भारतीय क्षेत्र पर चीन के अवैध कब्जे को मोदी सरकार ने कभी स्वीकार नहीं किया : कीर्तिवर्धन सिंह

Kirti Vardhan Singh
संसद में सरकार ने बताया-चीनी जमावड़े पर हमारी नजर है
नई दिल्ली। MP Kirti Vardhan Singh: चीन की आक्रामकता कम होने का नाम नहीं ले रही है। एक बार फिर भारतीय जमीन पर चीन की नापाक नजर का मामला सामने आया है। सरकार ने संसद को बताया कि भारत को चीन की ओर से दो नए क्षेत्र बसाने की जानकारी है। यहां चीनी जमावड़े पर भी हमारी नजर है। इन इलाकों के कुछ हिस्से लद्दाख में आते हैं, और सरकार ने राजनयिक माध्यमों से इस पर गंभीर विरोध दर्ज कराया है।
विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने शुक्रवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, ‘भारत सरकार ने भारतीय क्षेत्र पर चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है। नए काउंटी बनाने से न तो इस क्षेत्र पर हमारी संप्रभुता के बारे में भारत की दीर्घकालिक और सुसंगत स्थिति पर कोई असर पड़ेगा, न ही चीन के अवैध और जबरन कब्जे को वैधता मिलेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने इन घटनाक्रमों पर राजनयिक माध्यमों से अपना गंभीर विरोध दर्ज कराया है।
मंत्रालय से पूछा गया कि क्या सरकार को लद्दाख में भारतीय क्षेत्र को शामिल करते हुए होटन प्रान्त में दो नए काउंटी स्थापित करने की जानकारी है, यदि हां, तो इस मुद्दे को हल करने के लिए सरकार द्वारा किए गए रणनीतिक और कूटनीतिक उपाय क्या हैं? प्रश्न में भारत द्वारा इन काउंटियों के निर्माण के खिलाफ दर्ज किए गए विरोधों का विवरण भी मांगा गया। साथ ही चीनी सरकार से प्राप्त जवाबों, यदि कोई हो, के बारे में भी पूछा गया। यह भी पूछा गया कि क्या सरकार ने अक्साई चिन क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रशासनिक और बुनियादी ढांचे के विकास का मुकाबला करने के लिए कोई दीर्घकालिक रणनीति तैयार की है।
सरकार ने क्या जवाब दिया?
उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार चीन के होटन प्रान्त में तथाकथित दो नए काउंटियों की स्थापना से संबंधित चीनी पक्ष की घोषणा से अवगत है। इन तथाकथित काउंटियों के अधिकार क्षेत्र के कुछ हिस्से भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं। सरकार यह भी जानती है कि चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है। राज्य मंत्री ने कहा कि सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए बुनियादी ढांचे के सुधार पर सावधानीपूर्वक और विशेष ध्यान देती है, ताकि इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाया जा सके। साथ ही भारत की रणनीतिक और सुरक्षा आवश्यकताओं को भी पूरा किया जा सके।