Cyber Crime Challenges : राष्ट्रीय विधि अकादमी की जरूरत पर सीजेआइ का जोर
Cyber Crime Challenges
साइबर अपराध (Cyber Crime) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से उत्पन्न नई चुनौतियों से निपटने के लिए देश में एक राष्ट्रीय विधि अकादमी (National Law Academy) की स्थापना की जरूरत पर प्रधान न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने शुक्रवार को जोर दिया।
जस्टिस सूर्यकांत दक्षिण गोवा में स्थित भारत अंतरराष्ट्रीय विधि शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सम्मेलन और मध्यस्थता संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
सीजेआइ ने कहा कि हम ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं, जहां AI और तकनीक (AI & Technology) कानूनी व्यवस्था को मजबूत करने में शक्तिशाली उपकरण बन रही है, लेकिन वही तकनीक अपराधों के नए स्वरूप भी ला रही है।
उन्होंने कहा कि ड्रग्स तस्करी और साइबर अपराध के मामले गंभीर रूप से देश के नागरिकों के लिए खतरा हैं। “साइबर अपराधियों के अपराध का शिकार व्यक्ति हम हैं, और क्या हम पेशेवर रूप से इस चुनौती का सामना करने के लिए सक्षम हैं?” उन्होंने सवाल उठाया।
मध्यस्थता और प्रशिक्षण का महत्व
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एक न्यायालय केवल मुकदमे का स्थान नहीं, बल्कि विवाद समाधान केंद्र (Dispute Resolution Center) होना चाहिए। उन्होंने मध्यस्थता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि वाणिज्यिक मुकदमे, वैवाहिक विवाद, मोटर दुर्घटना दावे और 138 चेक बाउंस मामलों में मध्यस्थता एक सफल और लागत-कुशल समाधान का उपकरण साबित हो रही है।
सीजेआइ ने बताया कि वर्तमान में देश में केवल 39,000 प्रशिक्षित मध्यस्थ हैं, जबकि मांग और आपूर्ति में अंतर है। सभी स्तरों पर प्रभावी मध्यस्थता के लिए देश को लगभग 2.5 लाख प्रशिक्षित मध्यस्थों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “जिला न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक मध्यस्थों की संख्या बढ़ाना जरूरी है। मध्यस्थता कानून की कमजोरी नहीं, बल्कि इसका उच्चतम विकास है।”
राष्ट्रीय विधि अकादमी की आवश्यकता
CJI सूर्यकांत ने विशेष रूप से जोर दिया कि देशभर में वकीलों को AI और साइबर अपराध (Cyber Crime & AI Challenges) से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रशिक्षित करने हेतु राष्ट्रीय स्तर की कानूनी अकादमी की जरूरत है।
इससे वकील नई तकनीक और अपराधों के बदलते स्वरूप से निपटने में सक्षम होंगे। सीजेआइ ने अंत में यह भी कहा कि कुछ मामले मध्यस्थता से हल नहीं किए जा सकते, इसलिए न्यायिक प्रणाली हमेशा निष्पक्ष मुकदमे के लिए तैयार रहे।
