स्कूली छात्राओं को नि:शुल्क साइकिल और स्कूल ड्रेस देने की घोषणा की थी। बाद में कई अन्य राज्यों ने भी स्कूली छात्राओं को नि:शुल्क साइकिल देना शुरू किया था।
नीतीश कुमार ने बिहार में महिलाओं को त्रिस्तरीय पंचायतों में पचास प्रतिशत आरक्षण देने की भी शुरूआत की थी। जिससे महिलाओं की राजनीति में भागीदारी बढ़ी थी। इसी तरह उन्होंने बिहार की महिलाओं की मांग पर बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू करने का ऐतिहासिक फैसला लिया था। हालांकि शराबबंदी करने से बिहार सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। लेकिन बिहार की महिलाएं नीतीश कुमार की मुरीद हो गई हैं। क्योंकि अब पुरूष शराब पर फिजूलखर्ची नहीं करते और घरेलू हिंसा की घटनाओं में भी शराबबंदी के कारण ही कमी आई है।
इस तरह महिलाओं के हित में नीतीश कुमार की सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये और इसका उन्हें चुनावी लाभ भी मिलता रहा है। बिहार सरकार के अलावा केन्द्र सरकार ने भी महिला सशक्तिकरण के लिए हर घर में शौचालय, नल जल योजना, महिला सदस्य के नाम पर प्रधानमंत्री आवास योजना और बीपीएल कार्डधारी महिलाओं को नि:शुल्क गैस कनेक्शन देने की योजना बनाई है उसका भी बिहार में सुचारू रूप से क्रियान्वयन किया गया है। इसका भी एनडीए को फायदा मिलता रहा है। अब महिलाओं को सरकारी सेवा में 35 प्रतिशत आरक्षण से महिला मतदाताओं का मन मोहने में नीतीश कुमार की सरकार सफल होगी। अभी चुनाव आचार सहिंता लागू होने में वक्त बाकी है।
ऐसे में नीतीश कुमार का अगला कदम बिहार की महिलाओं को हर महीने डेढ़ से दो हजार रूपये मासिक देने की घोषण भी हो सकती है। गौरतलब है कि भाजपा ने महाराष्ट्र और नई दिल्ली विधानसभा चुनाव के पूर्व महिलाओं को दो हजार रूपये मासिक सम्मान निधि देने का चुनावी वादा किया था। जिसका महिला मतदाताओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। और इन दोनों ही राज्यों में भाजपा को महिला मतदाताओं का भरपूर आशीर्वाद मिला। जिसके चलते महाराष्ट्र और नई दिल्ली में भाजपा ने प्रचंड बहुमत से अपनी सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी।
इसके पूर्व छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी भाजपा ने महिलाओं के लिए मासिक सम्मान निधि देने की घोषणा कर अपनी सरकार बनाई थी। इसी से स्पष्ट है कि बिहार में भी नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार बहुत जल्द बिहार की महिलाओं को सम्मान निधि देने की घोषणा कर सकती है और चुनाव आचार सहिंता लगने के पूर्व महिलाओं के खाते में इसकी एक या दो किश्त डाल सकती है। यदि ऐसा हुआ तो बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार अपने नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनाने में सफल हो जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।
महिलाओं के अलावा बिहार के युवाओं को भी साधने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवा आयोग के गठन का भी फैसला लिया है। मात्र चार माह की अवधि में यह युवा आयोग बिहार के युवाओं के हित में क्या कदम उठा पाएगा यह कह पाना तो मुश्किल है। लेकिन युवा आयोग का गठन होने से युवाओं में अपने भविष्य को लेकर एक नई उम्मीद की किरण तो जागेगी। ऐसे में बिहार के युवाओं का भी एनडीए के प्रति थोड़ा न थोड़ा रूझान तो बढ़ ही सकता है। और इसका भी एनडीए को चुनावी लाभ मिल सकता है।