Navpradesh Special: नक्सल आतंक के अंत के साथ नवप्रदेश छत्तीसगढ़ के बेमिसाल पच्चीस साल

Navpradesh Special: Twenty-five years of Navpradesh Chhattisgarh, with the end of Naxal terror

navpradesh special

यशवंत धोटे
यूं तो नवप्रदेश छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण का रजत जयंती वर्ष चल रहा है। इस दरम्यान कुछ दिन, दिनांक और तिथियां आ रही है जिन्हें इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज किया जाना चाहिए। जैसे 1 नवंबर 2025 को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य की पच्चीसवीं सालगिरह पर लोकतंत्र के नये मंदिर यानि छत्तीसगढ़ विधानसभा के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया। चूंकि अब पुराने भवन से नये भवन में जाना है सो पच्चीस साल के अनुभवों को समेटने के लिए राज्य विधानसभा का विशेष सत्र 18 नवंबर को संपन्न हुआ। पक्ष-विपक्ष में राज्य निर्माण से लेकर रजत जयंती वर्ष तक के अनुभवों को नवप्रदेश की जनता के साथ न केवल साझा किया बल्कि पुरानी विधानसभा के इतिहास में दर्ज भी हो गया।

अब इसे महज संयोग ही कहा जाये कि पिछले चालीस साल से नक्सल आंतक से ग्रस्त नवगठित राज्य के लिए इसी दिन राहत वाली खबर आई कि नक्सल आतंक का पर्याय हिड़मा अपनी पत्नि व अन्य खंूखार नक्सलियों समेत मारा गया। विधानसभा के विशेष सत्र के कार्यवाही में यह घटना दिनभर चर्चा का विषय रही। चूंकि जिन दिन, दिनांक और तिथियों की हम बात कर रहे है उसमें एक और महत्वपूर्ण तिथि नक्सलवाद के खात्में की भी है। देश के गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में घोषणा की है कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद समाप्त हो जाएगा और उस दिशा में राज्य की विष्णुदेव साय सरकार जी तोड़ मेहनत कर रही है। जिसका नतीजा हिड़मा के मारे जाने के रूप में सामने है।


नव प्रदेश छत्तीसगढ़ को अविभाजित मध्यप्रदेश से विरासत में मिली नक्सली समस्या का समाधान छत्तीसगढ़ सरकार के लिए पिछले ढाई दशकों से बड़ी चुनौती रहा है। लाल आंतक के अभिशाप से छत्तीसगढ़ को मुक्त करने कोशिश जरूर हुई लेकिन मर्ज बढ़ता ही गया ज्यों ज्यों दवा की। आखिरकार केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लडा़ई का शंखनाद कर दिया। नतीजतन अब नक्सलवाद की जड़ पर प्रहार हो रहा है। लाल गलियारा मुठ्‌ठीभर क्षेत्र में सिमट कर रह गया है।


इस रजत जयंती वर्ष में विधानसभा का एक और ऐतिहासिक रिकॉर्ड दर्ज होने जा रहा है वो ये है कि आगामी 14 से 17 दिसंबर तक नए विधानसभा भवन में लगने वाला शीतकालीन सत्र दिन रविवार 14 दिसंबर से ही शुरू होगा। देश में ऐसा पहली बार होगा जब रविवार को विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होगा। इस तिथि का महत्व इसलिए भी है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा का स्थापना दिवस 14 दिसंबर है और इस नवप्रदेश की विधानसभा को बेमिसाल पच्चीस साल होने जा रहे हैं। गौरतलब है कि 14 दिसंबर 2000 को पहली विधानसभा राजकुमार कॉलेज रायपुर में लगी थी। दरअसल 1 नवंबर 2000 को नवप्रदेश छत्तीसगढ़ 26वें राज्य के रूप में भारत के नक्शे पर आया तब से ही नवप्रदेश इतिहास रच देने को आतुर रहा है। छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. रमन ङ्क्षसह का वह भावुक चित्र सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है जिसमें वे अपनी अध्यक्षीय पीठ को प्रणाम कर बिदाई दे रहे हैं।

उन्होंने इस चित्र के साथ एक कविता भी पोस्ट की है। दरअसल नवप्रदेश छत्तीसगढ़ की विधानसभा में दो ही सदस्य ऐसे हैं जो शुरू से लेकर आज तक लगातार निर्वाचित होते आ रहे हैं। जिसमें भाजपा से बृजमोहन अग्रवाल और कांग्रेस से कवासी लखमा शामिल है। जब अनौपचारिक बातचीत में लखमा का जिक्र आया तो डॉ.रमन सिंह ने अफसोस जताया की आज उन्हें भी सदन में होना चाहिए था। यदि कोई विधिवत आज्ञा मुझसे मांगी जाती तो मैं सहर्ष स्वीकार करता। गौरतलब है कि कवासी लखमा पिछले 1 साल से जेल में बंद है। 18 नवंबर 2025 के विधानसभा के विशेष सत्र का महत्व इसलिए भी है कि आज से लगभग 7 महीने पहले की गई गलती का आभास मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को भी हुआ और उन्होंने अपने भाषण के साथ ही 200 यूनिट फ्री बिजली का एलान भी कर दिया। उल्लेखनीय है कि पिछली सरकार ने बिजली बिल हाफ योजना चला रखी थी जिसे सरकार ने आते ही बंद कर सूर्यघर योजना लागू कर फ्री बिजली बंद कर दी थी। जमीनी तौर पे इसका इतना विरोध हुआ कि सरकार को अपनी गलती का आभास हुआ और विधानसभा के विशेष सत्र में 200 यूनिट फ्री बिजली का ऐलान कर डेमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है।


पच्चीस साल के राजनीतिक इतिहास में इस सदन की खासियत यह रही कि इसमें 15 साल मुख्यमंत्री रहे डॉ. रमन सिंह अभी विधानसभा के अध्यक्ष हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और मंत्री रहे डॉ.चरणदास महंत पिछले कार्यकाल में ही अध्यक्ष और अब नेता प्रतिपक्ष हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे विष्णुदेव साय अब मुख्यमंत्री हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उपनेता प्रतिपक्ष रहे। और अब भी सदन में सदस्य हैं। सदन की समृद्ध विरासत का आलम यह है कि सत्तापक्ष से मुख्यमंत्री विष्णुदेवय साय और विपक्ष के नेता डॉ.चरणदास महंत पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे हैं और लंबे समय से संसदीय राजनीति में सक्रिय हैं। कमोवेश ऐसे ही अध्यक्षीय आसंदी पर बैठे डॉ.रमन सिंह भी हैं।

You may have missed