NIT Raipur : एनआईटी रायपुर के स्टूडेंट्स का बोलबाला, मल्टीनेशनल कंपनीज़ में हुआ प्लेसमेंट, 30 लाख के पैकेज में चयन
रायपुर, नवप्रदेश। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर में चल रहे ऑनकैंपस प्लेसमेंट प्रोसेस में विभिन्न बहुराष्ट्रीय कंपनिया प्लेसमेंट के लिए आ रही है। इसी कड़ी में जानीमानी मल्टीनेशनल कंपनी ओएलएक्स ने अंतिम वर्ष के कम्प्यूटर साइंस एंड इंजिनियरिंग विभाग की छात्रा श्रुति अग्रवाल,
आई टी विभाग के छात्रों गौरव कुमार रे और अंकुर कुणाल का चयन फुल-टाइम सॉफ्टवेयर डेवलपर रोल के रूप में किया है और 30 लाख तक का सलाना पैकेज ऑफर किया (NIT Raipur) है।
ऑनकैंपस प्लेसमेंट प्रोसेस के दौरान ही मैथवर्क्स कंपनी ने भी अंतिम वर्ष के कम्प्यूटर साइंस एंड इंजिनियरिंग विज्ञान विभाग के छात्र जे. वरुण अय्यर और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन विभाग की छात्रा सुप्रजा कुरैला का चयन एसोसिएट इंजीनियर के रूप में किया है और 20 लाख तक का सलाना पैकेज ऑफर किया (NIT Raipur) है|
इन्फॉर्मैटिंका कंपनी ने भी संस्थान के अंतिम वर्ष आई टी विभाग के छात्रों निज़ाम धीरज और आर्यन भारती का चयन सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में किया है और 21 लाख तक का सलाना पैकेज ऑफर किया है ।
संस्थान के कम्प्यूटर साइंस एंड इंजिनियरिंग विज्ञान विभाग की छात्रा श्रुति अग्रवाल ने अपनी प्लेसमेंट की यात्रा को बताते हुए कहा कि कॉलेज शुरू करने से पहले उनकी कंप्यूटर विज्ञान में इतनी दिलचस्पी नहीं थी और उन्होंने अपने पहले वर्ष के अंत तक प्रोग्रामिंग का अभ्यास शुरू नहीं किया था। जब वे अपने पांचवे सेमेस्टर में आयी तो उसी दौरान इंटर्नशिप का मौसम आया, जिसमें किसी भी कंपनी ने उनका चयन नहीं किया, जिससे उन्हें बहुत निराशा (NIT Raipur) हुई।
लेकिन उन्होंने हिम्मत हारने के बजाय प्रोग्रामिंग के अभ्यास को जारी रखा। उन्होंने बताया की उनकी माँ ने इस समय में उन्हें बहुत आत्मविश्वास दिया और अपने आप में विश्वास रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने सभी आवश्यक विषयों का अध्ययन किया जो कैंपस प्लेसमेंट में सफल होने के लिए आवश्यक हैं और विभिन्न ऑनलाइन संसाधनों से मदद ली।
श्रुति अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने चौथे वर्ष में प्लेसमेंट की अवधि के दौरान, कुछ समय के लिए संघर्ष किया लेकिन संस्थान,संस्थान के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल और कम्प्यूटर साइंस एंड इंजिनियरिंग विभाग के शिक्षकों के सहयोग से अपने कौशल पर काम किया और अंत में ओएलएक्स से ऑफर हासिल किया।
इनके ही सहपाठी कम्प्यूटर साइंस एंड इंजिनियरिंग विभाग के छात्र जे वरुण अय्यर ने उनकी पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी दी और कहा कि उनका जन्म जबलपुर में हुआ था और उनका पालन-पोषण रायपुर में हुआ है। उन्होंने प्रथम वर्ष से मैथवर्क्स कंपनी में एसोसिएट इंजीनियर बनने तक के सफर को बताया और कहा कि उनका सफर उतार-चढ़ाव से भरा था,
उन्होंने अपनी तैयारी में देरी की और उन्हें अपने पांचवे सेमेस्टर में कोई इंटर्नशिप करने का मौका नहीं मिला, लेकिन फिर भी उन्होंने उम्मीद नहीं हारी और अपनी तैयारी जारी रखी, जिसके परिणामस्वरूप उनका चयन भारत की सर्वश्रेष्ठ कंपनियों में से एक में हुआ।
उन्होंने अपनी कॉम्पिटिटिव प्रोग्रामिंग स्किल पर काम किया और लीटकोड और कोडफोर्स जैसे प्लेटफॉर्म्स से विभिन्न प्रकार के कोडिंग प्रश्नो को हल किया और अपने डेटा स्ट्रक्टर्स एंड एल्गोरिथम (डीएसए) पर पूरा ध्यान केंद्रित किया और उन्होंने अपने आप को सुदृढ़ करने के लिए कई यूट्यूब चैनलों को संदर्भित किया। वह शिक्षकों और संस्थान को अवसर, ज्ञान और सहायता प्रदान करने का श्रेय देते है जिन्होंने इस पूरी प्रक्रिया में मदद की।
संस्थान की इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्युनिकेशन इंजिनियरिंग की छात्रा सुप्रजा कुरैला ने बताया कि 11वीं और 12वीं कक्षा से ही उनकी इलेक्ट्रॉनिक्स में रुचि थी, वह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से आकर्षित थीं और इसके काम करने के बारे में नई चीजें सीखना चाहती थीं। उन्होंने बताया कि कैसे एक नॉन-कोर ब्रांच से होने के बावजूद,
उन्होंने विभिन्न पाठ्यक्रमों को लेकर, डीएसए पर काम करके और कोडिंग टेस्ट देकर अपने कोडिंग और विकास कौशल को विकसित किया। उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान हुई लॉकडाउन की स्थिति का सबसे अधिक लाभ उठाया। सुप्रजा कुरैला टाटा स्टील द्वारा आयोजित टॉप टेन वुमन ऑफ मेटल में से एक थी, जिससे उन्हें टाटा स्टील के इंटर्नशिप प्रोग्राम में चुना गया, जो बाद में प्री-प्लेसमेंट ऑफर में बदल गया।
लेकिन उन्होंने और बेहतर अवसर पाने के लिए कड़ी मेहनत की और अंत में मैथवर्क्स कंपनी में चयनित हो गई। मिस. सुप्रजा कुरैला ने उन्हें ऐसा अमूल्य अवसर प्रदान करने के लिए संस्थान को, संस्थान के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार अभियांत्रिकी विभाग के शिक्षकों को धन्यवाद दिया।
संस्थान के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के छात्र निज़ाम धीरज ने भी अपनी प्लेसमेंट की यात्रा को बताया और कहा कि उन्होंने इंजीनियरिंग के पहले वर्ष से ही अपनी कॉम्पिटिटिव प्रोग्रामिंग कौशल पर काम करना शुरू कर दिया था और लीटकोड और कोडफोर्स के माध्यम से अपनी लॉजिक बिल्डिंग और प्रश्नो के हल जल्दी सोचने की कला में सुधार किया।
उन्होंने अपने डेटा स्ट्रक्टर्स एंड अल्गोरिथम (डीएसए) का पूरा ध्यान रखा और समय के साथ उससे और मजबूत करते गए । उन्होंने दूसरे वर्ष से ही इंटरव्यू और प्लेसमेंट की तैयारी शुरू की और प्लेसमेंट सत्र से 3 महीने पहले अपने तीसरे वर्ष में अपनी तैयारी को और बढ़ावा दिया।
उन्होंने 3-4 घंटे के कोडिंग शेड्यूल के साथ शुरुआत की, जो बाद में बढ़कर 6-7 घंटे प्रतिदिन हो गया। निजाम धीरज अपनी सफलता का श्रेय संस्थान को और संस्थान के टूरिंग क्लब ऑफ़ प्रोग्रामर्स (टीसीपी) को देते हैं, जिन्होंने उन्हें लॉकडाउन में उनकी उत्पादकता बढ़ाने और प्लेसमेंट से संबंधित चीजों में मदद की।
उन्होंने संस्थान के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के शिक्षकों और अपने मित्रों का धन्यवाद किया, जिन्होंने उन्हें हर समय कुछ बड़ी उपलब्धि हासिल करने के लिए प्रेरित किया