Monsoon Session : हंगामों की भेंट चढ़ता सत्र…
Monsoon Session : ससंद का मानसून सत्र हंगामों की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। कथित जासूसी कांड को लेकर सत्र के पहले ही दिन विपक्ष ने संसद के दोनों सदनों में भारी हंगामा कर संसद की कार्यवाही बाधित की थी। दूसरे दिन भी जासूसी कांड और किसानों की समस्याओं को लेकर हंगामा किया गया, तीसरे दिन भी दोनों ही सदनों का काम हंगामेे के कारण नहीं हो पाया।
लगातार तीन दिन से संसद में विपक्ष सिर्फ हंगामा मचा रहा है जबकि उसे चर्चा में भाग लेना चाहिए। तीसरे दिन तो राज्यसभा में टीएससी सांसद शांतनू सेन ने संसदीय परंपराओं की धज्जियां उड़ाते हुए आईटी मंत्री के हाथों से कागजात छीन कर फाड़ दिए और उस सभापति पर उसके टुकड़े उड़ा दिए। जासूसी कांड पर ही आईटी मंत्री सरकार का बयान दे रहे थे जिसे विपक्ष सुनने के लिए तैैयार ही नहीं था।
यहां तक कि मंत्री को बयान देने से रोकने के लिए उनके हाथों से कागज छीन कर फाड़ (Monsoon Session) दिया गया। विपक्ष का यह आचरण कतई उचित नहीं है। उस सभापति ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और उक्त टीएमसी सांसद के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की बात कही है।
यह ठीक है कि विपक्ष को संसद में अपनी बात रखने का अधिकार है, वे विरोध स्वरूप शोर शराबा भी कर सकते है और एक सीमा के भीतर हंगामा भी किया जा सकता है लेकिन मर्यादा की सीमा नहीं लांघनी चाहिए और न ही संसद को अखाड़ा बनाकर उसकी कार्यवाही को ठप करना चाहिए।
विपक्ष जमकर सवाल उठाएं लेकिन सरकार का जवाब भी सुने और हर मुद्दे पर सदन में सार्थक चर्चा हो अन्यथा व्यर्थ का हंगामा खड़ा करने से कुछ भी हासिल नहीं होगा। संसद (Monsoon Session) में अनेक महत्वपूर्ण विधेयक लंबित है जिनपर चर्चा करने की आवश्यकता है। इसलिए चाहे जासूसी कांड हो या किसानों का आंदोलन या फिर पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते दाम और आसमान छूती महंगाई का मुद्दा हो सब पर संसद में चर्चा हो विपक्ष सरकार को घेरे, सवाल करें तभी संसद सत्र की सार्थकता सिद्ध होगी।