संपादकीय: महबूबा मुफ्ती बेतुकी बयानबाजी से बाज आए

संपादकीय: महबूबा मुफ्ती बेतुकी बयानबाजी से बाज आए

Mehbooba Mufti desisted from absurd statements

Mehbooba Mufti desisted from absurd statements

Mehbooba Mufti desisted from absurd statements: जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर पाकिस्तान के साथ वार्ता करने की वकालत की है।

पिछले दिनों कश्मीर घाटी में आतंकवादियों द्वारा सात प्रवासी श्रमिकों की गोली मारकर हत्या किए जाने की घटना को लेकर महबूबा मुफ्ती ने बयान दिया है कि कश्मीर घाटी में आतंकवादी घटनाओं को रोकने के लिए भारत को पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी चाहिए।

समझ में नहीं आता की महबूबा मुफ्ती बार बार पाकिस्तान की पैरोकारी क्यों करती हैं। कश्मीर घाटी में आतंकवादियों से निपटने में भारतीय सेना और सुरक्षाबल के जवान सक्षम हैं और वे लगातार जान जोखिम में डालकर आतंकवादियों का सफाया कर रहे हैं।

इस मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ बातचीत करने का तो कोई तुक ही नहीं है। पाकिस्तान मूर्ख नहीं है कि वह यह बात स्वीकार कर लेगा की कश्मीर घाटी में वह आतंकवाद फैला रहा है।

यह सच है कि पाकिस्तान ही कश्मीर घाटी में आतंकवाद की आग को हवा दे रहा है लेकिन इसे वह कबूल नहीं करेगा। फिर उसके साथ बातचीत का क्या औचित्य है।

इतनी सी बात महबूबा मुफ्ती को समझ में नहीं आ रही है। बेहतर होगा कि वे इस तरह की बेतुकी बयानबाजी से बाज आए। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारतीय सेना और केन्द्र सरकार को उनकी सलाह की कोई जरूरत नहीं है।

हकीकत तो यह है कि पाकिस्तान खुद भारत के साथ बातचीत के लिए तड़प रहा है और उसने कई बार भारत के साथ वार्ता की पेशकश की है लेकिन भारत ने हमेशा ही उसे दो टूक शब्दों में यही जवाब दिया है

कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद की राह नहीं छोड़ेगा तब तक उसके साथ किसी भी स्तर पर कोई बातचीत नहीं की जाएगी। जम्मू कश्मीर में लोकसभा और फिर विधानसभा में जिस उत्साह के साथ जम्मू कश्मीर के लोगों ने भाग लिया और ऐतिहासिक मतदान किया है।

उसके बाद से पाकिस्तान बुरी तरह बौखलाया हुआ है और अब वह कश्मीर घाटी में फिर से दहशत फैलाने की साजिश कर रहा है। ताकि भारत उसके साथ बातचीत करें और महबूता मुफ्ती पाकिस्तान का ही काम आसान कर रही हैं इससे उन्हें बचना चाहिए।

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