Naxal Riots : दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने रेल पटरियां उखाड़ी, डीरेल हुई माल गाड़ी |

Naxal Riots : दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने रेल पटरियां उखाड़ी, डीरेल हुई माल गाड़ी

Naxal Riots: Naxalites uprooted railway tracks in Dantewada, goods train derailed

Naxal Riots

दंतेवाड़ा/नवप्रदेश। Naxal Riots : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने जमकर उत्पात मचाया है। माओवादियों ने किरंदुल-विशाखापट्टनम के रेल मार्ग कपार पटरियों को उखाड़ दिया। जिसकी वज़ह से विशाखापटटनम जा रही एक माल गाडी बे पटरी होकर दुर्घटना ग्रस्त हो गई है। इस घटना के बाद मौके पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बालों के साथ रेलवे का अमला इस रूट को दुरुस्त करने में जुटा हुआ है।

मिली जानकारी के मुताबिक नक्सलियों ने शुक्रवार देर रात नक्सलियों ने दंतेवाड़ा के झिरका के जंगल में रेल ट्रैक को उखाड़ दिया था। इसी ट्रैक पर किरंदुल से लौह अयस्क लेकर विशाखापट्टनम जा रही एक मालगाड़ी आ रही थी, जिसके 3 इंजन और 19 डिब्बे पटरियां उखडऩे की वज़ह से दुर्घटनाग्रस्त हो गई।

Naxal Riots: Naxalites uprooted railway tracks in Dantewada, goods train derailed

इधर इस रूट के लिए एक मात्र रेलवे ट्रैक होने की वजह से इसे बंद कर दिया गया है। वहीं किरंदुल से जगदलपुर जाने वाली इस लाइन की मरम्त का काम भी रेल प्रशासन ने शुरू कर दिया है। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक झिरका के जंगल में भांसी और कमालूर के बीच नक्सलियों (Naxal Riots) ने मालगाड़ी डी रेल की है। भैरमगढ़ एरिया कमेटी के माओवादियों ने इस घटना को अंजाम दिया है। मालगाड़ी के पहिए ट्रैक से उतरने के बाद वहां मौजूद 100 से ज़्यादा नक्सलियों ने इंजन में बैनर पोस्टर भी लगा दिए।

नक्सलियों ने इस घटना से गढ़चिरौली में हुई मुठभेड़ में मारे गए अपने 27 साथियों को श्रद्धांजलि दी है। वहीं इस मुठभेड़ के विरोध में छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और मध्य प्रदेश में 27 नवंबर यानी आज बंद का आह्वान किया है। कुछ दिन पहले भी नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी ने प्रेस नोट जारी कर बंद का आह्वान किया था। नक्सलियों के बंद को लेकर अब पुलिस भी अलर्ट हो गई है।

नक्सलियों ने 6 महीने पहले भी किया था उत्पात

आपको बताते चले कि, नक्सलियों (Naxal Riots) ने 6 महीने पहले भांसी-कमालूर के पास ही रेलवे पुल के ऊपर एक पैसेंजर ट्रेन को डिरेल किया था। हालांकि उस समय लोको पायलट ने अपनी सूझबूझ दिखाई थी, जिससे बड़ा हादसा टल गया था। यह इलाका पूरी तरह से नक्सलियों का गढ़ है, इसलिए इस इलाके में ट्रेनों की रफ्तार काफी धीमी की जाती है। जिस वक्त पैसेंजर ट्रेन डिरेल हुई थी, उस समय केवल इंजन ही ट्रैक से नीचे उतरा था। रात भर कड़ी मशक्कत करने के बाद मार्ग को बाहर किया गया था। यात्रियों को सुरक्षित जिला मुख्यालय लाया गया था।

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