MPs and MLAs : माननीयों की पेंशन बंद करने की मांग
MPs and MLAs : बिहार की एक क्षेत्रीय पार्टी के नेता पप्पू यादव ने माननीय सांसदों और विधायको की पेंशन बंद करने की पूरजोर मांग उठाई है। इसके पहले भी कई बार सांसदों और विधायकों को दी जाने वाली पेंशन पर सवालिया निशान लगते रहे है लेकिन उनकी पेंशन बंद करने की हिम्मत कोई भी सरकार नहीं जुटा पाई है। एक तरफ तो सरकारी कर्मचारियो की पेंशन बंद कर दी गई है जो ३० सालों तक सरकार की सेवा करते है उनको पेंशन की पात्रता से वंचित कर दिया गया है वहीं दूसरी ओर मात्र पांच साल के लिए सांसद या विधायक बनने वाले माननीयों को आजीवन पेंशन प्रदान की जाती है। जिससे सरकारी खजाने पर हर माह करोड़ों का बोझ पड़ता है।
सांसदों और विधायकों (MPs and MLAs) को वेतन के रूप में मोटी रकम मिलती है कई तरह के भत्ते मिलते है औैर नि:शुल्क आवास सहित और भी कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाती है। इसके बाद उन्हे पेेशन भी दी जाती है। कई राज्यों में तो विधायकों को एक नहीं बल्कि दो तीन पेंशन तक मिलती है। पंजाब में तो कोई नेता जितनी बार विधायक बनता था उतने बार की उसे पेंशन मिलती थी। जिसपर अब आम आदमी पार्टी की सरकार ने रोक लगा दी है। अब ऐसे माननीयो को सिर्फ एक पेंशन प्रदान की जा रही है। कई माननीय जो विधायक बनने के बाद सांसद भी बनते है उन्हे विधायक और सांसद के रूप में दोहरी पेंशन प्रदान की जाती है। यह व्यवस्था बदलने की आवश्यकता है।
कायदे से तो सांसदों और विधायकों की पेंशन ही बंद की जानी चाहिए। देश में जो भी सांसद बनता है वह पहले से ही करोड़पति होता है और जो नहीं होता वह सांसद बनने के बाद करोड़पति बन जाता है। ऐसे करोड़पति मननीयों को हजारेां रूपए की मासिक पेंशन देने का कोई औचित्य नहीं है। गिने चुने ही ऐसे माननीय है जिनकी आमदनी कम होती है। ऐसे लोगों को भले ही पेंशन दी जा सकती है लेकिन अधिकांश माननीय जो करोड़पति या अरबपति है उनकी पेंशन तो तत्काल प्रभाव से बंद की जानी चाहिए। इसी तरह साधन संपन्न विधायकों की पेंशन भी बंद होनी चाहिए।
सांसद या विधायक (MPs and MLAs) बनना कोई सरकारी नौकरी नहीं है इन्हे तो जनसेवक कहा जाता है, फिर जनसेवकों को पेंशन क्यों? यदि इन माननीयों को इसी तरह पेंशन दी जाती रही और समय समय पर उसमेंव वृद्धि की जाती रही तो सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता चला जाएगा। सांसदों और विधायकों को मिलने वाली पेंशन को देखते हुए अब तो कई जगहों पर पार्षदों ने भी पेंशन देने की मांग उठानी शुरू कर दी है।
यदि आगे चल कर पंच सरपंच भी पेंशन की मांग करने लगे तो कोई ताज्जुब नहीं होगा। केन्द्र सरकार को चाहिए कि माननीयों को दी जाने वाली पेंशन पर पुनर्विचार करे और इसके लिए सर्वदलीय बैठक बुलाकर इस दिशा में कारगर कदम उठाएं ताकि माननीयों को दी जाने वाली पेंशन पर करोड़ों रूपए महिने का जो खर्च आता है वह बंद हो और यह राशि देश के विकास कार्यो में खर्च हो।