MP Chief Minister : शिव-राज में जनता, सरकार की परिकल्पना हुई साकार |

MP Chief Minister : शिव-राज में जनता, सरकार की परिकल्पना हुई साकार

MP Chief Minister: People, government's vision came true in Shiv-Raj

MP Chief Minister

डॉ शिशिर उपाध्याय। MP Chief Minister : मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आज जन्मदिन धूमधाम से मनाया जायेगा , परन्तु शिव के राज में ‘बेटी होने का गर्व पूरे हिन्दुस्तान के लिए रोल मॉडल है, ऐसा माना जाए तो अतिशयोक्ति का विषय नहीं है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान निहायत एक आम आदमी की तरह अपने जीवन शैली को जीते हैं और यहीं पर दावे से कहा जा सकता है कि शिवराज जी निश्चित रूप से साधारण से असाधारण व्यक्तित्व की ख्याति तक पहुंचने वाले मध्यप्रदेश के ऐसे पहले मुख्यमंत्री है, जिन्होंने 15 वर्ष मुख्यमंत्री के रूप में रिकार्ड बनाया है और आज भी उनके तेवर आम जनता के लिए, गरीबों के लिए और विशेषकर मध्यप्रदेश में पैदा होने वाली बेटियों के लिए इतनी सहज एवं सरल क्यों है, खोज का विषय है।

और दूसरी ओर प्रशासन में तीखे तेवरों का नया अंदाज भी इतना सरल हैं कि आदेश प्रसारित करते वक्त लगता है जिसे भी सजा दी गई है, वह आम आदमी के हित के लिए ही मुख्यमंत्री ने अपने आपको कठोर किया होगा। 15 वर्षों में शिवराज सिंह चौहान के राज में मध्यप्रदेश ने क्या-क्या खोया, क्या-क्या पाया, इस विषय का सूक्ष्म विश्लेषण किया जाए तो पता चलता है कि राजनेताओं के जनता के प्रति घटते विश्वास, बिगड़ते बोल और गिरती हुई साख के दौर में उन्होंने आम जनता का भरोसा और विश्वास दोनों जीत लिया है।

शिवराज के जन्मदिन पर पहली बार पूरे मध्यप्रदेश से हजारों की संख्या में आलेख परोसे जा रहे है, वह इसलिए नहीं कि वे मुख्यमंत्री हंै, बल्कि यूं कहा जाए कि शिवराज ने साबित कर दिया है कि उनके सरकार चलाने के ढंग को ही जनता ने पसंद किया और चुनाव में भाजपा के पोस्टर ब्वाय के रूप में शिवराज ब्रांड पर ही मुहर लगाई है। आज की विशेष संपादकीय में शब्दों के लिए जगह भले ही कम हो, परन्तु मध्यप्रदेश के साढ़े सात करोड़ की आबादी में ‘मामा शिवराज’ की 2437 मेहनत का जिक्र न हो, यह न्याय संगत नहीं होगा।

समय के साथ विकास की रफ्तार ने मध्यप्रदेश (MP Chief Minister) की सड़कों पर उद्योगपतियों एवं सैलानियों को आकर्षित करके पांच सितारा संस्कृति के बजाए अध्यात्म और विकास दोनों को जोड़कर एक नया इतिहास रचा है। उनके स्कूल-कॉलेज के अभिन्न सखा शिव चौबे भले ही एक साधारण परिवार में जन्में ब्राह्मण बुद्धिजीवी है, लेकिन जितने गर्व से वे अपने दोस्त शिव के राज को परोसते हैं, वह सरोकार सत्ता में बिना पद के बिरले ही मित्र निभा पाते है। चौबे अपने मित्र मुख्यमंत्री के दो फैसलों को पत्थर की लकीर मानते हैं, जिसमें पहला तो कन्यादान योजना है तो दूसरा तीर्थदर्शन योजना, जिसे दूसरे राज्यों ने भी पूरी शिद्दत के साथ लागू किया है। चौबे जी कहते है आजादी के 70 वर्ष बाद पहली बार एक ही मंडप में निकाह और पाणिग्रहण दोनों मध्यप्रदेश में ‘शिव के राज’ में ही संभव हुआ।

तीर्थदर्शन में यदि बुजुर्ग हरिद्वार-काशी-मथुरा गए तो शिवराज सरकार में यह तीर्थदर्शन यात्रा अजमेर शरीफ भी पहुंची, इससे बड़ा और बेहतर समाजवाद क्या हो सकता है। इसलिए 14 वर्षों का पुराना इतिहास छोड़कर 22 मार्च 2020 से लेकर चौथी बार मुख्यमंत्री के रूप में लगभग एक वर्ष पूरे करने वाले मुख्यमंत्री नए शिवराज के बारे में जरा सोचकर देखिए। विपरीत एवं कठिनतम परिस्थितियों में सत्ता का सिंहासन संभाला, मानव इतिहास का सबसे बुरा वर्ष कोरोना काल में आम जनता के लिए पल-पल निर्णय लेना आम जनता की जिन्दगी बचाने के लिए अपनी जिन्दगी दांव पर लगा देना कौन मुख्यमंत्री ऐसा कर सकता है।

यदि आप उनके लगातार दौरों का आंकलन करें, जिसमें वे भूखे-प्यासे रहकर भी वहां तक पहुंचे, जहां गरीब को तकलीफ है, इससे बेहतर कोई भी मुख्यमंत्री ऐसा नहीं कर सकता जैसा कि शिवराज ने किया है। यदि मुख्यमंत्री के रूप में कोरोना महामारी से निपटने में 2437 शिवराज सजग नहीं रहते तो पूरे राज्य भर में ‘लाशों’ को हाथ में लिए-लिए गरीब आदमी सड़कों पर निकलता और घरों के खिड़की-दरवाजे भी उन्हें देखकर काल-कवलित होने के डर से नहीं खुल पाते। मैं तो आज शिवराज जी के जन्मदिन पर केवल इतना ही लिखना चाहता हूँ ‘शाबास शिवराज’ जिसने पूरा एक वर्ष तनाव में गुजारा, जनता को राहतों की बौछार से हमेशा चैन से रहने का अवसर उस समय उपलब्ध कराया, जब पूरे देश में मानव इतिहास के बुरे वर्ष कोरोना महामारी काल से डरकर प्रत्येक जिन्दगी सिर्फ जिन्दगी बचाने में लगी थी।

अब मध्यप्रदेश (MP Chief Minister) में इसके बावजूद कि हम 3 लाख करोड़ के कर्जे में है शिवराज जी ने सबको सम्मान से जीने लायक बनाकर रखा है। रहा सवाल विकास का, शिक्षा का, स्वास्थ्य का, तो एक तरफ राजनीतिक तनाव तो दूसरी तरफ कार्यकर्ताओं का दबाव सबको साधकर भी मध्यप्रदेश की विकास गाथा कहीं नहीं रूकी, चाहे ग्वालियर-चंबल एक्सप्रेस-वे हो या फिर सिंचाई हो या फिर 125 लाख मीट्रिक टन गेहूँ उपार्जन से लेकर 1 लाख से अधिक स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई ही क्यों न हो, कुछ भी नहीं रूका।

बस हम रूके है तो कोरोना काल में अनावश्यक राजनीति के कारण, लेकिन विपक्ष के पास आरोपों के केवल गुब्बारे थे जो शिवराज के एक पिन चुभाने से ही हवा-हवाई हो गए, इससे बढिय़ा न तो राजनीति हो सकती और न ही इससे बढिय़ा ‘गुड गवर्नेंस’ हो सकता है। इसलिए पहला और अंतिम वाक्य हमारा इस विशेष संपादकीय में मुख्यमंत्री के लिए यही होगा, साधारण से असाधारण व्यक्तित्व की ऊंचाई तक पहुंचने का नाम मध्यप्रदेश में अब केवल एक ही राजपुरूष है जिसका नाम है शिवराज।

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