संपादकीय: कश्मीर घाटी में फिर प्रवासी मजदूरों पर हमला

संपादकीय: कश्मीर घाटी में फिर प्रवासी मजदूरों पर हमला

Migrant laborers attacked again in Kashmir Valley

Attacked again in Kashmir Valley

Attacked again in Kashmir Valley: जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने के बाद जब से उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में नेशनल कांफ्रेन्स की सरकार बनी है तब से वहां लगातार आतंकी हमले होने की खबरें सामने आ रही है।

एक माह के भीतर पांच आतंकी हमले हो चुके हैं। बडग़ाम में एक बार फिर आतंकवादियों ने दो प्रवासी मजदूरों पर हमला कर दिया। इसके पूर्व आतंकी हमले में सात प्रवासी मजदूर मारे गए थे।

लगातार हो रहे इन आतंकी हमलों को लेकर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ फारूक अब्दुल्ला ने चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि जब से उनके बेटे उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में सरकार बनी है तब से ऐसे आतंकी हमले लगातार हो रहे हैं। जबकि पूर्व में इस तरह के हमले बंद हो गए थे।

डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने इन आतंकी हमलों की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है और इन हमलों के पीछे किसी साजिश की आशंका व्यक्त की है। उनका भी यह भी कहना है कि ऐसा हमला करने वाले आतंकवादियों को मुठभेड़ में मारने की जगह उन्हें जिंदा गिरफ्तार किया जाना चाहिए।

ताकि उनसे पूछताछ में इस बात का खुलासा हो सके कि वे किसके इशारे पर आतंकी हमले कर रहे हैं। डॉ. फारूक अब्दुल्ला का कहना सही है इन हमलों की उच्च स्तरीय जांच होनी भी चाहिए वास्तव में यह आश्चर्य की बात है कि जम्मू कश्मीर में चुनाव होने और नई सरकार के बनने के बाद से आतंकी गतिविधियां आखिर क्यों तेज हुई है।

रही बात साजिश की तो इसमें कोई शक नहीं कि सीमा पार से ही यह षडयंत्र रचा जा रहा है। पड़ोसी देश पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बाद से बौखलाया हुआ है और वह कश्मीर घाटी में दहशत फैलाने के लिए वहां बचे खुचे आतंकवादियों की मदद कर रहा है।

पाकिस्तान परस्त ताकतें जो कश्मीर घाटी में मौजूद हैं निश्चित रूप से वही इन आतंकवादियों की मददगार बनी हुई है। ऐसे अलगाववादी तत्वों के खिलाफ भी सरकार और सेना को कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।

भारतीय सेना और सुरक्षाबल के जवान कश्मीर घाटी में आतंकवादियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चला रहे हैं और सेना के साथ आतंकवादियों की मुठभेड़ भी हो रही है।

देर सबेर ये बचे खुचे आतंकवादी जहन्नुम रसीद कर दिए जाएंगे। लेकिन इनके मददगार अलगाववादियों के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही करनी होगी। तभी कश्मीर घाटी में आतंकी घटनाओं पर रोक लगेगी।

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