New Textbooks 2026-27 : सत्र 2026-27 से बदलेगी पढ़ाई की रूपरेखा: योग–कला के साथ व्यावसायिक पाठ्यक्रम अनिवार्य, चौथी–सातवीं की 21 किताबें होंगी नई
New Textbooks 2026-27
सीजी भास्कर, 12 दिसंबर। स्कूली शिक्षा में व्यापक सुधार की दिशा में प्रदेश सरकार ने आगामी शिक्षा सत्र 2026-27 (New Textbooks 2026-27) से बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप चौथी और सातवीं कक्षा के बच्चों के लिए अब योग, कला और व्यावसायिक शिक्षा पूरी तरह नए विषयों के रूप में शामिल किए जा रहे हैं। इसी बदलाव के तहत कुल 21 पाठ्यपुस्तकें बदली जा रही हैं—जिनमें चौथी की 10 और सातवीं की 11 किताबें शामिल हैं। इन सभी पुस्तकों को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने तैयार किया है।
पहली से आठवीं तक गणित और विज्ञान की किताबों में हालांकि कोई बदलाव नहीं किया (New Textbooks 2026-27) जाएगा, ताकि विद्यार्थियों के लिए विषयों में निरंतरता बनी रहे। दूसरी ओर हिंदी, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, पर्यावरण अध्ययन, कला शिक्षा, योग शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा जैसी किताबें नए प्रारूप में उपलब्ध होंगी। बीते सत्र 2025-26 में पहली से तीसरी तथा छठवीं की किताबें पहले ही बदली जा चुकी हैं, जिसके बाद अब चौथी, पांचवीं, सातवीं और आठवीं की पुस्तकों का नंबर आया है।
राज्य के अनुरूप तैयार की गई नई पांडुलिपियां
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) को स्थानीय परिस्थितियों और संस्कृति के अनुरूप पाठ्यपुस्तकों को ढालने की जिम्मेदारी (New Textbooks 2026-27) दी गई है। चौथी और सातवीं की हिंदी व अंग्रेजी माध्यम की जिन किताबों—हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, पर्यावरण, सामाजिक विज्ञान, व्यावसायिक, कला शिक्षा और योग शिक्षा—को NCERT ने प्रकाशित किया है, उन्हें राज्य की आवश्यकताओं के अनुसार संशोधित किया गया है। गणित और विज्ञान जैसी पुस्तकों को बिना किसी परिवर्तन के सीधे ही स्वीकार किया जाएगा, ताकि देशभर में विषयवस्तु समान रहे।
‘सहायक वाचन’ बनेगा नया विषय, शनिवार को होगा बैगलेस डे
नए सत्र में कक्षा तीसरी से आठवीं तक के विद्यार्थियों के लिए ‘सहायक वाचन’ नाम का एक और नया विषय जोड़ा जा रहा है। इसे शनिवार के बैगलेस डे पर पढ़ाया जाएगा। इस विषय के जरिए बच्चों को स्थानीय विरासत, लोककला, साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, भाषिक-संस्कृति, जीवन शैली, स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों और इतिहास-पुरुषों की जीवनी से परिचित कराया जाएगा। इसका उद्देश्य केवल किताबों तक सीमित ज्ञान देने के बजाय व्यावहारिक, स्थानीय और सांस्कृतिक समझ विकसित करना है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह बदलाव स्कूली शिक्षा को अधिक जीवंत और लचीला बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। योग, कला और व्यावसायिक शिक्षा जैसे विषय विद्यार्थियों में संतुलित व्यक्तित्व विकास के साथ-साथ कौशल आधारित सीखने का दायरा भी बढ़ाएंगे।
