एनबीसीसी की बोली पर विचार के लिए कर्जदाताओं की 30 मई को बैठक
- जेपी इन्फ्रा इन्सॉलवंसी
नई दिल्ली। कर्ज में डूबी जेपी इन्फ्राटेक के वित्तीय कर्जदाताओं की 30 मई को बैठक होगी। बैठक में सार्वजनिक क्षेत्र की एनबीसीसी की रीयल्टी कंपनी के अधिग्रहण को लेकर लगायी गई बोली तथा अटकी पड़की आवास परियोजनाओं को पूरा करने के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। सूत्रों ने कहा कि कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) की बैठक 30 मई को बुलाई गई है।
समिति में 13 बैंकों तथा 23,000 मकान खरीदारों के पास मतदान का अधिकार है। इस महीने की शुरूआत में कर्जदाताओं की समिति ने मुंबई की कंपनी सुरक्षा रीयल्टी की बोली को खारिज कर दिया था। बाद में सीओसी ने एनबीसीसी की पेशकश पर विचार करने का फैसला किया। बैंक पूर्व में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी की बोली में कुछ शर्तों का हवाला देते हुए इसपर विचार करने से मना कर दिया था। बैंकों की याचिका पर नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलएटी) ने 17 मई को एनबीसीसी की बोली पर मकान खरीदारों तथा कर्जदाताओं के मतदान को रद्द कर दिया और 30 मई तक पेशकश पर फिर से बातचीत की अनुमति दे दी। मतदान प्रक्रिया 31 मई से शुरू हो सकती है।
फिलहाल बैंक तथा एनबीसीसी, जेपी इन्फ्राटेक के अधिग्रहण को लेकर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी की पेशकश पर बातचीत कर रहे हैं। सूत्रों ने पूर्व में कहा था कि एनबीसीसी भविष्य की कर देनदारी, समेत कुछ शर्तों में शायद ही नरमी बरते लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बचे हुए फ्लैट से संबंधित पेशकश पर फिर से बातचीत को तैयार है। कर्जदाताओं ने एनबीसीसी की संशोधित पेशकश में 1,756 करोड़ रुपये मूल्य के बिनाबिके 2,207 फ्लैट को लेने पर बेरुखी दिखाई है।
अपनी ताजा पेशकश में एनबीसीसी ने 200 करोड़ रुपये की शेयर पूंजी डालने, 5000 करोड़ रुपये मूल्य की 950 एकड़ जमीन के साथ यमुना एक्सप्रेसवे बैंकों को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव किया है। साथ ही वित्तीय कर्जदाताओं के 23,723 करोड़ रुपये के कर्ज के निपटान के लिए जुलाई 2023 तक फ्लैट को पूरा करने का प्रस्ताव किया है। इस बोली पर कर्जदाताओं को एनबीसीसी द्वारा मांगी गई कुछ तरह की छूटों पर आपत्ति है और कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा गया है।