संपादकीय: मानसूत्र सत्र की हंगामाखेज शुरूआत

Monsutra session begins with uproar
Editorial: संसद के मानसून सत्र के पूर्व सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाकर इस सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी 51 राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से चर्चा की थी। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि संसद की कार्यवाही अच्छे से चले यह सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की ही जिम्मेदारी है इस बैठक में विपक्षी पार्टियों ने सत्र के दौरान जिन मुद्दो को उठाने की बात कही है उन सब पर सरकार चर्चा के लिए तैयार है।
सर्वदलीय बैठक तो अच्छे माहौल में संपन्न हो गई लेकिन ससंद सत्र शुरू होते ही विपक्ष ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों में ही हंगामा मचाना शुरू कर दिया। जैसी की संभावना थी संसद के मानसून सत्र का आगाज भारी हंगामें के साथ हुआ है। लोकसभा में जैसे प्रश्लकाल शुरू हुआ विपक्ष ने आपरेशन सिंदूर को लेकर चर्चा कराने की मांग और इस बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्रम मोदी से बयान देने की मांग को लेकर शोर सराबा शुरू कर दिया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष को आश्वासन दिया कि आपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए सरकार तैयार है लेकिन वे प्रश्नकाल चलने दे क्योंकि प्रश्नकाल के दौरान देशभर के सांसद अपने अपने क्षेत्र की समस्याओं को उठाते हैं किन्तु विपक्ष का हंगामा जारी रहा।
नतीजतन पहले दोपहर 12 बजे तक के लिए लोकसभा की कार्यवाही स्थगित की गई और बाद में भी जब विपक्ष का हंगामा नहीं रूका तो दोपहर दो बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। राज्यसभा में भी नेता प्रतिपक्ष मल्लिकाजुर्न खडग़े ने आपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार को घेरा और संघर्ष विराम को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड टं्रप के बयान पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा तो वहां भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर तकरार हुई।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि सदन में सत्ता पक्ष के लोगों को बोलने का भरपूर मौका दिया जाता है लेकिन विपक्ष की आवाज को दबाया जाता है। वे लोकसभा में विपक्ष के नेता है लेकिन उन्हें भी बोलने नहीं दिया जाता है। ऐसा ही आरोप कांग्रेस की सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने लगाया है और सवाल उठाया है कि जब नेताप्रतिपक्ष राहुल गांधी बोलना चाहते हैं तो आखिर उन्हें बोलने क्यों नहीं दिया जा रहा है। कुल मिलाकर संसद के मानसून सत्र की जिस तरह हंगामाखेज शुरूआत हुई है उसे देखकर यही लग रहा है कि संसद के पिछले कई सत्रों की तरह ही यह मानसून सत्र ही कहीं हंगामों की भेंट चढ़कर न रह जाये।