Monsoon आया तो समय से पूर्व…लेकिन किसानों की धरती रही सूखी

Monsoon आया तो समय से पूर्व…लेकिन किसानों की धरती रही सूखी

Monsoon came before its time… but the land of the farmers remained dry

Monsoon

छत्तीसगढ़ के 20 जिलों की 52 तहसीलें सबसे ज्यादा खतरे की चपेट में

रायपुर/नवप्रदेश। Monsoon : समय से पहले जब छत्तीसगढ़ में मानसून आया तो न केवल किसान बल्कि आम जनता भी खुश थी, लेकिन यह मानसून कम से कम किसानों के काम नहीं आया। प्रदेश में कई जिलों में खंड और कम वर्षा से किसानों की धरती अभी भी सूखी है। अब किसान सितंबर माह में होने वाली बारिश से राहत का इंतजार कर रहे हैं।

52 तहसीलों को सबसे ज्यादा खतरा

जुलाई-अगस्त के महीने में सामान्य से कम बारिश हुई। इन दो महीनों में किसानों को बारिश की उम्मीद रहती है, लेकिन इन दो महीनों में इतनी कम बारिश हुई कि किसानों की अधिकांश जमीन प्यासी रह गई। नतीजतन, 24 जिलों में से अधिकांश में कम बारिश हुई जबकि 5 जिलों में अच्छी बारिश हुई। मौसम विभाग के जानकारी के मुताबिक 20 जिलों की 52 तहसीलों में से 25 से 50 प्रतिशत तक कम पानी बरसा है। किसानों को अब सितम्बर से उम्मीद है। यानी छत्तीसगढ़ के 20 जिलों की 52 तहसीलें सबसे ज्यादा खतरे की चपेट में आ रही हैं।

प्रदेशभर में सामान्य से हुई 15% कम बारिश

राज्य भर में अब तक सामान्य से 15 फीसदी कम बारिश (Monsoon) हुई है, कम से कम आंकड़े तो यही कहते हैं। मौसम विभाग के मुताबिक एक जून से 31 अगस्त तक प्रदेश भर में 797.5 मिलीमीटर बारिश हुई है। यह सामान्य से 15 प्रतिशत कम है। सामान्य तौर पर इन तीन महीनों में छत्तीसगढ़ में औसतन 933.2 मिलीमीटर बरसात होती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। मध्य जुलाई के बाद बारिश अनियमित हो गई। इससे राज्य के अधिकांश जिले पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। राज्य के केवल चार जिले ऐसे हैं जहां बारिश सामान्य या उससे अधिक है।

सुकमा जिले में सबसे अधिक 1300 मिलीमीटर बरसा पानी

इस बार बदरा सुकमा जिले पर मेहरबान दिखे, बारिश के ग्राफ कुछ ऐसा ही कह रहे हैं। सुकमा जिले में सबसे अधिक 1300 मिलीमीटर पानी बरसा है। सूरजपुर में 990, बेमेतरा में 869.5 और कबीरधाम जिले में 693.2 मिमी बरसात बताई जा रही है। यह सामान्य या इससे अधिक है। शेष 24 जिलों में औसत सामान्य बरसात से कम पानी गिरा है। बालोद और कांकेर में औसत से 35-36 प्रतिशत कम बरसात हुई है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने फसल नुकसान का सर्वे शुरू कर दिया है। कलेक्टरों से 7 सितम्बर तक इसकी रिपोर्ट मांगी गई है।

सुकमा में अच्छी वर्षा क्यों ?

सिर्फ सुकमा ही ऐसा जिला है जहां अच्छी वर्षा (Monsoon) हो रही है। यहां अब तक 1300 मिमी बारिश हो चुकी है, जो औसत वर्षा अधिक है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि सुकमा में स्थानीय भौगोलिक परिस्थिति के कारण अधिक वर्षा हुई है, जबकि बस्तर, दंतेवाड़ा और कांकेर में काफी कम पानी गिरा है।

चार तहसीलों की हालत खराब

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के शुरुआती आंकलन के मुताबिक तीन जिलों की चार तहसीलों में हालत सबसे खराब है। इन तहसीलों में 50 प्रतिशत से भी कम बरसात हुई है। इनमे कांकेर जिले के कांकेर और दुर्गुकोंदल, बस्तर की बकावंड और रायपुर की आरंग तहसील शामिल है।

CM पहले ही कर चुके हैं ऐलान

प्रदेश में कई जिलों में सूखे के स्थिति का अंदाजा पहले से लगा लिया गया था, लिहाजा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकारी मदद की घोषणा रविवार को ही कर चुके हैं। उन्होंने अवर्षा प्रभावित किसानों को 9 हजार रुपए प्रति एकड़ की मदद देने की बात कही है। इसके लिए गिरदावरी को आधार नहीं बनाया जाएगा। यानी यह नहीं देखा जाएगा कि नुकसान कितना हुआ है। वहीं पहले से चले आ रहे राजस्व पुस्तक परिपत्र के नियमों के मुताबिक 33 प्रतिशत से अधिक फसल खराब होने पर सिंचित जमीन के किसान को 13 हजार 500 और असिंचित जमीन के किसान को 6800 रुपए की सहायता तय है।

ये हैं बारिश की स्थिति

  • 20 जिलों की 52 तहसीलों में 51 से 75 प्रतिशत तक ही बरसात हुई है।
  • 24 जिलों की 69 तहसीलें ऐसी हैं जहां, 76 से 99 प्रतिशत बरसात दर्ज हुई है।
  • 17 जिलों की 46 तहसीलों में 100 प्रतिशत पानी बरसा है।

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